खेलों में जेंडर टेस्ट की शुरुआत कैसे हुई? न्यूड परेड से लेकर क्रोमोसोम टेस्ट तक की कहानी
Paris में चल रहे Olympics में एक मुक्के की गूंज ने कई सारे सवाल खड़े किए. इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) पर आरोप लगे कि उन्होंने एक महिला खिलाड़ी को एक 'पुरुष या ट्रांसजेंडर' के खिलाफ रिंग में उतरवा दिया. इसी के साथ खेलों में जेंडर टेस्ट पर बहस शुरू हो गई है.
पेरिस में चल रहे ओलंपिक्स (Paris Olympics) में 1 अगस्त को बॉक्सिंग का एक मैच हुआ. मैच के बाद बवाल हो गया. हुआ यूं कि 66Kg के राउंड ऑफ-16 का ये मैच इटली की अंजेला करीनी (Angela Carini) और अल्जीरिया की इमान खलीफ (Imane Khelif) के बीच खेला जा रहा था. 46 सेकेंड के भीतर ही ये मैच खत्म हो गया. इमान खलीफ ने अंजेला को ऐसा मुक्का मारा कि उसकी 'आवाज' दुनिया में दूर-दूर तक गूंजी. और अंजेला रोते हुए खेल से बाहर हो गईं. अंजेला ने कहा है कि उन्होंने ऐसा मुक्का इससे पहले कभी नहीं खाया.
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस मैच पर सवाल उठाया. लोगों ने कहा कि रिंग में एक महिला के सामने एक मर्द को उतार दिया. और एक पुरानी बात भी याद दिलाई. दरअसल, इमान को साल 2023 की वर्ल्ड चैंपियनशिप से डिस्क्वॉलिफाई कर दिया गया था. क्योंकि वो एक जेंडर टेस्ट में फेल हो गई थीं. इस जेंडर टेस्ट या सेक्स टेस्टिंग की शुरुआत कैसे हुई थी? शुरुआत में इस टेस्ट के लिए महिला खिलाड़ियों को डॉक्टरों की एक टीम के सामने ‘न्यूड परेड’ कराया जाता था. नैतिकता और मेडिकल ग्राउंड के आधार पर आलोचना हुई तो प्रक्रियाएं बदलीं. मगर खेलों में जेंडर तय करने के जितने भी तरीके खोजे गए, उनमें से कोई भी विवादों या आलोचनाओं से नहीं बच पाया. इस पर विस्तार से बात करेंगे.
Heinz Ratjen से शुरू हुआ मामलाविवाद शुरू हुआ- 1930 के दशक में. TIME मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1936 में बर्लिन ओलंपिक्स में जर्मन हाई जंपर हेंज रजेन (Heinz Ratjen) ने महिलाओं की श्रेणी में निराशाजनक छठा स्थान प्राप्त किया. दो साल बाद उन्होंने खेलना छोड़ दिया और एक पुरुष के रूप में जीना शुरू कर दिया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, समाचार आउटलेट ने रजेन को ‘ओलंपिक धोखेबाज’ बताया. उन पर आरोप लगे कि उन्होंने नाज़ियों के कहने पर एक महिला के कपड़े पहने और खेल में भाग लिया. यहां से खेलों में 'जेंडर स्कैम' की बात होने लगी. न्यूयॉर्क टाइम्स, History.com और बिजनेस इनसाइडर जैसे संस्थानों ने भी ऐसा ही कहा. रजेन को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, इस बात पर विवाद है कि रजेन ने ये जानबूझकर किया था या उन्हें अपने लिंग के बारे में स्पष्टता नहीं थी या उन्हें नाज़ियों ने महिला की तरह रहने के लिए मजबूर किया था. हालांकि, उन पर 'जेंडर स्कैम' करने के आरोप लगे. लेकिन इस एक नाम के बहाने खेलों में लिंग परीक्षण की शुरुआत हो गई.
खेलों में जेंडर टेस्ट का नाज़ी संबंधइस मामले से नाज़ियों का संबंध इतना ही नहीं है. कार्ल रिटर वॉन हॉल्ट नाम का एक व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का सदस्य था. वो नाज़ी पार्टी का आधिकारिक सदस्य भी था. उसने फैसला किया कि इंटरसेक्स लोगों को खेलों से बाहर करने के लिए नीति बनाई जाए. इंटरसेक्स शब्द उनके लिए इस्तेमाल होता है जिनके प्रजनन अंग, जननांग, हार्मोन या गुणसूत्र पैटर्न सामान्य पुरुष या महिला पैटर्न में फिट नहीं होते.
महिला होने का सर्टिफिकेट21 नवंबर, 1938 को रजेन को गिरफ्तार किया गया. इसके एक महीने बाद वॉन हॉल्ट ने एक नीति बनाई. इसके तहत वर्ल्ड एथलेटिक्स उन्हीं महिलाओं को खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने की अनुमति देता जिनके पास महिला होने का सर्टिफिकेट होता. सर्टिफिकेट उन्हें किसी मान्यता प्राप्त डॉक्टर से लेना था. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1948 में इस नीति को लागू भी कर दिया गया.
1952 में सोवियत संघ ओलंपिक में शामिल हुआ. और अपनी महिला एथलीटों की सफलता और ताकत से दुनिया को चौंका दिया. उस साल सोवियत संघ के 71 पदकों में से 23 पदक महिलाओं के खाते में गए. जबकि अमेरिका के 76 पदकों में से 8 महिलाओं के खाते में गए. न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1960 के दशक में अफवाहें फैलीं कि सोवियत संघ की महिला एथलीट पुरुष हैं जो जीत हासिल करने के लिए अपने जननांगों को बांधते हैं.
Gender Test के लिए Nude Paradeहालांकि, इन दावों की कभी पुष्टि नहीं हो पाई. लेकिन 1966 में अंतरराष्ट्रीय खेल अधिकारियों ने फैसला किया कि वो महिला होने के सर्टिफिकेट के लिए अलग-अलग देशों पर भरोसा नहीं कर सकते. कुछ मामलों में महिला खिलाड़ियों को अपने कपड़े उतारने और महिला डॉक्टरों के एक पैनल के सामने परेड करने को कहा गया. कई और तरीकों से भी शारीरिक परीक्षण किए गए.
Chromosome Testइन तरीकों की आलोचना हुई. इसके बाद 1960 के दशक के अंत में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलीट फेडरेशन (IAAF) और इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) ने इसके लिए एक नई नीति बनाई. जिसे कहा गया क्रोमोसोम टेस्ट, हिंदी में गुणसूत्र परीक्षण. अधिकारियों का मानना था ये कि ये तरीका अधिक सम्मानजनक है. हालांकि, इस तरीके की भी आलोचना हुई.
आम तौर पर, मानव शरीर में प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र (कुल 46 गुणसूत्र) होते हैं. X और Y क्रोमोसोम को सेक्स गुणसूत्र कहा जाता है. महिलाओं में XX गुणसूत्र और पुरुषों में XY क्रोमोसोम होते हैं.
ईवा क्लोबुकोव्स्का, एक पोलिश धावक, इस परीक्षण के कारण बाहर निकाले जाने वाले पहले लोगों में से एक थीं. कथित तौर पर उनके पास XX और XXY दोनों गुणसूत्र पाए गए थे. 1968 में IOC पत्रिका में एक संपादकीय लिखा गया. इसमें जोर देकर कहा गया कि क्रोमोसोम टेस्ट “किसी व्यक्ति के लिंग को बिल्कुल स्पष्ट रूप से बताते हैं.” लेकिन कई आनुवंशिकीविदों और एंडोक्रिनोलॉजिस्टों ने इस बात पर असहमति जताई.
उन्होंने कहा कि लिंग- आनुवंशिक, हार्मोनल और शारीरिक कारकों के कॉम्बिनेशन से निर्धारित होता है, ना कि किसी एक कारण से. उन्होंने कहा कि खेलों में पुरुष-महिला विभाजन को तय करने के लिए विज्ञान पर निर्भर रहना निरर्थक है, क्योंकि विज्ञान एक ऐसी रेखा नहीं खींच सकता जिसे प्रकृति ने खुद खींचने से इनकार कर दिया हो. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि इन परीक्षणों में उन लोगों के साथ भेदभाव किया गया जिनकी विसंगतियों के कारण उन्हें खेलों में कोई बढ़त नहीं मिली या बहुत कम लाभ हुआ. और इससे उन महिलाओं को आघात पहुंचा, जिन्होंने अपना पूरा जीवन यह मानते हुए बिताया कि वो महिला हैं, लेकिन बाद में उन्हें बताया गया कि वो खेलों में हिस्सा लेने के लिए पर्याप्त महिला नहीं हैं.
IOC और IBA में आरोप-प्रत्यारोपअब अंजेला और इमान खलीफ के मामले पर वापस आते हैं. पिछले साल इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) ने इमान खलीफ को जेंडर टेस्ट में फेल कर दिया था. IBA ने इमान को दिल्ली में हुई विमंस वर्ल्ड चैंपियनशिप में नहीं खेलने दिया था. उनके साथ ताइवान की बॉक्सर लिन यू तिंग भी जेंडर टेस्ट में फेल हो गई थीं. इसलिए उन्हें भी खेल से बाहर कर दिया गया. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, IBA के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने कहा था कि DNA टेस्ट से साबित हुआ है कि उनमें XY क्रोमोसोम थे. और ये कॉम्बिनेशन मर्दों में पाया जाता है. इसलिए उन्हें बाहर कर दिया गया.
इसके बावजूद इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) ने उन्हें ओलंपिक्स के लिए में एक महिला खिलाड़ी के सामने कैसे उतार दिया? इसको लेकर IBA ने IOC पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. IOC के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने अपनी सफाई में कहा है कि सभी खिलाड़ियों ने एलिजिबिलिटी के नियम पूरे किए हैं. इसलिए किसी भी तरह से ट्रांसजेंडर का मामला नहीं बनता. उन्होंने कहा कि इमान के पासपोर्ट पर ‘महिला’ लिखा हुआ है. IOC ने IBA पर आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा है कि IBA ने 2023 के वर्ल्ड चैंपियनशिप के बीच में जेंडर संबंधी नियमों में मनमाने ढंग से बदलाव कर दिया.
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