कहानी सलीम दुर्रानी की, जिनके पैदा होते ही पिता बोले- 'मैं क्रिकेटर का बाप बन गया'
दर्शकों की डिमांड पर छक्का मारने वाला क्रिकेटर.
भारतीय क्रिकेट से रविवार 2 अप्रैल की सुबह एक दुखद खबर सामने आई है. भारत के पूर्व ओपनर सलीम दुर्रानी का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. सलीम ने अपने अंतिम दिन गुजरात के जामनगर में बिताए. वो कैंसर से पीड़ित थे. सलीम दुर्रानी देश के पहले खिलाड़ी थे जिन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था. दुर्रानी को ये सम्मान 1960 में दिया गया था.
#पीएम मोदी ने किया ट्वीटप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सलीम दुर्रानी के निधन पर ट्वीट पर दुख जताया. मोदी ने लिखा -
सलीम दुर्रानी क्रिकेट के लेजेंड थें. वो अपने आप में ही एक इंस्टीट्यूशन थे. उन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट में भारत के उत्थान में अहम भूमिका निभाई थी. वो फील्ड के अंदर और बाहर अपने स्टाइल के लिए जाने जाते थे. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार और दोस्तों के लिए सहानुभूति. उनकी आत्मा को शांति मिले.
PM ने आगे दुर्रानी के गुजरात कनेक्शन पर भी ट्वीट किया.
#पैदा होते ही क्रिकेटर बनने का ऐलानसलीम दुर्रानी जी का गुजरात से बहुत पुराना और मजबूत रिश्ता रहा है. उन्होंने सौराष्ट्र और गुजरात के लिए भी कुछ साल खेला है. उन्होंने गुजरात को अपना घर बनाया. मुझे उनसे इंटरैक्ट करने का मौका मिला था. मैं उनके बहुआयामी व्यक्तित्व से प्रभावित था. उनको मिस किया जाएगा.
रिचर्ड हेलर और पीटर ओबोर्न की किताब वाइट ऑन ग्रीन में एक दिलचस्प किस्से का जिक्र है. जब सलीम का जन्म हुआ, तब पिता अब्दुल अज़ीज दुर्रानी ने बच्चे की आंखों के सामने से एक नई गेंद घुमाई और खूब धूम-धड़ाके से ऐलान किया, कि वो एक टेस्ट क्रिकेटर के पिता बन गए हैं.
#भारत में नहीं हुआ था दुर्रानी का जन्मओपनिंग के साथ स्पिन बॉलिंग करने वाले सलीम का जन्म भारत में नहीं, अफ़ग़ानिस्तान में हुआ था. 11 दिसंबर 1934 में अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में दुर्रानी का जन्म हुआ. दुर्रानी सिर्फ 8 महीने के थे, जब उनका परिवार काबुल से कराची आकर बस गया. बंटवारे के वक्त दुर्रानी का परिवार भारत आ गया.
दुर्रानी ने क्रिकेट की दुनिया में 1960-70 के दशक में अपने प्रदर्शन से अलग पहचान बनाई. भारत में दुर्रानी को एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर जाना जाता हैं. दुर्रानी ने 1960 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंबई टेस्ट में डेब्यू किया था. दुर्रानी अपनी अटैकिंग बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे. दर्शक जिस कोने से उनसे छक्के की मांग करते थे, वो उसी तरफ छक्का लगाते थे. उनसे इसपर सवाल किया जाता तो वो कहते -
डिमांड पर चौका-छक्का लगाना कोई बड़ी बात नहीं है, बस आपको थोड़ी मेहनत करनी होती है. और इसकी शुरुआत बचपन से ही हो जाती है. मेरे पिता भी एक क्रिकेटर थे. इसका मुझे फायदा मिला.
उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ 104 रन की शानदार पारी खेली थी. दुर्रानी ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट फरवरी 1973 में इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में खेला था. 1973 में ही उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया और कहीं और अपना हाथ आजमाया.
#बॉलीवुड में भी किया कामक्रिकेटिंग स्टार दुर्रानी का स्टाइल सिर्फ क्रिकेट फील्ड पर नहीं रुका. क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सलीम ने बॉलीवुड फिल्म 'चरित्र' में काम किया था. इस फिल्म में परवीन बॉबी हीरोइन थीं.
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