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अंग्रेज अब हमें टेस्ट क्रिकेट भी खेलना सीखा रहे हैं!

Bazball का अलग ही चल रहा है.

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England Cricket Team
इंग्लैंड क्रिकेट टीम (फोटो - सोशल)
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गरिमा भारद्वाज
2 दिसंबर 2022 (Updated: 2 दिसंबर 2022, 15:09 IST)
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इंग्लैंड, डॉमिनेशन और क्रिकेट. इन तीन शब्दों ने दुनिया भर में घूम घूमकर क्रिकेट को फेमस कर दिया. इतना कि अब दुनिया में ऑलमोस्ट हर जगह इसको खेला जाता है. और जैसा कि कहा जाता है, ‘Practice makes a man perfect’ यानि प्रैक्टिस मनुष्य को परफेक्ट बनाता है. इस लाइन पर चलते हुए सभी देश इंग्लैंड को कड़ी टक्कर देने लगे. इतना कि उनको उसी के बनाए गेम में हराने लगे. पर ऐसा नहीं था कि अंग्रेज बिल्कुल ही जीत नहीं रहे थे. वो जीतते थे लेकिन आईसीसी टूर्नामेंट में फिसड्डी साबित हो जाते. बड़े बदलाव की शुरुआत हुई 2015 वर्ल्ड कप से. बांग्लादेश के खिलाफ 'करो या मरो' मैच था. नतीजा इंग्लैंड वर्ल्ड कप से बाहर. इस हार ने पूरी व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया. फिर शुरुआत हुई बड़े बदलाव की. सिर्फ एग्रेशन से गेम आगे बढ़ेगा. वनडे को टी20 स्टाइल में खेलेंगे. और टी20 को ऐसे स्तर पर ले जाएंगे कि कोई दूसरी टीम आसपास भी ना रहे. नतीजा सबके सामने है. इंग्लैंड आज की तारीख में वनडे और टी20 वर्ल्ड कप की चैंपियन है.

इन सबके बीच एक फॉर्मेट अंग्रेजों के इस एक्सपेरीमेंट से अछूता था. सही समझे. टेस्ट क्रिकेट. लेकिन पहले आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप की फाइनल में जगह नहीं बना पाने के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने बड़ा फैसला किया. हर फॉर्मेट में जबर क्रिकेट खेलने वाले ब्रैंडन मैकक्लम को टेस्ट टीम का कोच बना दिया. और फिर शुरू हुई टेस्ट क्रिकेट में कुटाई.

क्रिकेट फ़ैन्स तो जानते ही होंगे जब से ब्रैंडन मैकक्लम आए है. तब से इंग्लैंड अलग ही अटैकिंग अप्रोच के साथ क्रिकेट खेल रहा है. कभी टेस्ट मैच की आखिरी पारी में 300 से ज्यादा रन चेज़ कर जाता है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है. क्योंकि पिच बहुत धीमी हो जाती है. तो कभी मैच के पहले ही दिन में 500 का आंकड़ा पार कर के वर्ल्ड रिकॉर्ड बना देता है.

इंग्लैंड इस अप्रोच के साथ पूरी दुनिया को कुछ तो सिखाने की कोशिश कर रहा है. और हम इसी की चर्चा करेंगे.

ब्रैंडन मैकक्लम. इंग्लैंड क्रिकेट ने इनको अपनी टेस्ट टीम का हेड कोच बनाया. इस रोल में जाने से पहले उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय टीम को कोच करने का अनुभव नहीं था. लेकिन कोचिंग की बारीकियों से कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ रूबरू हो रहे थे. ये भी अनुभव टी20 फॉर्मेट का था, टेस्ट का नहीं. लेकिन छोटे फॉर्मेट वाले गेम में वो ऑन फील्ड और ऑफ फील्ड दोनों तरफ से तबाही ला चुके थे. ऐसे में इंग्लैंड मैनेजमेंट ने भी रिस्क का मन बना लिया.

सोचा कि अगर ये दांव चला तो टेस्ट क्रिकेट को ये लम्बे फॉर्मेट वाला वनडे बना देंगे. और हुआ भी ऐसा ही. मैकक्लम ने आते ही कमाल दिखाना शुरू कर दिया. मैकक्लम के आने से पहले इंग्लैंड बाकियों जैसा टेस्ट क्रिकेट खेला करती थी. लेकिन उनके आते ही स्टाइल एकदम अलग.

और ये बात हम आंकड़ों से भी प्रूव होती है. मैकक्लम के आने के बाद से इंग्लैंड ने आठ टेस्ट मुकाबले खेले है. सबसे पहले न्यूज़ीलैंड का सामना किया. तीन मैच की टेस्ट सीरीज़ हुई. तीनों मुकाबलों में बड़ी जीत. और इसी सीरीज़ के एक मैच में जॉनी बेयरस्टो ने 147.82 की स्ट्राइक रेट से 92 गेंदों में 136 रन बनाए थे.

147 की स्ट्राइक रेट को आमतौर पर T20 से जोड़ा जाता है. लेकिन जॉनी ने टेस्ट मे इस रेट से कुटाई की. और उनकी सिर्फ एक यही पारी नहीं थी. ये दूसरे मैच की कहानी थी. तीसरे मैच में फिर जॉनी ने फिर मारा पहली इनिंग्स में 157 गेंदों पर 162 और फिर दूसरी पारी में 44 गेंदों में 71.

इसके साथ इंडिया के खिलाफ वाली कुटाई कौन ही भूल सकता है. आज भी कहा जाता है कि विराट को पांचवें टेस्ट मैच में जॉनी को नहीं छेड़ना चाहिए थे. जॉनी ने उस मैच की पहली पारी में 140 गेंदों में 106 रन बनाए, फिर दूसरी पारी में और अटैकिंग हुए 145 गेंदों में 114 रन.

अब आप जॉनी के ये आंकड़े सुनकर आप कह सकते है कि ये तो उनका स्टाइल है. वो ऐसे ही बल्लेबाजी करते हैं. ठीक है, मान लेते हैं. लेकिन बाकि खिलाड़ियों के लिए क्या बहाना दिया जाएगा? जो रूट के न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 211 गेंदों में 176, ओली पोप के न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 108 गेंदों में 82 रन, इंडिया के खिलाफ जो रूट का 173 गेंदों में 142 रन. 

बेन स्टोक्स का 163 गेंदों में 106 और इन्हीं के साथ पाकिस्तान में गेम के पहले ही दिन चार खिलाड़ियों का शतक. जैक क्राउली, बेन डकेट, ओली पोप, हैरी ब्रुक.

पाकिस्तान के खिलाफ आए शतक का कारण कम अनुभव वाली गेंदबाजी अटैक बताया जा सकता है. लेकिन फिर इंग्लैंड ने भी तो अपने मन मुताबिक टीम नहीं खिलाई है. इन शॉर्ट ये जो Bazball वाला कॉन्सेपट है ये फिलहाल तो धूम मचा रहा है. और ये कहना भी गलत नहीं होगा कि टेस्ट क्रिकेट का मतलब ही बदल रहा है.

अब वो अलग कहानी होगी कि जब इंग्लिश बल्लेबाजों को अपने पसंद की पिच नहीं मिलेगी, तब वनडे होगा या टेस्ट क्रिकेट ये देखने में भी मज़ा आएगा.

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