आज एक कविता रोज़ में बात हरिवंश राय बच्चन की. 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद में जन्मेऔर 18 जनवरी 2003 को मुंबई में गुजरे बच्चन अपनी लोकप्रिय कृति ‘मधुशाला’ के लिएभारतीय साहित्य में अमर हैं. बच्चन और ‘मधुशाला’ के दौर को हिंदी में ‘छायावाद’कहकर पुकारा जाता है. 4 खंडों में प्रकाशित बच्चन की आत्मकथा भी हिंदी साहित्य मेंअपनी साफगोई के लिए बहुत मकबूल और विवादित रही— खासकर इसका पहला खंड ‘क्याभूलूं-क्या याद करूं’. 25 से ज्यादा कविता-संग्रह और कुल 50 से ज्यादा किताबेंलिखने वाले बच्चन ने उमर खय्याम और शेक्सपियर जैसे कवियों की कृतियों के अनुवाद भीकिए. अलग-अलग पथ बतलाते सब, पर मैं यह बतलाता हूं— ‘राह पकड़ तू एक चला चल, पाजाएगा मधुशाला’. इस प्रकार की यादगार नसीहत देने वाले बच्चन को भला साहित्य जगत मेंकौन भूल सकता है, यानी कोई नहीं भूल सकता.अब पढ़िए हरिवंश राय बच्चन का एक प्रेम-गीत :जमीन है न बोलती, न आसमान बोलता.. जहान देखकर मुझे, नहीं जबान खोलता.. नहीं जगहकहीं जहां, न अजनबी गिना गया.. कहां-कहां न फिर चुका, दिमाग-दिल टटोलता.. कहांमनुष्य है कि जो, उमीद छोड़कर जिया.. इसीलिए खड़ा रहा, कि तुम मुझे पुकार लो.. इसीलिएखड़ा रहा, कि तुम मुझे पुकार लो..! तिमिर-समुद्र कर सकी, न पार नेत्र की तरी..विनष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी.. न कूल भूमि का मिला, न कोर भोर की मिली..न कट सकी, न घट सकी, विरह-घिरी विभावरी.. कहां मनुष्य है जिसे, कमी खली न प्यारकी.. इसीलिए खड़ा रहा कि, तुम मुझे दुलार लो..! इसीलिए खड़ा रहा कि, तुम मुझे पुकारलो..! उजाड़ से लगा चुका, उमीद मैं बहार की.. निदाघ से उमीद की, बसंत के बयार की..मरुस्थली मरीचिका, सुधामयी मुझे लगी.. अंगार से लगा चुका, उमीद मैं तुषार की.. कहांमनुष्य है जिसे, न भूल शूल-सी गड़ी.. इसीलिए खड़ा रहा कि, भूल तुम सुधार लो..! इसीलिएखड़ा रहा कि, तुम मुझे पुकार लो..! पुकार कर दुलार लो, दुलार कर सुधार लो..!--------------------------------------------------------------------------------ये स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के लिए अविनाश ने लिखी थी.--------------------------------------------------------------------------------हरिवंश राय बच्चन के बेटे अमिताभ बच्चन की आवाज में 'मधुशाला' के कुछ अंश यहांसुनिए :https://www.youtube.com/watch?v=lSbwME1FPoQ बच्चन की एक और कविता यहां पढ़िए :जो बीत गई, सो बात गई*** इनके बारे में भी पढ़ें : भवानी प्रसाद मिश्र अज्ञेय महादेवी वर्मा सुमित्रानंदनपत्र निराला जयशंकर प्रसाद घनानंद जायसी