भाऊसाहेब बाबासाहेब निम्बलकर. इंडियन डोमेस्टिक क्रिकेट में 26 साल तक बल्ला भांजनेवाला शख्स. कुल 4,841 फर्स्ट-क्लास रन. 47.93 का ऐवरेज. रणजी ट्रॉफी में 3,687 रन.ऐवरेज 56.72 रन का. एक अच्छा मीडियम पेसर. और जब भी ज़रूरत पड़ी तो विकेट कीपिंग भीकर ली. आज इन्हीं भाउसाहेब निम्बलकर का जन्मदिन है. मगर किस्मत उतनी अच्छी नहींरही. खुद को एक रन मशीन के रूप में स्थापित कर देने के बाद भी उन्हें टेस्ट क्रिकेटमें खेलने को नहीं मिला. उन्हें एक टेस्ट मैच खेलने को मिला लेकिन वो भी अन-ऑफिशियलटेस्ट था. वो कहते भी थे, 'ये सरासर अन्याय था कि मुझे टेस्ट खेलने को नहीं मिला.मैंने एक अन-ऑफिशियल टेस्ट खेला और मुझे एक और मौका मिलना चाहिए था. मैं शायद कुछकर सकता था. शायद ये मेरी किस्मत में ही नहीं था. जो चीज मुझे सबसे ज़्यादा बुरी लगीवो ये कि कई मुझसे कम टैलेंटेड लोगों को मौका मिला.'साल 1948 में बैटिंग रिकॉर्डरणजी ट्रॉफी मैच. महाराष्ट्र और कठियावाड़ के बीच. दिसंबर 1948. मैच दो वजहों सेफ़ेमस हुआ. निम्बलकर की बैटिंग. और मैच ख़त्म होने का कारण. पूना क्लब ग्राउंड पर हुएमैच में काठियावाड़ की टीम 238 रनों पर ऑल आउट हो गयी. पहले ही दिन. मैच चार दिनोंका होता था. महाराष्ट्र की बैटिंग आई तो दिन खत्म हुआ 132 पर 1 विकेट. पहला विकेटगिरा 81 रन पर. और बैटिंग करने आये निम्बलकर. दूसरा दिन खत्म होते-होते दूसरा विकेटगिरा. इस बीच पार्टनरशिप हुई 455 रन की. मात्र 5 घंटे में. दूसरे विकेट के रूप मेंआउट हुए कमल भंडारकर. इसके बाद क्रीज़ पर आये शरद देवधर. दिन खत्म हुआ 587 पर 2विकेट. इस वक़्त निम्बलकर का पर्सनल स्कोर था 301 रन. तीसरे दिन फिर से महाराष्ट्रकी टीम बैटिंग करने उतरी. तीसरे दिन भी वही हाल. निम्बलकर मार रहे थे. और मारे हीजा रहे थे. काठियावाड़ की टीम बस खड़ी थी और गेंद फेंक कर बॉलर को दे रही थी. देवधरऔर निम्बलकर ने तीसरे विकेट के लिए 242 रन की पार्टनरशिप की. देवधर 92 रन पर आउटहुए और उनके बाद मोहन लाल तुरंत ही आउट हो गए. महाराष्ट्र 801 पर 4 विकेट. मगरनिम्बलकर चालू थे. 400 रन लंच के बाद पार किये. और अब सामने था दुनिया का सबसे बड़ारिकॉर्ड. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड. जो तब तक थासर डॉन ब्रैडमैन के नाम पर. डॉन ने 452 रन बनाये थे. न्यू साउथ वेल्स के लिए खेलतेहुए. क्वींसलैंड के खिलाफ़. चायकाल तक महाराष्ट्र की टीम 826 पर 4 विकेट पर खेल रहीथी. निम्बलकर 443 रन पर रुके हुए थे. ब्रैडमैन का रिकॉर्ड मात्र 9 रन दूर था. एकसेशन और अगला पूरा दिन बचा हुआ था. और साथ ही महाराष्ट्र के पास भी 912 रन के टीमके रिकॉर्ड को तोड़ने का मौका था. महाराष्ट्र को होलकर टीम का चार साल पहले बनायारिकॉर्ड तोड़ना था. लक्ष्य पास ही था.कठियावाड़ के कप्तान की बदमिजाज़ीकठियावाड़ के कप्तान यानी राजकोट के ठाकुर साहब ने मैच में 2 ओवर फेंके थे. उन्हें16 रन मारे गए थे. ये वो दौर था जब चायकाल में सभी प्लेयर्स मैदान में ही खड़े होकरचाय पीते और नाश्ता करते थे. उसी वक़्त कप्तान साहब बिदक गए. उन्होंने सामने वालीटीम से कहा कि वो बोर रहे हैं. महाराष्ट्र की टीम डिक्लेयर करे. नहीं तो वो घर चलेजायेंगे और मैच नहीं होगा. महाराष्ट्र की टीम और उसके कप्तान राजा गोखले सन्न होगए. ऐसी शर्तें पहले कभी किसी ने नहीं सुनी कि कोई मैच इसलिए बंद हो जाए क्यूंकिसामने वाला कप्तान बोर हो रहा था. ठाकुर साहब को समझाया गया कि निम्बलकर रिकॉर्डतोड़ने के कितने नज़दीक हैं. और साथ ही महाराष्ट्र की टीम भी रिकॉर्ड तोड़ने वाली है.मगर ठाकुर साहब ने नहीं सुनी. कठियावाड़ के प्लेयर्स अपना सामान पैक करके स्टेशन कीओर रवाना हो गए. सालों बाद निम्बलकर ने कहा, 'मुझे रिकॉर्ड के बारे में मालूम नहींथा. अगर मुझे मालूम होता कि टी के वक़्त ऐसा होने वाला है तो मैं पहले ही वो रिकॉर्डतोड़ देता. मगर पैवेलियन से मेरे कैप्टन ने बोला कि तुम आराम से खेलो तो मैं वैसे हीखेलने लगा.' निम्बलकर ने 8 घंटे 14 मिनट बैटिंग की. 46 चौके और 1 छक्के के साथ.निम्बलकर याद करते हुए एक और दिलचस्प बात बताते हैं, 'सर डॉन ब्रैडमैन ने वायरलेसपर कठियावाड़ के कैप्टन से बात की और उन्हें बोला कि मैच यूं न रोका जाए. मगरकठियावाड़ के कैप्टन हिले ही नहीं. उनकी टीम ट्रेन पकड़ने चली गयी.' सालों बाद हनीफमोहम्मद ने 499 रन बनाये. फिर रन आउट हो गए. भावलपुर के खिलाफ़. और 1994 में ब्रायनलारा ने डरहम के खिलाफ़ 501 रन बनाये. निम्बलकर का 443 रन का स्कोर आज भी फर्स्टक्लास में किसी भी इंडियन बैट्समैन का सबसे ज़्यादा रनों का रिकॉर्ड है.