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पिता ने जमीन गिरवी रख भेजा था खेलने, अब गोल्ड लाकर की है भरपाई

पंजाब छोड़ हरियाणा से खेलने को मजबूर हुआ था ये एथलीट.

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एशियन गेम्स में गोल्डन जम्प लगाते अरपिंदर सिंह(फोटो-ट्विटर).
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मनदीप
30 अगस्त 2018 (Updated: 30 अगस्त 2018, 12:38 IST)
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साल था 2007. पंजाब के अमृतसर जिले में एक गांव है हरसा चीना. गांव के एक रिटायर्ड फौजी जगबीर सिंह अपनी आर्थिक तंगी से परेशान थे. जगबीर अपनी जवानी में खिलाड़ी बनना चाहते थे, लेकिन हाथ में पैसा नहीं था.  2007 में उनके छोटे बेटे ने गेम खेलने की इच्छा जाहिर की. घर में पैसे की तंगी जरूर थी लेकिन जगबीर पैसे की कमी के आगे बेटे की इच्छा का गला नहीं घोंटना चाहते थे. उस बच्चे को लेकर वो जालंधर स्पोर्ट्स स्कूल पहुंचे और यहां दाखिला करवा दिया. यहां लड़के ने ट्रिपल जम्प में अपना दम दिखाया. थोड़े ही समय में लड़का निखरने लगा. अगले साल लड़के ने स्टेट और नेशनल लेवल पर मेडल जीतकर अपने पिता को ये यकीन दिला दिया कि वो जरूर बड़ा नाम करेगा.

साल 2014. 7 साल बीत चुके थे और ये लड़का 22 साल का हो चुका था. वो इसी गेम में स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स खेलने पहुंचा था. उसके लिए इस तरह का ये पहला बड़ा इवेंट था. लड़के ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. उसे उम्मीद थी कि मेडल जीता है तो पंजाब सरकार से ज्यादा आर्थिक मदद नहीं मिली. नौजवान के पिता घर की माली हालत से परेशान जरूर थे, मगर किसी भी हालत में बेटे का खेल नहीं छुड़वाना चाहते थे. बेटे की प्रैक्टिस जारी रखवाने के लिए जगबीर सिंह ने जमीन को गिरवी रख क़र्ज़ ले लिया. क़र्ज़ बढ़ते-बढ़ते 5 लाख हो गया था. जैसे तैसे  जगबीर ने कर्ज चुका दिया. लेकिन असल क़र्ज़ तो बेटे ने चुकाया है 29 अगस्त 2018 को.  मेडल जीतकर. वो भी गोल्ड. इस बेटे का नाम है अरपिंदर सिंह है जिसने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हो रहे 18वें एशियन गेम्स में ये गोल्ड मेडल जीता है.


एशियन गेम्स में मेडल जीतने के बाद फोटो खिंचवाते हुए अरपिंदर.
एशियन गेम्स में मेडल जीतने के बाद फोटो खिंचवाते हुए अरपिंदर.

भारत के लिए ट्रिपल जम्प में 25 साल के अरपिंदर ने ऐसी छलांग लगाई कि कोई उसके आसपास नहीं पहुंच सका. ये दूरी थी 16.77 मीटर की. चुनौती देने चीन और कजाकिस्तान के लड़के जरूर आए, मगर अरपिंदर के आगे नहीं निकल पाए. उज्बेकिस्तान के रसलान कुरबानोव ने 16.62 मीटर छलांग लगाकर सिल्वर और चीन के शुओ काओ ने 16.56 मीटर छलांग लगाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता है. इसी इवेंट में भारत के सुरेश बाबू भी भाग ले रहे थे लेकिन वो मेडल जीतने में असफल रहे.

भारत ने एशियन गेम्स के ट्रिपल जंप में 48 साल बाद गोल्ड जीता है. अरपिंदर से पहले पंजाब के ही महिंदर सिंह ने 1970 के एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. 

जब 2014 कॉमनवेल्थ में कांसा जीता तो पंजाब सरकार ने अरपिंदर की कोई ख़ास मदद नहीं की. उनके एक हरयाणवी रिश्तेदार ने उन्हें हरियाणा से खेलने की सलाह दी. जिसके बाद एथलीट अरपिंदर ने खेल को जारी रखने के लिए पंजाब छोड़कर हरियाणा के सोनीपत में रहना शुरू कर दिया. अरपिंदर ने हरियाणा की ओर से खेलते हुए 2015 में नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल के साथ-साथ बेस्ट एथलीट का खिताब भी अपने नाम किया था. सोनीपत में उनके साथ रह रहे उनके रिश्तेदार विकास ने लल्लनटॉप को बताया, "अरपिंदर को पंजाब सरकार से कोई ख़ास सहायता नहीं मिल रही थी जिसके कारण वह हमारे पास यहां सोनीपत आकर रहने लगा था. अरपिंदर ने तो हरियाणा का राशन कार्ड और वोटर कार्ड तक बनवा लिया है. 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में चोट के कारण मेडल नहीं जीत पाए थे. फिर भी उसने अपने ऊपर भरोसा नहीं छोड़ा और इस बार का एशियन गेम्स में मेडल जीतकर खुद को साबित कर दिया है." अरपिंदर अब तक 14 नेशनल और 4 इंटरनेशनल मेडल जीत चुके हैं. इतना ही नहीं वो ट्रिपल जम्प के नेशनल रिकॉर्डधारी भी हैं. उन्होंने 2014 में नेशनल रिकॉर्ड 17.17 मीटर कूदकर बनाया था. अपने एक इंटरव्यू में अरपिंदर ने कहा है-


मैंने बहुत हार्डवर्क किया था, इसलिए पूरा यकीन था कि गोल्ड मैं ही जीतूंगा. मैंने 2007 से ही ट्रिपल जंप में मेडल जीतने शुरू कर दिए थे. 2011 नेशनल गेम्स के बाद से ही मैं लगातार गोल्ड जीत रहा हूं. मुझे अभी तक बस एक बार 2015 में सरकार ने करीब 6 लाख दिए थे, लेकिन मुझे आजतक पता नहीं चला कि वो पैसे किस इवेंट में जीतने के लिए दिए थे? अभी तक पंजाब सरकार के पास कोई स्पोर्ट्स पॉलिसी नहीं है, जिसकी वजह से खिलाड़ी जो कुछ थोड़ा बहुत जीत पा रहे हैं, वो खुद की मेहनत से जीत पा रहे हैं. मुझे अभी भी पंजाब सरकार से कोई ख़ास उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार ने पहले भी कुछ नहीं किया था तो अब क्या करेगी? 
2012 के एक इवेंट में जंप लगाते हुए अरपिंदर.
2012 के एक इवेंट में जंप लगाते हुए अरपिंदर.

 अरपिंदर की शिकायत जायज है क्योंकि उन्हें अपना गेम जारी रखने के लिए पंजाब छोड़कर हरियाणा शिफ्ट जो होना पड़ा. उनको उनकी मेहनत का फल मिल गया है. अब एशिया के इस नए चैंपियन को हमारी तरफ से झोला भर बधाई.




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