2611 मुंबई हमला: जब डकवर्थ लुइस नियम के जरिए अपनी मौत का अनुमान लगा रहे थे इंग्लिश क्रिकेटर्स!
अजीब ही बातें हो रही थी.
26/11. ये महीना और तारीख सुनकर मुंबई में हुआ आतंकी हमला याद आता है. जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने मुंबई के ताज होटल पर हमला बोल दिया था. और कई निर्दोष लोगों की जान चली गई थी. इस हमले से जुड़ी तमाम सारी बातें आपको पता होंगी. इसलिए उधर ना जाते हुए, हम आपको इस हादसे से जुड़ा इंग्लैंड क्रिकेट टीम का ए क़िस्सा सुनाते हैं.
इस क़िस्से की शुरुआत 26/11 के हमले से ही हो गई थी. क्योंकि इसी दिन इंडिया और इंग्लैंड के बीच पांचवां वनडे मैच खेला गया था. ये मैच कटक में हुआ था. और इसको टीम इंडिया ने जीतकर सात मैच की वनडे सीरीज में 5-0 की बढ़त बना ली थी. ये मैच वनडे था, तो शाम को खत्म हुआ.
क़रीबन उस समय के आस-पास तक, जब मुंबई में हमला शुरू हो गया था. और असल में शुरुआत के समय, इस घटना को आतंकी हमला नहीं माना जा रहा था. शुरू में ऐसा लगा जैसे ये कोई गैंगवॉर है. लेकिन धीमे-धीमे चीज़ें साफ हो गई. फिर पुलिस, आर्मी ने आकर हालात को संभालने की कोशिश की.
एकतरफ ये सबकुछ होता रहा, दूसरी तरफ जब इंग्लैंड को इसकी ख़बर लगी, तब अपने वतन लौटना ही बेहतर समझा. और इस कारण बचे हुए दो वनडे मुकाबले भी रद्द हो गए. इंग्लैंड का दौरा यहां पर ऑलमोस्ट समाप्त हो गया था.
बाद में उस समय के कप्तान केविन पीटरसन, इंग्लैंड की टीम को वापस इंडिया लेकर आए. सीरीज़ को पूरा करने के लिए. हालांकि इस बार लौटे अंग्रेजों ने हमारे साथ वनडे की जगह दो टेस्ट मैच खेले. ये पुराने शेड्यूल का ही हिस्सा थे. केविन ने अपनी टीम को हादसे के क़रीब 10 दिनों के अंदर ही वापस इंडिया आने के लिए मना लिया था.
और इसके लिए उनकी तारीफ पूरी दुनिया ने की थी. लेकिन इंग्लिश खिलाड़ी वापस आते हुए सोच क्या रहे थे, असल क़िस्सा ये है. और हम आपको यही बताएंगे. दरअसल, ये बात केविन पीटरसन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखी है. केविन ने बताया है कि हादसे के तुरंत बाद पूरी इंग्लिश टीम वापस लंदन लौट आई थी.
और सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट द्वारा स्थिति के आंकलन का इंतजार कर रही थी. केविन लिखते हैं,
‘इस बीच प्लेयर्स पर लगातार बचे हुए दो टेस्ट मैच खेलने का दबाव बनाया जा रहा था. इंग्लिश बोर्ड (ECB) को अपने कांट्रैक्ट को पूरा करना था. और उनको इंडिया के साथ अपने रिश्तों की भी चिंता हो रही थी. ऐसे में मुझे खिलाड़ियों को वापस इंडिया आकर खेलने के लिए मनाना था. मैंने कहा कि कोई खिलाड़ी वापस जाने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन मैं वापस जाना चाहता हूं. कुछ सीनियर्स प्लेयर्स नहीं जाना चाहते थे’
इस क़िस्से के बारे मे बताते हुए केविन ने आगे लिखा,
‘अंतत: हम अबु धाबी गए, कुछ दिन ट्रेन करने के लिए. इस बीच टेस्ट मैच के लिए अहमदाबाद, मुंबई की जगह चेन्नई और मोहाली में सिक्योरिटी सुविधाएं उपलब्ध की गई. और वहां (इंडिया) पहुंचने पर हमको सिक्योरिटी देने की बात कही गई. इस बीच टीम में अलग ही बातें चल रही थी.
जैसे हम लोग कहां मरेंगे, कौन हमें मार सकता है, किस तरीके से ये होगा, कौन हमको बचाएगा, वो हमको कैसे बचाएंगें. हमने अपनी मौत की गणना में लगभग डकवर्थ लुइस नियम लगा ही लिया था.’
अब अपने क़िस्से के अंत में आपको बता दें, कि इंग्लैंड, इंडिया आया था. और उन्होंने दो टेस्ट मुकाबले भी खेले. इसमें चेन्नई में हुआ पहला मैच इंडिया ने जीता और मोहाली में हुआ दूसरा मैच ड्रॉ हुआ था.
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