कहानी उस 'भूतहा जहाज’ की जो अमेरिका-जापान दोनों के काम आया
एक जहाज जो कुछ 80 साल बाद फिर से समंदर की गहराई से खोज निकाला गया. लेकिन इस जहाज के साथ खास बात ये है कि इसे डुबा देने के बाद भी दूसरी सेना के साथ देखा जाता रहा है. तभी शायद इसका नाम "Ghost Ship of the Pacific" पड़ा.
समंदर की गहराई, घुप्प अंधेरा और एक खोज. खोज में मिला एक जहाज का मलबा. वो भी 80 साल से भी ज्यादा पुराना. जहाज दूसरे विश्व युद्ध का. लेकिन खास बात ये नहीं कि ये जहाज दूसरे विश्व युद्ध का है. बताया जा रहा है कि ये जहाज युद्ध में अमेरिका और जापान दोनों की तरफ से लड़ा था, भला कैसे?
लाइव साइंस की खबर के मुताबिक, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को की कॉर्डेल बैंक नेशनल मरीन सैंचुरी से कुछ 80 किलोमीटर दूर, 3,500 फुट की गहराई में, द डिस्ट्रॉयर यूएसएस स्टीवर्ट (The Destroyer USS Stewart) का मलबा मिला. जिसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है.
दोनों देशों से क्या कनेक्शन?आखिरी बार साल 1946 में यह जहाज अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने टारगेट प्रैक्टिस के दौरान डुबा दिया था. लेकिन इसकी लोकेशन का ठीक-ठीक अंदाजा नहीं था. जब तक मरीन रोबॉटिक्स कंपनी ओसन इनफिनिटी के तीन ऑटोनामस अंडरवाटर वीकल या पानी के भीतर चलने वाले यान (AUVs) ने इसे खोज नहीं निकाला.
बताया जाता है कि इन AUVs ने 127 वर्ग किलोमीटर का एरिया छान मारा. वो भी महज 24 घंटों के भीतर.
ओसन इनफिनिटी के डायरेक्टर एंडी शेरेल्ल इस बारे में कहते हैं,
पहली बार कैसे डूबा?हमने बहुत जल्दी और बहुत हाई रेजोल्युशन में बड़ा इलाका कवर किया.
दरअसल इस स्टीवर्ट जहाज ने युद्ध की शुरुआत, यूएस डिस्ट्रॉयर DD-224 के तौर पर की. और नवंबर 1941 में बार्निओ जाने के लिए निर्देशित किया गया. ऐसा अमेरिका के विश्व युद्ध में शामिल होेने के कुछ पहले ही किया गया था. युद्ध के दौरान ये अमेरिकी युद्धपोत के अन्य युद्धपोतों के साथ चलता रहा.
पर साल 1942 के फरवरी महीने में, इंडोनेशिया के बाली के पास यह जापानी युद्धपोतों की गोलियों से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ. लेकिन किसी तरह ये जावा के सुरबाया टापू तक पहुंच गया. फिर इस बंदरगाह पर जापानियों ने हमला कर दिया. और जहाज डुबा दिया गया. लेकिन जापानियों द्वारा नहीं, बल्कि जहाज के खुद के ही क्रू ने इसके हल में बारूद लगाकर उड़ा दिया था. ताकि ये दुश्मन के हाथ ना लगे.
हालांकि इसके कुछेक साल के बाद ही जापानियों ने इसे बाहर निकाला, और इसका इस्तेमाल जापानी नेवी पेट्रोल बोट की तरह करती रही. जब तक साल 1945 में युद्ध खत्म नहीं हो गया.
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जिसके बाद जहाज एक बार फिर अमेरिका के पाले में आ गया. और इसे कुछ दिनों के लिए अमेरिकी नेवी को दे दिया गया. और अंत में एक रोज इसे रिटायर करके, टारगेट प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा.
शायद इन्हीं वजहों से स्टीवर्ट को ‘घोस्ट शिप ऑफ द पैसिफिक’ (Ghost Ship of the Pacific) कहा जाने लगा. बताया जाता है कि अपने इस जहाज को अमेरिकी पायलट दुश्मन सेना लाइन के पीछे देखा करते थे. और ये रहस्य बना रहा कि डुबा दिया गया जहाज दुश्मन के पास कैसे पहुंचा.
लेकिन आखिर में यह राज सुलझा, जब युद्ध के अंत में इसे हिरोशिमा के पास जापानी पोर्ट कुरे में इसे फिर से देखा गया. और पूरी कहानी पता चली.
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