The Lallantop
X
Advertisement

डायबिटीज से लेकर स्ट्रोक तक, वायु प्रदूषण ने भारत में साल भर में 21 लाख की जान ले ली!

Air Pollution: देश की राजधानी में AQI का हाल बुरा है. इस हवा की तुलना सिगरेट से भी कर दी जाती है. आइए जानते हैं कि ये प्रदूषित हवा हमें किन बीमारियों का शिकार बना रही है?

Advertisement
Air pollution AQI in Delhi
PM 2.5 दिमाग को भी बना रहे हैं बीमार! (सांकेतिक तस्वीर, PTI)
pic
राजविक्रम
23 अक्तूबर 2024 (Updated: 23 अक्तूबर 2024, 13:13 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

ठंड ने अभी ठीक से दस्तक भी नहीं दी है. और दिल्ली के तमाम इलाकों में एयर क्वालिटी (AQI in Delhi) का लेवल लाल निशान पर पहुंच गया है. कई इलाकों पर ये 350 के पार हो गया है. कहें तो बेहद खराब हवा (very poor AQI) का संकेत. आगे इस पर राजनीति वगैरह जो भी हो, हर साल होती है. पर एक बात जिससे आम इंसान की जिंदगी जुड़ी है. वो है इस प्रदूषण के साथ आने वाली खतरनाक बीमारियां. अक्सर हम खराब हवा को सिर्फ फेफड़ों की बीमारियों से जोड़कर देखते हैं. लेकिन इससे डायबिटीज, स्ट्रोक और भूलने की बीमारी का खतरा भी हो सकता है. समझते हैं इस पूरे मामले को जिससे इस अनदेखे खतरे को समझा जा सके. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साल 2021 के आंकड़ों की मानें, तो दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की वजह से होती हैं. हालिया सालों में कमोबेश ऐसे ही आंकड़े देखने को मिलते हैं. एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में इसी साल 81 लाख मौतें हुईं. वहीं भारत में अकेले इस साल करीब 21 लाख लोगों ने वायु प्रदूषण के चलते अपनी जान गंवा दी.

आंकड़ों से इतर अब बात करते हैं कि ये प्रदूषण हमें किन-किन बीमारियों की जद में लाता है.

PM 2.5 का डायबिटीज से भी है रिश्ता

PM 2.5 यानी कि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 - ये हवा में मौजूद धूल-मिट्टी और केमिकल्स वगैरह के कण होते हैं. जिनका साइज बेहद छोटा होता है. कहें तो 2.5 माइक्रोमीटर के आसपास का आकार. तुलना के लिए बता दें कि इंसानी बाल का व्यास, औसतन कुछ 50 माइक्रोमीटर हो सकता है. 

झश2.5
बाल के साइज के मुकाबले PM 2.5 (Credit: epa.gov)

अब ये कण इसलिए भी खतरनाक हैं क्योंकि ये हवा के जरिए सीधे हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. फिर वहां से हमारे खून तक और फिर इसके केमिकल हमारे बाकी अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

सिगरेट से तुलना

अक्सर प्रदूषण के खतरे को समझने के लिए इसकी तुलना सिगरेट से की जाती है. दरअसल अमेरिका के बर्कले अर्थ के साइंटिस्ट रिचर्ड म्यूलर और एलिजाबेथ म्यूलर ने ये तरीका बताया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर हवा में PM 2.5 की कंसन्ट्रेशन 22µg/m3 है, तो यह एक सिगरेट जितना नुकसान पहुंचा सकता है.

खराब हवा और खराब सेहत

वहीं जुलाई 2023 में ही देश में हुई एक बड़ी रिसर्च में वायु प्रदूषण और डायबिटीज के बीच संबंध होने की बात भी कही गई. लैंसेट में छपी इस रिसर्च के मुताबिक, PM 2.5 और बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल में संबंध पाया गया.

वहीं न्यूरोलॉजी में छपी एक रिसर्च की मानें तो ये महीन PM 2.5 पार्टिकल दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इनके साथ अल्जाइमर (भूलने की एक तरह की बीमारी) का नाम भी जोड़ा जा रहा है. यानी ये जहरीली हवा सिर्फ हमारे फेफड़ों तक सीमित नहीं है. यह दिमाग तक पहुंच रही है.

वहीं कई स्टडी में प्रदूषण के हड्डियों पर पड़ने वाले असर के बारे में भी बताया जाता है. इसकी वजह से हड्डियों में मिनरल की डेंसिटी कम यानी कैल्सियम वगैरह खोना, हड्डियां कमजोर होना और बुजुर्गों में फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ने की बात भी कही जाती है. 

'दिल-ओ-दिमाग़' को भी खतरा! 

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल से जुड़ी बीमारियों से हुई मौतों में 19 फीसदी के पीछे वायु प्रदूषण का हाथ था. 

हालांकि प्रदूषित हवा में कोई एक चीज़ तो होती नहीं, जिससे बीमारियों को जोड़ा जा सके. यह तरह-तरह के जहरीले केमिकल्स का मिश्रण है. जिनसे जुड़ी कई बातें हमें मालूम हैं. कई समय-समय पर पता चलती रहती हैं. 

वहीं ये भी बताया जाता है कि दुनिया भर में स्ट्रोक से जुड़ी मौतों में - हर साल करीब एक करोड़ पचास लाख जानें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं. यानी इसके तार दिमागी दौरे से भी जोड़े जाते हैं.

कैंसर का खतरा! 

वायु प्रदूषण के साथ फेफड़ों के कैंसर की चर्चा भी आती है. एडवांसेस इन ह्यूमन बायोलॉजी में छपी एक रिसर्च के मुताबिक ये तस्वीर भारत के लिए कुछ ठीक नजर नहीं आती है.

बताया जाता है कि कई बड़े भारतीय शहरों में औसत एंबिएंट एयर पॉल्युशन सुरक्षित माने जाने वाले लेवल के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा है. जिसके चलते कई भारतीय शहरों में लंग कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता भी जताई जाती है. 

ये भी बताया जाता है कि PM 2.5 से जुड़े कैंसर का रिस्क सिगरेट पीने वालों के साथ-साथ ना पीने वालों पर भी है. 

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने PM और बाहरी वायु प्रदूषण को कार्सिनोजेनिक यानी कैंसर पैदा कर सकने वाला भी बताया है. इसे ग्रुप-1 कार्सिनोजेन्स में रखा गया है, जिसमें तंबाकू, रेडियोएक्टिव तत्व वगैरह को भी रखा गया है. 

हालांकि यह ऐसा खतरा है जिसे हम देख भी नहीं सकते. लेकिन ये महीन कण बड़ी बीमारियों की जड़ बन सकते हैं. इसलिए इनसे बचने के जितने हो सके उतने उपाय कर ही लेने चाहिए.

वीडियो: उस कीड़े की कहानी, जिसने चार नोबेल प्राइज जिताने में मदद कर डाली!

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement