एलन मस्क के रॉकेट को ‘मैकाज़िला की चौपस्टिक्स’ ने हवा में ही धर लिया, वीडियो आया सामने
Space: रॉकेट के लिफ्ट ऑफ के T+6 मिनट 37 के बाद Chopsticks ने बूस्टर को पकड़कर इतिहास बना डाला. मानो दो मशीनें एक दूसरे को गले लगा रही हों.
एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेस-एक्स (Space X) ने दुनिया का एक ऐसा पहला कारनामा कर दिखाया है. जिसमें एक भारी-भरकम रॉकेट को हवा में ही पकड़ लिया गया. स्पेस टेक की दुनिया में ये एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही हैै. ऐसा पांचवीं टेस्ट फ्लाइट के दौरान किया गया है. बताया जा रहा है कि स्पेस टेक की दुनिया में इससे बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं. समझते हैं ये किया कैसे गया.
बीबीसी की खबर के मुताबिक, स्पेस-एक्स के यान का निचला हिस्सा, उड़ान पूरी करके वापस अपने लॉन्च टॉवर पर पहुंचा. जहां दो मैकेनिकल हाथों ने इस रॉकेट को बीच हवा में ही दबोच लिया. यह काम टेक्सस में मौजूद स्पेस-एक्स के स्टार बेस फैसिलिटी में किया गया है. यह कुछ 232 फुट लंबा बताया जा रहा है.
इसमें बड़ा कारनामा क्या है? दरअसल पहले रॉकेट को एक बार लॉन्च करने के बाद, वापस लाना मुमकिन नहीं था. यानी एक रॉकेट का इस्तेमाल एक ही लॉन्च में किया जा सकता था. और यह खर्चीला काम भी था.
लेकिन फिर एलन मस्क की कंपनी ने फिर से इस्तेमाल किए जा सकने वाले, रियूजेबल रॉकेट्स पर काम करना शुरु किया. इसमें कुछ काम वो पहले ही कर चुके हैं. लेकिन इस भारी भरकम रॉकेट को हवा में पकड़ लेना, पूरी तरह से फिर से इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट बनाने की तरफ एक बेहतर कदम साबित हो सकता है. और स्पेस में सैटेलाइट्स वगैरह ज्यादा आसानी और कम खर्च पर भेजे जा सकते हैं.
जब ये रॉकेट सफलता पूर्वक पकड़ लिया गया तो स्पेस-एक्स के इंजीनियर्स ने कहा,
इतिहास में ये दिन दर्ज कर लिया गया.
बता दें रॉकेट का निचला हिस्सा, जिसे सुपर हेवी बूस्टर नाम दिया जाता है. पहली बार में इसे पकड़ने के चांस बहुत कम थे.
लॉन्च से पहले स्पेस-एक्स की टीम का भी कहना था कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. अगर बूस्टर को जमीन या फिर मेक्सिको की खाड़ी की तरफ भेजना पड़ जाए.
कैसे किया गया ये कामदरअसल इस 232 फुट लंबे सुपर हेवी बूस्टर ने एक के बाद एक सीरीज से, बेहद सटीक बर्न किए. कहें तो आग उगली, जिससे यह अपनी रफ्तार और पोजीशन को मेंटेन कर सके. ऐसा करते-करते ये ये रॉकेट ‘मैकाज़िला’ नाम के खास संरचना वाले टॉवर के पास पहुंचता है. और उसके दो हाथ उसे दबोच लेते हैं. जिन्हें नाम दिया गया है, ‘चौपस्टिक्स’.
रॉकेट के लिफ्ट ऑफ के T+6 मिनट 37 के बाद ‘चौपस्टिक्स’ ने बूस्टर को पकड़कर इतिहास बना डाला. मानो दो मशीनें एक दूसरे को गले लगा रही हों.
जब यह काम सफलता पूर्वक कर लिया गया तो पूरी टीम खुशी से झूम उठी. कमरा तालियों और शोर से भर गया.
ये भी पढ़ें: एक बैक्टीरिया की मदद से जापान वालों ने ऐसी तलवार बना दी जो बंदूक की गोली को भी बीच से फाड़ दे!
दरअसल इस मिशन में सिर्फ एक यही काम नहीं था. रॉकेट के ऊपर वाले हिस्से को सफलता पूर्वक हिंद महासागर में सुपुर्द कर दिया गया. चूंकि ये टेस्ट था इसलिए ऐसा किया गया. लेकिन माना जा रहा है कि स्पेस एक्सप्लोरेशन या खोज के मिशन्स के दौरान ये तकनीक खास काम आने वाली है.
नासा के अधिकारियों ने भी इस मिशन पर नजर बनाई रखी. और इसकी मदद से चांद वगैरह पर भेजे जाने वाले मिशन्स के लिए उत्साहित दिखे. दरअसल नासा और स्पेस एक्स इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी में भी हैं.
अब देखिए इस सफलता से आगे हमारे जीवन में क्या बदलाव आते हैं?
वीडियो: America: ट्रंप पर हमला किसने किया? क्या बोले Elon Musk, Joe Biden और Kamla Harris?