पराली से दिल्ली की 'जहरीली हवा' का रिश्ता तो है, मगर राजधानी के प्रदूषण के लिए ये भी हैं कसूरवार
Delhi AQI: रिपोर्ट में बताया गया कि जब आग जलाने के मामले नहीं थे, तब दिल्ली की औसत AQI 175 रही. जिसे मॉडरेट कैटेगरी में रखा जाता है. वहीं पराली जलाने के सीजन में यह AQI कम से कम 233 रहा, जिसे Poor या खराब कैटेगरी में रखा जाता है.
एक हालिया रिपोर्ट में हरियाणा और पंजाब में पराली (Haryana and Punjab Stubble burning) जलाने के मामलों का - दिल्ली की खराब होती हवा (Delhi AQI) में संबंध बताया गया है. क्लाइमेट ट्रेंड की इस रिसर्च में साल 2019 से 2023 के बीच डेटा का एनॉलसिस किया गया. और राज्यों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स पराली जलाने को समस्या का बस एक पहलू ही बताते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 से 2023 के बीच आग के मामलों में काफी बदलाव देखे गए हैं. वहीं हाल के सालों में इनमें कमी की बात भी कही जा रही है. साल 2019 में हरियाणा में आग जलाने के 14,122 मामले देखे गए, वहीं साल 2023 में आग जलाने के 7,959 मामले आए. पंजाब में साल 2019 और 2023 में क्रमश: 68,550 और 52,722 मामले देखे गए.
हालांकि ये भी बताया जाता है कि इन कमियों के बावजूद सितंबर और दिसंबर के महीनों के बीच - बाकी साल के मुकाबले आग जलाने के ज्यादा मामले देखे गए. ये भी बताया गया इसका दिल्ली की हवा की क्वालिटी पर काफी असर रहा.
बताया गया कि जब आग जलाने के मामले नहीं थे, तब दिल्ली की औसत AQI 175 रही. जिसे मॉडरेट कैटेगरी में रखा जाता है. वहीं पराली जलाने के सीजन में यह AQI कम से कम 233 रहा, जिसे Poor या खराब कैटेगरी में रखा जाता है.
रिपोर्ट के एनॉलसिस में ये भी कहा गया कि पंजाब और हरियाणा में हुए, हर आग के मामले में दिल्ली की AQI में 103 युनिट की बढ़त देखी गई. और यह नई बात नहीं कि खराब हवा से सेहत पर क्या असर पड़ते हैं? इसके बारे में विस्तार से आप नीचे क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
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सिर्फ यही एक वजह नहींवहीं ANI की रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है - हालांकि पराली जलाना एक गंभीर मुद्दा है ,जिस पर काम करने की जरूरत है. लेकिन यह अकेला कारण नहीं है जिसकी वजह से दिल्ली की हवा खराब हो रही है. बताया जाता है कि दिल्ली के प्रदूषण के दिल्ली के भीतर ही कई कारण हो सकते हैं.
मंगलवार, 22 अक्टूबर को दिल्ली में पर्यावरण को लेकर एक वर्कशॉप हुई थी. ‘क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर इन इंडिया’ नाम की इस वर्कशॉप में साइंटिस्ट ने इन मुद्दों पर बात की.
इस मामले में IIT दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फिरिक साइंसेज के प्रोफेसर, सागनिक डे ने डेटा दिखाते हुए, ये भी बताया कि दिल्ली का लगभग आधा प्रदूषण दिल्ली के भीतर की वजहों से होता है.
वो कहते हैं कि हमें राज्य बनाम राज्य की बहस से बाहर आना होगा. और इलाके को लेकर एक ठीक एक्शन प्लान बनाना होगा.
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