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'शर्मीले' माने जाने वाले भेड़िए आदमखोर कैसे हो गए?

Bahraich Wolf attacks: बताया जाता है इंसानी बस्तियों में भेड़ियों के हमले आम नहीं हैं. बाघ या तेंदुओं के मुकाबले भेड़िए कम इंसानों की जाने लेते हैं. फिर किन वजहों से बहराइच के भेड़िए आदमखोर हो गए?

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Bahraich wolf attack explained
बहराइच में पकड़े गए एक भेड़िए की तस्वीर (Image: India Today)
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राजविक्रम
3 सितंबर 2024 (Published: 18:45 IST)
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पहली बार होगा, जब मार्कोस रॉड्रिगेज़ पैंटोजा ने रेडियो पर कोई आवाज सुनी. सुनते ही कुछ बीस साल का वह लड़का चौंक गया. मार्कोस बताते हैं कि उन्हें लगा कुछ लोग छोटे से बॉक्स में फंस गए हैं. वो वहां (रेडियो में) लंबे समय से फंसे हैं. कमरे में कोई और नहीं था. लेकिन मार्कोस को लोगों के बात करने की आवाजें आ रही थीं. बताया जाता है, मार्कोस को कोई दिमागी बीमारी नहीं थी- तो फिर उन्हें ऐसा क्यों लग रहा था? 

अगस्त, 2018 में द गार्डियन में छपी एक खबर में मार्कोस की कहानी बताई जाती है. मार्कोस के मुताबिक, साल 1953 में जब वो सात साल के थे, तब वो घर से निकल गए थे. जंगल में भेड़ियों ने उन्हें बड़ा किया. बकौल मार्कोस भेड़ियों ने उनकी रक्षा की, उन्हें छत मुहैया करवाई. जब तक इंसानों ने उन्हें खोजा नहीं.

एक कहानी ब्रिटिश राज के दौर में भारत के एक बच्चे की भी सुनने मिलती है. अवध में तैनात ब्रिटिश अफसल हेनरी स्लीमैन, जंगल से पकड़कर लाए गए कुछ बच्चों का जिक्र करते हैं. छह बच्चे, जो जंगल में भेड़ियों की मांद में पाए गए थे.

स्लीमन जिक्र करते हैं कि इनमें से एक बच्चा लखनऊ के एक व्यापारी को दिया गया था. लेकिन भेड़िए बच्चे से मिलने वहां भी चले आते थे. व्यापारी का एक नौकर बच्चे के बगल ही सोया करता था. जो बताता था कि रात में भेड़िए बाड़े के भीतर आ जाते थे और बच्चे के साथ खेलते थे.

ऐसी ही कुछ और कहानियां भेड़ियों और इंसानी बच्चों की सुनने मिलती हैं. हालांकि इनके कोई ठोस सबूत नहीं मिलते, सिवाय सुनाए गए किस्सों के.

भेड़िए कम खतरनाक

आंकड़े बताते हैं कि भेड़िए हर साल शेर या बाघ के मुकाबले कम जानें लेते हैं. भेड़ियों को बाघ वगैरा से कम खतरनाक माना जाता है.

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की मानें- तो सांप इन सब से ज्यादा, करीब 81 हजार से 1.3 लाख लोगों की जान लेते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भेड़ियों के इंसानों पर हमले इस मुकाबले काफी कम देखने मिलते हैं. यहां तक इन्हें शर्मीला जानवर भी बताया जाता है, जो हर हाल में इंसानों से दूर रहना चाहता है.

जंगली जानवरों और इंसानों के बीच यह संघर्ष, टेक्निकल शब्दों में ह्यूमन-वाइल्ड लाइफ कॉन्फ्लिक्ट कहा जाता है. ये थोड़ा बड़ा मामला है, इसको भी समझेंगे - शुरुआत हम बहराइच के भेड़ियों से करते हैं.

क्यों आदमखोर हुआ भेड़िया? 

पहले अब तक हुआ, बहराइच का पूरा मामला एक बार समझ लेते हैं. द हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, बहराइच में इस साल 18 मार्च से लेकर अब तक, भेड़ियों के हमले में 10 जानें गई हैं. वहीं पचास से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबरें भी हैं.

बताया जाता है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में ऐसे मामले साल 1996-97 में जौनपुर-सुल्तानपुर के आस-पास इलाकों में सामने आए थे. यहां भेड़ियों ने 42 बच्चों की जान ली थीं.

bahraich wolf
साल 1996-97 में भी ऐसी भेड़ियों से जुड़ी ऐसी घटनाएं सामने आई थीं (तस्वीर: इंडिया टुडे)

फिर साल 2003 में बलरामपुर से भेडि़यों के हमलों की खबरें आईं. लेकिन फिर करीब दस साल तक ऐसी खबरें कम ही सुनने मिलीं, तो अचानक से बहराइच में भेड़ियों के बढ़ते हमलों के पीछे क्या वजह हो सकती हैं?

इस बारे में हमने वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के पूर्व डीन यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला से बात की जो लंबे समय से जंगली जानवरों के अध्ययन के साथ जुड़े रहे हैं. वो बताते हैं, 

भेड़िए दुनिया में लगभग हर जगह पाए जाते हैं, अगर अंटार्कटिका वगैरा को छोड़ दें तो. भारत में भी ये पाए जाते हैं. और भारत में पाई जाने वाली प्रजाति सबसे प्राचीन है. ये बाघ से भी ज्यादा दुर्लभ हैं, इनकी संख्या करीब दो हजार के आस-पास बची है.

वैसे तो ये कई राज्यों में पाए जाते हैं, यूपी में अधिक मिलते हैं. पर कहीं भी ऐसे हमले सुनने को नहीं मिलते हैं. कुछ दशक पहले बिहार से भी बच्चों को मारने की घटनाएं आई थीं. लेकिन इनका ऐसा व्यवहार काफी रेयर है, दुर्लभ है. यहां (बहराइच) हालात ऐसे बने हुए हैं, जिनकी वजह से ये हमले हो रहे हैं.

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चिड़ियाघर में मौजूद भारतीय भेड़िए, जिनकी संख्या सिर्फ दो हजार के आस-पास बताई जाती है. (तस्वीर: विकीमीडिया)

वो आगे बताते हैं कि ये भेड़िए बच्चों को अपनी खुराक मान रहे हैं क्योंकि प्रकृति में इनका खाना खत्म हुआ है. खरगोश, हिरन वगैरा इंसानों की बढ़ती आबादी और शिकार के चलते खत्म हुए हैं. इंसानों की आबादी इतनी बढ़ चुकी है कि जंगली भेड़ियों के रहने की जगह भी प्रभावित हुई हैं. यानी आबादी में शिकार करने के अलावा इन जानवरों के पास चारा कम है.

अनअटेंडेट बच्चे भी इन हमलों की एक वजह बताई जाती है. यानी वो छोटे बच्चे जिनके आस-पास कोई बड़ा ना हो. बकौल प्रोफ. यादवेंद्र भेड़िया काफी होशियार जानवर है. अगर किसी भेड़िए ने सीख लिया कि यहां बच्चों का शिकार करना आसान है, तो फिर वो भेड़िया खतरनाक हो जाता है. 

साथ ही इन इलाकों में गरीबी भी एक वजह है. घरों में पुख्ता दरवाजे और दीवारें ना होना भी इन हमलों की एक वजह बताई जाती है. 

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आमतौर पर ये शर्मीले होते हैं और इंसानों से दूर रहना पसंद करते हैं (तस्वीर: इंडिया टुडे)
वुल्फ-डॉग हाइब्रिड हो जाता है खतरनाक

जंगल में गिद्ध मरे हुए जानवरों को खाते हैं. लेकिन इंसानों के चलते इनकी आबादी में काफी गिरावट आई है. प्रोफ. यादवेंद्र बताते हैं कि इसकी वजह से कुत्ते जंगल में मरे जानवरों का मांस खा रहे हैं. उनकी आबादी बढ़ रही है. और ये भेड़ियों के साथ मिलकर बुल्फ-डॉग हाइब्रिड बना सकते हैं.

ये जानवर बहुत खतरनाक हो जाता है. क्योंकि इसमें कुत्तों की तरह इंसानों का डर नहीं होता. और इनमें भेड़िए की तरह शिकार करने की क्षमता रहती है. बकौल प्रोफ. यादवेंद्र बहराइच के हमलों में भी इसका हाथ हो सकता है.

एक भेड़िया या कई?

वो आगे बताते हैं कि आमतौर पर भेड़िए झुंड में शिकार करते हैं, जब जंगल में शिकार पर्याप्त मौजूद हों. लेकिन जब शिकार कम होते हैं और इन्हें बकरी या भेड़ जैसे जानवरों का शिकार करना पड़ता है. तब ये अकेले निकलते हैं. क्योंकि ऐसे मामले में झुंड जल्दी नजर में पड़ जाते हैं.  

प्रोफ. झाला ये भी बताते हैं कि बहराइच में हो रही घटनाओं में किसी एक भेड़िए का भी हाथ हो सकता है, क्योंकि एक भेड़िए की खुराक एक बार में करीब 6-9 किलो होती है. ऐसे में शवों के आधार पर भी अनुमान लगाया जा सकता है कि यह किसी एक भेड़िए का काम है ना कि झुंड का.

बड़ी तस्वीर 

फरवरी 2023 में रिसर्च जर्नल नेचर में एक स्टडी आई. जिसमें बताया गया कि दुनिया में कम-आय वाले देशों में शिकारी जानवरों के हमले बढ़े हैं, जहां खेती की जमीन का हिस्सा ज्यादा था. वहीं जिन देशों में जंगलों का एरिया ज्यादा था वहां हमलों में कमी देखी गई. 

ह्यूमन-वाइल्ड लाइफ कॉन्फ्लिक्ट यानी जानवरों और इंसानों ऐसी घटनाओं के पीछे घटते जंगलों को एक वजह माना जाता है. जाहिर सी बात है अगर जानवरों की जगहों पर इंसान कब्जा कर लेंगे. तो जानवरों और इंसानों के बीच घर्षण की घटनाएं भी होंगी.

वीडियो: Bahraich में फिर से भेड़ियों का अटैक, गांववालों ने क्या बताया?

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