चीन में एक 60 साल की औरत डांस कर रही थी. तभी एक बहुत अजीब सी चीज़ हुई.नाचते-नाचते उसकी वजाइना के रास्ते मांस का एक टुकड़ा ज़मीन पर गिर गया. पहले महिलाको लगा शायद ज़्यादा नाचने की वजह से उसकी कोख गिर गई. वो फौरन डॉक्टर के पास गई. जबडॉक्टर ने जांच की तो पता चला वो मांस का टुकड़ा महिला का गर्भाशय यानी यूटरस था.दरअसल जो महिला के साथ हुआ उसे यूट्रीन प्रोलैप्स कहते हैं. क्या होता है यूट्रीनप्रोलैप्स आपको तफ़सील से बताएंगे. पर उससे पहले इन महिला के साथ क्या हुआ जान लेतेहैं.डॉक्टर को शक था कि महिला ने काफ़ी कम उम्र में एक बच्चे को जन्म दिया था. पैदा होनेके समय बच्चे का साइज़ भी शायद बड़ा था. उस समय महिला को प्रोलैप्स की दिक्कत हुईहोगी पर उसने इलाज नहीं करवाया.बात ये है कि महिला का गर्भाशय पहले ही अपनी जगह से फिसल कर नीचे आ गया था. उसकीवजाइना की ओपनिंग के ठीक ऊपर. पर पहले वो कभी महसूस नहीं हुआ. डॉक्टर्स ने महिला कीसर्जरी की. वो अब धीरे-धीरे ठीक हो रही है.तो आखिर क्या होता है यूट्रीन प्रोलैप्स?ये जानने के लिए हमने डॉक्टर वंदना खरे से बात की. वो फ़ोर्टिस मुंबई में स्त्रीरोगविशेषज्ञ हैं. उन्होंने बताया: “आपका गर्भाशय मांसपेशियों की मदद से अपनी जगह परटिका होता है. जब ये मांसपेशियां बहुत खिंचती हैं या कमज़ोर हो जाती हैं तो येगर्भाशय को पकड़कर नहीं रख पातीं. जिस वजह से प्रोलैप्स हो जाता है. ये तब होता हैहै जब गर्भाशय अपनी जगह से खिसकता है या गिरकर वजाइना तक आ जाता है. हो सकता हैगर्भाशय वहीं रहे. या कभी इतना नीचे आ जाए कि वजाइना से बाहर निकलने लगे.” आपकागर्भाशय मांसपेशियों की मदद से अपनी जगह पर टिका होता है.यूट्रीन प्रोलैप्स के क्या लक्षण हैं?अगर गर्भाशय बस थोड़ा सा ही अपनी जगह से खिसका है तो कोई लक्षण पता नहीं चलता. परअगर ये कंडीशन सीवियर है, यानी गर्भाशय ज़्यादा खिसक गया है तो ये लक्षण पता चलतेहैं:- ऐसा लगेगा जैसे आप किसी बॉल पर बैठी हैं- वजाइना से खून आएगा- वजाइना से सफ़ेद रंग का ज़्यादा डिस्चार्ज होगा- सेक्स करने में दिक्कत आएगी- गर्भाशय वजाइना के रास्ते से थोड़ा बहार निकलते हुए महसूस होगा- पेट के निचले हिस्से में बहुत कसाव महसूस होगा- कब्ज़ रहेगा या मल त्याग करने में दिक्कत होगी- पेशाब करने में भी बहुत मुश्किल होगीकिन वजहों से होता है यूट्रीन प्रोलैप्स?यूट्रीन प्रोलैप्स का ख़तरा उम्र के साथ बढ़ता रहता है. औरतों के शरीर में एस्ट्रोजननाम का हॉर्मोन भी बनता है. समय के साथ इस हार्मोन का बनना कम होता जाता है. तबयूट्रीन प्रोलैप्स का ख़तरा बढ़ जाता है. एस्ट्रोजन की वजह से ही गर्भाशय को पकड़ेरहने वाली मांसपेशियां मज़बूत रहती हैं. प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान भी येमांसपेशियां कमज़ोर कमज़ोर हो जाती हैं. जिनकी वजह से प्रोलैप्स हो जाता है. जिनऔरतों की एक से ज़्यादा नॉर्मल डिलीवरी हुई है या जिनको मेनोपॉज़ हो चुका है, उनकोज़्यादा ख़तरा होता है.कोई भी ऐसी चीज़ जो इन मांसपेशियों पर जोर डाले, यूट्रीन प्रोलैप्स का ख़तरा बढ़ा सकतीहै. इसके अलवा ओवरवेट होना, लगातार खांसी, और ज़्यादा कब्ज़ का भी यूट्रीन प्रोलैप्समें हाथ होता है.(फ़ोटो कर्टसी: Reuters)यूट्रीन प्रोलैप्स का क्या इलाज है?डॉक्टर वंदना खरे बताती हैं: “अगर आपका प्रोलैप्स ज़्यादा सीवियर है तो आप फौरन किसीडॉक्टर को दिखाइए. वो आपको बताएंगे कि आपका कैसे इलाज होना है. एक तरीका तो सर्जरीहै. पर ये हर केस में ज़रूरी नहीं. खासतौर पर अगर गर्भाशय ज़्यादा नहीं खिसका है तो.तब डॉक्टर आपको थोड़ा वेट घटाने के लिए कहेगा. ताकि आपकी मांसपेशियों पर ज़्यादा असरन पड़े. साथ भारी सामान न उठाना और कुछ एक्सरसाइज़ करना भी असरदार रहता है.” कैसे बचसकती हैं यूट्रीन प्रोलैप्स से?कुछ चीज़ें हैं जो यूट्रीन प्रोलैप्स का रिस्क कम करती हैं:- लगातार एक्सरसाइज़ करना- अपना वेट मेन्टेन करके रखना- वजाइना की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए कुछ एक्सरसाइज़- लंबे वक्त से खांसी है तो उसका इलाज करवाना--------------------------------------------------------------------------------वीडियो