ऑफिस में इस शिफ्ट में काम करते हैं? बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा!
बचने के लिए क्या तरीका अपनाएं?
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
आप चाहे कॉर्पोरेट में हो या किसी और नौकरी में, कई बार लेट नाइट या नाइट शिफ्ट करनी ही पड़ती है. ये शिफ्ट आसान नहीं होती. आप रात में सो नहीं सकते तो ज़ाहिर सी बात है दिनभर थकान महसूस होती है. पर बात यहां खत्म नहीं होती. कुछ समय पहले, यूरोपियन हार्ट जर्नल में एक रिसर्च छपी. इसके मुताबिक, जो लोग नाइट ड्यूटी करते हैं उनको दिल से जुड़ी समस्याएं ज़्यादा होती है. हार्ट अटैक का ख़तरा भी ज़्यादा होता है. पर सवाल है ऐसा क्यों? आज डॉक्टर्स से जानते हैं नाइट शिफ्ट आपके दिल के लिए ख़तरनाक क्यों है. साथ ही अगर आप नाइट ड्यूटी करना अवॉइड नहीं कर सकते, तो ऐसे में अपने दिल का ख्याल कैसे रखें.
नाइट शिफ्ट से दिल को किस तरह का ख़तरा होता है?ये हमें बताया डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने.
अक्सर ये देखा गया है कि जो लोग रात की शिफ्ट करते हैं, ख़ासतौर पर वो जो 10 साल से ज़्यादा नाइट शिफ्ट कर रहे हैं. ऐसे लोगों को हार्ट अटैक होने का 38 प्रतिशत ज़्यादा चांस होते हैं, बाकी लोगों के मुकाबले. ऐसे लोगों का ब्लड प्रेशर भी ज़्यादा रहता है. दिल की गति ज़्यादा होती है. एक बीमारी है एट्रियल फाइब्रिलेशन, इसमें दिल नॉर्मल तरीके से सिकुड़ता नहीं है. दिल कांपने लगता है. इससे छोटे-छोटे क्लॉट बन सकते हैं. ये क्लॉट ऊपर दिमाग में जा सकते हैं. इससे स्ट्रोक पड़ने का तीन गुना ज़्यादा चांस होता है. यही क्लॉट अगर दिल के अंदर जाएंगे तो हार्ट स्ट्रोक हो सकता है. अगर लगातार रात की नींद पूरी नहीं हो रही है तो शुगर लेवल बढ़ सकता है. स्ट्रेस लेवल बढ़ सकता है. वेट गेन हो सकता है. कुछ तरह के कैंसर भी हो सकते हैं.
कारण- शरीर का एक सर्कैडियन रिदम होता है जो नेचुरल लाइट पर निर्भर करता है, नाइट शिफ्ट में ये रिदम गड़बड़ा जाता है
-जैसे ही रात होती है दिमाग में मौजूद पिट्यूटरी ग्लैंड से एक हॉर्मोन रिलीज़ होता है जिसका नाम है मेलाटोनिन. मेलाटोनिन शरीर को रिलैक्स करता है, स्ट्रेस और कोर्टिसोल लेवल को कम करता है, अलर्टनेस कम करता है, नींद पैदा करता है.
- नींद पूरी न होने पर मेलाटोनिन के स्राव और उसके काम में रुकावट आती है.
-शरीर के DNA को जो नुकसान होता है, रात के 10 से सुबह के 5 बजे के बीच उसकी मरम्मत होती है. नींद के दरम्यान. लेकिन नहीं सोने के केस में भी इस प्रक्रिया में रुकावट आती है.
-शरीर के अंदर ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ जाएगा, ऑक्सीडेटिव तनाव की वजह से हार्ट रेट बढ़ सकता है. जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है, उन लोगों का हार्ट रेट कुछ दिनों में 100-115 तक पहुंच जाता है. 7-8 घंटे नींद पूरी होने की वजह से हार्ट रेट 50-60 तक बना रहता है
दिल का ख्याल कैसे रखें?
जब आप नाइट ड्यूटी कर रहे हैं तो लाइट एक्सपोज़र ज़्यादा रहे. शरीर को लगना चाहिए कि दिन है. मेलाटोनिन का रिसाव कम होना चाहिए. अलर्टनेस लेवल ज़्यादा होना चाहिए. शिफ्ट खत्म करने के बाद तुरंत घर जाने की कोशिश करिए. रास्ते में समय न बर्बाद करें. जाते समय डार्क सनग्लासेस पहनकर जाएं ताकि धीरे-धीरे शरीर को लग जाए कि अंधेरा होने वाला है. घर पहुंचकर पर्दे डालें, आंखों के लिए मास्क पहनें. कानों के लिए प्लग इस्तेमाल कर सकते हैं. जिससे लगे की रात है, आवाज़ न हो. मोबाइल, टीवी से दूर रहें. सोते समय किसी को डिस्टर्ब न करने दें. नॉर्मल डाइट रखिए. आसानी से पचने वाली चीज़ें खाएं. फ्राइड, फैटी, प्रोसेस्ड खाने से दूर रहें. कैफीन कम रखें. शराब, स्मोकिंग अवॉइड करें. हाइड्रेशन रखिए. नाइट ड्यूटी पर जाने से पहले थोड़ी नींद ज़रूर लीजिए. आधे-एक घंटे सोएं. इससे हार्ट रेट ठीक रहेगा.
नाइट ड्यूटी आपके दिल को किस तरह नुकसान पहुंचा सकती है, ये आपने जान लिया. इसलिए डॉक्टर साहब ने जो टिप्स बताई हैं, उन्हें पहाड़े की तरह रट लीजिए. नुकसान से बचे रहेंगे.
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