चेहरे पर लाल रंग की नसें क्यों दिखने लगती हैं?
शरीर या चेहरे के पर दिखने वाली लाल नसों को ब्रोकन कैपिलरीज़ कहा जाता है
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें. लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
वेदिका दिल्ली की रहने वाली हैं. 31 साल की हैं. इनके चेहरे पर लाल रंग की नसें दिखती हैं. ये दिक्कत कई सालों से थी. पर उम्र के साथ ये नसें और ज़्यादा साफ़ दिखने लगी हैं. वेदिका मॉडलिंग करती हैं. अब ये नसें उनके लिए एक परेशानी का सबब बन गई हैं. पहले वो फाउंडेशन की मदद से इन्हें ढकने की कोशिश करती थीं. पर अब ये नसें फाउंडेशन लगाकर भी दिखती हैं. वेदिका को कोई ख़ास हेल्थ प्रॉब्लम नहीं है, इसलिए उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है. वो चाहती हैं हम इस बारे में अपने रीडर्स को बताएं. तो चलिए, आज इसी पर बात करते हैं. क्यों दिखती हैं चेहरे पर लाल नसें? ये हमें बताया डॉक्टर प्रांजल ने.
डॉक्टर प्रांजल जोशी, डर्मेटॉलजिस्ट, वार्सिटी स्किन एंड वेलनेस क्लिनिक, नई दिल्ली
शरीर या चेहरे पर दिखने वाली लाल नसों को आमतौर पर ब्रोकन कैपिलरीज़ कहा जाता है. मेडिकल भाषा में इसे टेलंगीक्टेसिया कहा जाता है. ब्रोकन कैपिलरीज़ दरअसल कैपिलरीज़ के टूटने से नहीं होतीं. हमारी स्किन में ब्लड वेसल्स होती हैं यानी धमनियां. जब ये धमनियां बड़ी हो जाती हैं तो इसे डायलेटेड ब्लड वेसल्स कहते हैं. इस कंडीशन से सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. कई बीमारियों में भी ऐसा देखने को मिलता है. स्किन कैन्सर्स में भी कई बार लाल नसें देखने को मिलती हैं. अगर ब्रोकन कैपिलरीज़ साइज़ या नंबर में बढ़ रही हैं तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.
अगर ब्रोकन कैपिलरीज़ साइज़ या नंबर में बढ़ रही हैं तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें
कारण
-सबसे आम कारण है जेनेटिक
-दूसरा कारण है धूप में बहुत देर रहना, इससे कॉलाजेन और इलास्टिन नाम के प्रोटीन स्किन में कम हो जाते हैं
-प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं. ब्लड प्रेशर में बदलाव आता है. इस कारण भी लाल नसें दिखने लगती हैं
-प्रदूषण
-चेहरा ज़्यादा स्क्रब करना
-रोज़ेशिया से भी चेहरा लाल दिखता है
-शराब ज़्यादा पीना
-मिर्च, कॉफ़ी, चाय ज़्यादा पीने से
किन कारणों से आपके चेहरे या शरीर पर लाल रंग की नसें दिख रही हैं, ये आपने जान लिया. अब बात करते हैं बचाव और इलाज की.
बचाव
जेनेटिक कारणों पर ख़ास कंट्रोल नहीं है. लेकिन उसके अलावा जितने भी कारण हैं, उन्हें कंट्रोल किया जा सकता है. जैसे धूप से बचें, सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. जिन लोगों में ये दिक्कत है वो स्टीम लेने से बचें. चेहरे को बहुत गर्म पानी से न धोएं और मिर्च, कॉफ़ी, शराब चाय से परहेज़ करें.
अगर किसी कारण से ब्लड प्रेशर बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है या इन धमनियों की वॉल किसी कारण से ख़राब हो जाती हैं
इलाज
-कुछ घरेलू उपचार हैं जैसे ठंडे पानी से मुंह धोना
-एलोवेरा जेल लगाना
-कैलेमाइन और विटामिन सी के इस्तेमाल से मदद मिलती है
कैलेमाइन और विटामिन सी के इस्तेमाल से मदद मिलती है
-पर ये कारगर उन केसेज़ में होता है जब बिलकुल शुरुआत हुई हो. अगर ये नसें बढ़ जाती हैं तो घरेलू उपचार ज़्यादा कारगर नहीं होते. इसके लिए लेज़र ट्रीटमेंट की मदद ली जाती है. कुछ लेज़र खून में मौजूद हीमोग्लोबिन को टारगेट करते हैं. इससे खून गाढ़ा हो जाता है. वेसल्स की वॉल बिखर जाती हैं और ये ब्लड वेसल्स खत्म हो जाती हैं.
-एक आईपीएल सिस्टम आता है जो लेज़र की तरह ही काम करता है पर वो कम असरदार होता है
चलिए, उम्मीद है डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं वो वेदिका और इस परेशानी से जूझ रहे बाकी लोगों के ज़रूर काम आएंगी.
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