कौन हैं ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनने वाली लिज़ ट्रस, जिन्होंने ऋषि सुनक को हरा दिया?
लिज़ ने कहा, एक कंजरवेटिव की तरह सरकार चलाएंगी
पिछले तीन महीनों से चल रहे ड्रामे के बाद आख़िरकार ब्रिटेन को अपना नया प्रधानमंत्री मिल जाएगा. जाएगा नहीं, जाएगी. ऋषि सुनक को हराकर ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनीं लिज़ ट्रस. मारगरेट थैचर और टेरिजा मे के बाद ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी. 81 हज़ार से ज्यादा वोटों के साथ लिज़ (Liz Truss) ब्रिटेन की कंज़र्वेटिव पार्टी की नेता चुन ली गई हैं. ऋषि सुनक (Rishi Sunak) को 60 हज़ार के क़रीब वोट मिले हैं.
पहले ये जान लेते हैं कि ब्रीटेन की राजनीति में आगे होगा क्या? बात है इसी साल 22 जुलाई की. पांचवें राउंड की वोटिंग के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए आख़िरी दो उम्मीदवार बचे थे. लिज़ ट्रस और ऋषि सुनक. पहले पांच राउंड की वोटिंग में सुनक को लगातार सबसे ज़्यादा वोट मिले थे, लेकिन जानकारों के अनुसार आख़िरी राउंड में सुनक के सामने बड़ी चुनौती थी. अगले 2 महीनों तक देशभर में घूमकर दोनों उम्मीदवारों ने अपने लिए वोट मांगे. वोटिंग की आख़िरी तारीख थी 2 सितम्बर. इसके बाद दोनों उम्मीदवार अपनी अपनी जीत का दावा करते रहे. इसके बाद आज, 5 सितंबर की शाम 5 बजे ग्राहम ब्रेडी मीडिया के आगे पेश हुए और नए प्रधानमंत्री का ऐलान किया. ब्रेडी कंजर्वेटिव पार्टी का चुनाव देखने वाली 1922 कमिटी के चेयर हैं. ब्रेडी की घोषणा से तय हो गया कि लिज़ ट्रस ब्रिटेन की अगली प्रधानमंत्री होंगी.
लिज़ ट्रस हैं कौन? उनकी कहानी क्या है?ख़त का मज़मून समझने के लिए लिफ़ाफ़ा काफ़ी होता है. ऐसा ही एक लिफ़ाफ़ाई क़िस्सा सुनिए. फरवरी महीने की बात है. रूस यूक्रेन के आसपास सेना जुटा रहा था. 10 फरवरी को लिज़ ट्रस और रूस के विदेश मंत्री सरगे लेवरोव की मुलाक़ात हुई. इस दौरान ट्रस ने रूस की सेना के मूवमेंट को लेकर चिंता जताई. तब लेवरोव ने लिज़ ट्रस से सवाल किया,
‘सेना हमारी एरिया में खड़ी है. आप ये तो मानती हैं की रोस्तोव और वोरोनेश पर रूस की संप्रभुता है?
ये सवाल सुनकर ट्रस कुछ देर रूककर बोलीं, ‘ब्रिटेन इन इलाकों पर रूस की संप्रभुता कभी स्वीकार नहीं करेगा.’
जिसने भी ये सुना, उसका मुंह खुला का खुला रह गया. ब्रिटेन की विदेश मंत्री को इतना तक मालूम नहीं था कि रोस्तोव और वोरोनेश रूस के एरिया में आते हैं.
ये एक किस्सा है. आगे जानिए. लिज़ ट्रस ब्रिटिश इतिहास की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं. उसे पहले मार्गरेट थैचर और थेरेसा मे प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. उनका पूरा नाम, मैरी एलिज़ाबेथ ट्रस है. साल 1975 में ऑक्सफ़ोर्ड में उनकी पैदाइश हुई. पिता कन्जर्वेटिव पार्टी के वोटर थे, लेकिन मां लेफ्ट विंग के प्रति आकर्षित थीं. छोटी उम्र में वो लिज़ को सरकार विरोधी प्रदर्शनों में ले जाती थीं. 7 साल की उम्र में ट्रस ने अपना पहला चुनाव लड़ा. उनके स्कूल में एक मॉक इलेक्शन हुआ था. जिसमें उन्होंने मार्गरेट थैचर का रोल निभाया. कई साल बाद एक टीवी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि थैचर बनकर उन्होंने जबरदस्त भाषण दिया लेकिन जीत नहीं पाई. ट्रस बताती हैं कि तब शायद उन्होंने खुद भी अपने लिए वोट नहीं डाला था.
स्कूल पूरा करने के बाद ट्रस ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्विद्यालय में दाखिला लिया. जहां उन्होंने राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. कॉलेज के दिनों से ही वो पॉलिटिक्स में एक्टिव हो गई थीं. शुरुआत में वो लेफ्ट धड़े की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी. इस दौर के उनके एक बयान का बार-बार जिक्र आता है, जब पार्टी सम्मलेन में बोलते हुए उन्होंने राजशाही के ख़त्म करने का समर्थन किया था. हालांकि, इस बयान के बाद उन्होंने पार्टी बदल ली. कंजर्वेटिव पार्टी की सदस्यता ले ली. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने शेल कंपनी के लिए काम किया. साल 2000 में ट्रस की शादी हुई, जिनसे उनके दो बच्चे हैं. उनके पति ह्यू ओ लियरी, अकाउंटेंट का काम करते हैं. ये तो उनकी निजी जिंदगी की बात.
पॉलिटिक्स का क्या?साल 2001 में लिज़ ने मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में एंट्री करते हुए टोरी पार्टी की तरफ़ से अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. साल 2005 में उन्होंने एक और बार किस्मत आज़माई, लेकिन दोबारा असफलता मिली. इसके अगले ही साल उन्होंने पहली बार जीत का स्वाद चखा और दक्षिण पूर्व लंदन से काउंसलर का चुनाव जीतीं. गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक़, इसके बाद वो जल्द ही टोरी प्रमुख डेविड कैमरन की खासमखास बन गई थीं. जिसके चलते साल 2010 के आम चुनावों में उन्हें सबसे सेफ सीट मिली. उसी साल उनका नाम एक विवाद से भी जुड़ा. मीडिया में ख़बरें चली कि कुछ साल पहले उनका एक सांसद से अफेयर चल रहा था. इस खबर के बाहर आने के बाद ट्रस को एक और चुनाव का सामना करना पड़ा. लेकिन इस बार भी वो 13 हजार वोटों से जीत गई.
सांसद चुने जाने के 2 साल बाद ही उन्हें सरकार में दाखिला मिला और 2012 में वो शिक्षा मंत्री नियुक्त की गईं. 2014 में उन्हें पर्यावरण सेक्रेटरी का पद मिला. ये वो दौर था जब ब्रेक्सिट की शुरुआत हो चुकी थी. हर नेता के सामने एक ही सवाल था- 'ब्रेक्सिट रेफेरेंडम पर आपकी राय क्या है?' बोरिस जॉनसन समेत कंजर्वेटिव पार्टी के अधिकतर नेता ब्रेक्सिट के समर्थन में थे. लेकिन लिज़ ट्रस का मत इससे अलग था. वो उस धड़े की समर्थक थी, जिसे ‘रिमेनर्स’ कहा जाता है. यानी वो लोग जो यूरोपियन युनियन से अलग होने के विरोध में थीं. ट्रस ने इस दौरान लगातार ब्रेक्सिट का विरोध किया. लेकिन जैसे ही 2016 में ब्रेक्सिट रेफेरेंडम का रिजल्ट आया, ट्रस ने पाला बदल लिया. वो ब्रेक्सिट का समर्थन करने लगीं.
ट्रस अपने आप को मार्गरेट थैचर का उत्तराधिकारी मानती हैं. उनकी तरह हैट और सफ़ेद बो पहनती हैं. खुद को आयरन लेडी बताती हैं, लेकिन उनकी ज़ुबान अक्सर उनके लिबास को धोखा दे जाती है. इसी ज़ाविए से एक और किस्सा सुन लीजिए.
बार-बार पाला बदलने का इतिहाससाल 2019 की बात है. ब्रेक्सिट रेफरेंडम पास हुए 3 साल हो चुके थे. इसके बाद भी सरकार यूरोपियन यूनियन से समझौता नहीं कर पा रही थी. इस बीच ऐसी भी आवाजें उठने लगी थीं कि ब्रिटेन को एक और बार रेफरेंडम कराना चाहिए. इस मुद्दे पर जब ट्रस से एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि दूसरे रेफरेंडम की कोई जरुरत नहीं है.
इंटरव्यूअर ने पूछा, ‘उन लोगों का क्या, जिन्होंने अपना मन बदल दिया है.’
ट्रस ने जवाब दिया, ‘मुझे नहीं लगता लोगों ने अपना मन बदला है.’
तब इंटरव्यूअर ने ट्रस को याद दिलाया कि खुद उन्होंने ब्रेक्सिट को लेकर अपना मत बदला है. इस बात पर ट्रस कोई जवाब नहीं दे पाईं.
साल 2019 में जब बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने, ट्रस को इंटरनेशनल ट्रेड सेक्रेटरी बनाया गया. इसके बाद कोविड का दौर शुरू हुआ. बोरिस जॉनसन कई सारे विवादों में घिरे. धीरे-धीरे उनकी अपनी पार्टी के नेता उनके खिलाफ बयान देने लगे. लेकिन ट्रस ने बोरिस का साथ नहीं छोड़ा. 2021 में उन्हें इसका फायदा मिला. उन्हें सरकार में सबसे ताकतवर पदों में से एक, विदेश मंत्री का पद मिल गया. इस दौरान उन्होंने ईरान से दो ब्रिटिश नागरिकों की रिहाई में मुख्य भूमिका निभाई. साल 2022 में जब बोरिस जॉनसन की राह मुश्किल होने लगी और सरकार के सारे बड़े मंत्रियों ने इस्तीफ़ा देना शुरू किया, तब भी ट्रस बोरिस के साथ खड़ी रहीं. जानकार मानते हैं कि इसी के चलते चुनाव में उन्हें पर्दे के पीछे से बोरिस जॉनसन का समर्थन मिला. और यही उनकी जीत की एक बड़ी वजह भी रही.
अब आगे क्या होगा?कल यानी मंगलवार को सबसे पहले बोरिस जॉनसन स्कॉटलैंड स्थित बारमोरल पैलेस जाएंगे और रानी एलिज़ाबेथ को अपना इस्तीफ़ा सौंपेंगे. इसके बाद लिज़ ट्रस बारमोरल पैलेस जाएंगी और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी. इसके बाद शुरू होगा मंत्रिमंडल चुनने का दौर. सुनक इस मंत्रिमंडल में शामिल होंगे का नहीं, ये बड़ा सवाल है. सुनक बयान दे चुके हैं कि वो नई सरकार को हर तरीके से समर्थन देंगे. वहीं ब्रिटेन में अगले चुनावों में लगभग 2 साल का वक्त है. तब सुनक एक बार दोबारा उम्मीदवारी जता सकते हैं. तब क्या होगा, ये अभी भविष्य के गर्भ में है. हम चलते हैं वर्तमान की एक दूसरी खबर की तरफ.