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नैंसी पेलोसी : 82 साल की अमेरिकी महिला, जिनकी वजह से चीन बौखलाया हुआ है!

नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से किलस गया है चीन. इतना कि अपने 21 लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा में घुसा दिए.

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Nancy pelosi
नैंसी पोलोसी अमेरिका में हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स यानी निचले सदन की स्पीकर हैं.
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सोनल पटेरिया
3 अगस्त 2022 (Updated: 3 अगस्त 2022, 17:45 IST)
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नैंसी पेलोसी. अमेरिका की ये महिला ख़बरों में बनी हुई हैं. वजह है उनकी ताइवान यात्रा. वही यात्रा जिसके लिए चीन उन्हें लगातार धमकियां देता आया है. पूरा विवाद है क्या उसपर बाद में आएंगे, पहले आप 82 साल की Nancy Pelosi के बारे में जान लीजिए.

कौन हैं Nancy Pelosi?

नैंसी पेलोसी अमेरिका में हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स यानी निचले सदन की स्पीकर हैं. स्पीकर का पद अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद तीसरा सबसे ताकतवर पद है. इस पद की ताकत का अंदाज़ा आप इस बात से लगाइए कि अगर अमेरिका में राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति अक्षम हो जाएं तो तो हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स का स्पीकर राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी संभालता है. अभी वाली सिचुएशन में देखें तो नैन्सी पेलोसी अमेरिका में जो बाइडन और कमला हैरिस के बाद सबसे ताक़तवर व्यक्ति हैं.

नैंसी का स्पीकर के तौर पर ये चौथा कार्यकाल है. उम्र 82 साल है और उनका ताल्लुक भी राजनीतिक परिवार से रहा है. पिता और भाई बाल्टीमोर के मेयर रह चुके हैं. नैंसी भी कांग्रेस में पांच बार शहर का नेतृत्व कर चुकी हैं. सात भाई बहनों में नैंसी सबसे छोटी थीं. कॉलेज की पढ़ाई के लिए वॉशिंगटन गईं. वहां मुलाकात पॉल पेलोसी से हुई जिनसे नैंसी ने शादी की. शादी के बाद कुछ साल तक हाउसवाइफ का रोल निभाया फिर 1976 में राजनीति में कदम रखा. झुकाव डेमोक्रेटिक विचारधारा की तरफ था. 

नैंसी पेलोसी दलाई लामा के साथ. 2008 की फोटो.

पारिवार के राजनीतिक कनेक्शन की मदद से डेमोक्रेटिक पार्टी में जगह बनाई. वक़्त के साथ लगातार बढ़ती रहीं और फिर आया साल 1988. इस साल नैंसी पहली बार संसद पहुंची. 2002 में माइनॉरिटी लीडर बनीं. माइनॉरिटी लीडर अमेरिका की संसद में नेता विपक्ष का पद होता है. नैंसी डेमोक्रेट्स के सबसे मुखर नेताओं में एक थीं. काबिलियत और काम की वजह से पार्टी ने उन्हें 2007 में स्पीकर पद के लिए नॉमिनेट किया. और ऐसे नैंसी बनी अमेरिका की पहली महिला स्पीकर. इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने पर नैंसी ने कहा था,

"आखिरकार वो दिन आ गया. इसके लिए मैंने 200 साल इंतज़ार किया है"

इतनी जानकारी के बाद ये तो साफ़ है कि नैंसी अमेरिका की सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं. अब सवाल ये उठता है कि आज ये चर्चा में क्यों है? इनका ताइवान दौरा सुर्खियों में क्यों बना हुआ है?

ताइवान दौरे पर हंगामा क्यों बरपा?

नैंसी पोलोसी के इस दौरे से सबसे ज़्यादा किलसा है चीन. इतना कि अपने 21 लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा में घुसा दिए. लेकिन इस सब के बाजवूद वो डटी रहीं और पहुंच गईं ताइवान. और वहीं से चीन को संदेश भेजा. कहा कि अमेरका लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. अमेरिका ने ताइवान से जो वादे किए हैं वो उससे पीछे नहीं हटेगा. अब इसके पीछे की राजनीति समझिए. चीन ताइवान पर अपना दावा ठोकता है. अमेरिका ताइवान की स्वायत्तता का पक्षधर है. और अमेरिका और चीन की दुश्मनी तो जगज़ाहिर है. ऐसे समय में नैंसी के इस दौरे को महत्वपूर्ण और अमेरका की और से कड़े संदेश की तरह देखा जा रहा है.

ये पहली बार नहीं है जब नैंसी इस तरह चीन के खिलाफ खड़ी हुई हैं. 1991 और 2008 में भी वो चीन को बड़ी चुनौती देते दिखी थीं.

जब नैंसी भारत आईं थी..

साल था 2008. नैंसी भारत आईं थी. तिब्बती गुरु दलाई लामा से मुलाकात की थी. कहा था कि अमेरिका तिब्बतियों की आस्था, संस्कृति, और भाषा के प्रति प्रतिबद्ध है. चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा किया था. दलाई लामा को वो अपना दुश्मन मानता है. इस मुलाकात का भी चीन ने विरोध किया था.

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