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दांतों को सड़ने से बचाना है तो ये पक्का इलाज करें

रूट कनाल ट्रीटमेंट करवाने में देर नहीं करनी चाहिए, वरना इन्फेक्शन दांतों की हड्डियों तक जाकर उसे सड़ा सकता है.

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जब दांत की सड़न दूसरी परत तक पहुंच जाती है यानी डेंटिन तक तब दांत सेंसिटिव हो जाते हैं
जब दांत की सड़न दूसरी परत तक पहुंच जाती है यानी डेंटिन तक तब दांत सेंसिटिव हो जाते हैं
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सरवत
14 जुलाई 2022 (Updated: 14 जुलाई 2022, 23:21 IST)
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

स्वाति सतीश एक कन्नड़ टीवी एक्टर और एंकर हैं. कुछ समय पहले इनका नाम ख़बरों में छाया हुआ था. वजह थी सर्जरी गोन होर्रिब्ली रोंग. यानी एक सर्जरी जो इतनी गड़बड़ हो गई कि उनका चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था. ये सर्जरी थी रूट कनाल सर्जरी. इसे आम भाषा में रूट कनाल ट्रीटमेंट या कुछ लोग केवल रूट कनाल बोलते हैं. ये ट्रीटमेंट बहुत ही आम है. इतना कि हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक, हमारे देश में हर दिन 30 बच्चे, जिनकी उम्र 4 से 16 साल के बीच होती है, उनका रूट कनाल ट्रीटमेंट किया जाता है. ये ट्रीटमेंट बच्चे-बड़े दोनों का होता है. जब से स्वाति सतीश की तस्वीरें इस सर्जरी के बाद वायरल हुईं, तब से कई लोग डर गए हैं.

Kannada actress Swathi Sathish looks unrecognisable after root canal  surgery goes wrong
स्वाति सतीश, टीवी एक्टर और एंकर

दरअसल इस सर्जरी के बाद, स्वाति के चेहरे का लेफ्ट साइड बुरी तरह से सूज गया था. उन्हें कहा गया था कि कुछ समय बाद ये सूजन अपने आप कम हो जाएगी, पर ये सूजन 20 दिनों तक नहीं गई. स्वाति के केस में कुछ गलतियां हुईं, जिनके कारण उनका ये हाल हो गया. पर इसका मतलब ये नहीं है कि रूट कनाल अपने आप में कोई ख़तरनाक ट्रीटमेंट है.

सेहत की एक व्यूअर मिट्ठू को रूट कनाल करवाने की सलाह दी जा रही है. उनके दांतों में काफ़ी ज़्यादा दर्द है, सूजन है और सड़न भी बढ़ती जा रही है. वो जानना चाहती हैं कि क्या ये सर्जरी सेफ़ होती है और क्या उन्हें ये करवानी चाहिए. जैसा हमने पहले भी कहा, रूट कनाल करवाना एक बहुत ही आम ट्रीटमेंट है. हिंदुस्तान में बहुत सारे लोग ये रोज़ करवाते हैं. तो इस इलाज के बारे में जानने से पहले ये पता करते हैं कि रूट कनाल होता क्या है और इस सर्जरी की ज़रुरत क्यों पड़ती है.

रूट कनाल क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर विभूति जैन ने.

Dr. Vibhuti Jain | Best Dental Surgeon in Delhi NCR | PSRI
डॉक्टर विभूति जैन, सीनियर कंसल्टेंट, डेंटल डिपार्टमेंट, पीएसआरआई हॉस्पिटल, नई दिल्ली

-सबसे पहले दांतों के स्ट्रक्चर के बारे में जानना ज़रूरी है.

-दांत के दो हिस्से होते हैं.

-एक होता है क्राउन पोर्शन जो मुंह में दिखाई देता है.

-दूसरा होता है रूट पोर्शन जो मुंह में दिखाई नहीं देता है.

-ये हड्डी और मसूड़े से कवर्ड रहता है.

-दांत की 3 परतें होती हैं.

-पहली और दूसरी परत सख्त होती है.

-इनको कहते हैं इनेमल और डेंटिन.

-तीसरी परत होती है पल्प जो नर्म हिस्सा होता है.

-जिसमें नर्व और ब्लड वेसेल होते हैं.

-ये पल्प का हिस्सा जड़ के अंदर एक कैनाल में पाया जाता है.

-उसको रूट कनाल बोला जाता है.

-ये जड़ के अंदर नस और ब्लड वेसेल वाला हिस्सा होता है.

रूट कनाल ट्रीटमेंट की ज़रुरत किसे और क्यों पड़ती है?

-जब दांत में होने वाला इन्फेक्शन या सड़न पहली परत में होता है यानी इनेमल.

-तब दांत काला दिखाई देता है.

-काली धारियां दिखती हैं.

What You Can Expect from a Root Canal Treatment
इन्फेक्शन को खत्म करने के इलाज को रूट कनाल ट्रीटमेंट कहा जाता है

-तब अगर ड्रिल की मदद से उस काले हिस्से को काटकर हटा दिया जाए.

-फिर उस गड्ढे को भर दिया जाए.

-तो फिलिंग से दांत ठीक हो जाता है.

-जब दांत की सड़न दूसरी परत तक पहुंच जाती है यानी डेंटिन तक.

-तब दांत सेंसिटिव हो जाते हैं.

-दांत में ठंडा लग सकता है, मीठा लग सकता है.

-दांत में हवा लग सकती है.

-ऐसी सिचुएशन में ड्रिल की मदद से सड़े हुए हिस्से को काटकर हटा दिया जाता है.

-जो गड्ढा होता है उसे फिलिंग से भर दिया जाता है.

-जिससे दांत बच जाता है.

-लेकिन अगर ये इन्फेक्शन नस तक पहुंच जाए यानी पल्प तक पहुंच जाए तो पल्प टिश्यू इन्फेक्ट हो जाता है.

-सॉफ्ट टिश्यू होने के कारण इन्फेक्शन पूरे में फैल जाता है.

-तब रूट कनाल ट्रीटमेंट की ज़रुरत पड़ती है.

-इस पूरे इन्फेक्शन को खत्म करने के इलाज को रूट कनाल ट्रीटमेंट कहा जाता है.

रूट कनाल ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

-रूट कनाल ट्रीटमेंट करने के लिए सबसे पहले सुन्न करने का इंजेक्शन लगाया जाता है.

-ताकि जिस हिस्से के अंदर रूट कनाल हो रहा है वो एकदम सुन्न हो जाए और दर्द एकदम महसूस न हो.

-फिर ड्रिल की मदद से पहले दो परतों को पार कर के नस तक पहुंचा जाता है.

-इसके बाद पतले-पतले बारीक सुई जैसी चीज़ों से इन्फेक्टेड नर्व को साफ़ कर के बाहर निकाल दिया जाता है.

-साफ़ करने के बाद मेडिसिन वाले सॉल्यूशन से इसे धोया जाता है.

-जब पूरी जगह खाली और साफ़ हो जाती है तब जड़ को एक स्पेशल फिलिंग मटीरियल से भरा जाता है.

Root canal treatment: Everything you need to know
रूट कनाल ट्रीटमेंट करने के लिए सबसे पहले सुन्न करने का इंजेक्शन लगाया जाता है

-ऊपर क्राउन की जो कैविटी होती है उसे अलग मटीरियल से भारा जाता है.

-ये पूरा प्रोसेस कहलाता है रूट कनाल ट्रीटमेंट.

-हो सकता है रूट कनाल ट्रीटमेंट करवाने के बाद डेंटिस्ट क्राउन लगवाने की सलाह दें.

-ताकि दांत मज़बूत हो सकें और रूट कनाल ट्रीटमेंट ज़्यादा लंबे समय तक चले.

किन लक्षणों को देखकर रूट कनाल ट्रीटमेंट करवाने की ज़रुरत पड़ती है?

-दांत में ज़ोर का दर्द.

-मुंह में सूजन.

-जबड़े में सूजन.

-किसी भी चीज़ से आराम न मिलें.

-ऐसे में डॉक्टर एक्सरे कर के देखेंगे कि दांतों की सड़न कहां तक जा रही है.

-एक्सरे को देखने के बाद डॉक्टर बताएंगे कि सड़न कहां तक जा रही है और क्या रूट कनाल ट्रीटमेंट कारवाने की ज़रुरत है.

-अगर रूट कनाल ट्रीटमेंट समय से न करवाया जाए तो इन्फेक्शन दांत की नसों को भी कमजोर कर देता है.

-हड्डी तक चला जाता है और हड्डी में पस पड़ जाता है, इन्फेक्शन हो जाता है.

-इसको पेरियापाइक्ल अब्सेस कहते हैं.

-समय से इलाज करवा लेंगे तो हड्डी के अंदर पस नहीं पड़ेगा.

-इन्फेक्शन नहीं पहुंचेगा तो रूट कनाल ट्रीटमेंट ज़्यादा सफ़ल होगा.

-अगर इन्फेक्शन हड्डी तक पहुंच जाता है तो उसके लिए दूसरा इलाज किया जाता है जो ज़्यादा मुश्किल होता है.

-रूट कनाल ट्रीटमेंट को सफ़ल बनाने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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एक्सरे को देखने के बाद डॉक्टर बताएंगे कि सड़न कहां तक जा रही है और क्या रूट कनाल ट्रीटमेंट कारवाने की ज़रुरत है

-इसलिए समय से रूट कनाल ट्रीटमेंट करवाना ज़रूरी है.

ख़र्चा

-जितनी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, सामान और एक्सपीरियंस इस्तेमाल होता है, ख़र्चा भी उसी हिसाब से आता है.

-पहले हैंड इंस्ट्रूमेंट से रूट कनाल को साफ़ कर दिया जाता था.

-पर आजकल नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर के रूट कनाल किया जाता है.

-इसलिए वो महंगा पड़ता है.

-इसकी कीमत 6 हज़ार से 10-12 हज़ार रुपए तक हो सकती है.

-इस ट्रीटमेंट की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि इलाज कितना मुश्किल है.

आपने डॉक्टर विभूति की बातें सुनीं, ये बात तो साफ़ है. रूट कनाल ट्रीटमेंट करवाने में देर नहीं करनी चाहिए, वरना इन्फेक्शन दांतों की हड्डियों तक जाकर उसे सड़ा सकता है. इसलिए अगर आपको रूट कनाल करवाने की ज़रुरत है तो डरें नहीं, करवा लें. देर करेंगे तो आपके दांतों को भयानक नुकसान पहुंचेगा. 

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