कंधे में दर्द झेला नहीं जाता? इलाज जान लीजिए
कैसे होती है सर्जरी, कितने की होती है? डॉक्टर से सबकुछ जानिए
हम अपना कंधा घुमा पाते हैं एक बॉल एंड सॉकेट जॉइंट की बदौलत. क्या होता है बॉल एंड सॉकेट जॉइंट?
कंधे के सॉकेट में ये बॉल फिक्स है. जब तक ये बॉल ठीक-ठाक घूमेगी, आप अपना कंधा बिना किसी तकलीफ़ के घुमा पाएंगे. अब अगर इस हड्डी में कोई दिक्कत आ जाए. किसी चोट या बीमारी की वजह से, ऐसे में कंधा नॉर्मली घुमा पाना नामुमकिन हो जाता है. जब दवाई और फिजियोथेरेपी से इलाज संभव न हो, तब की जाती है सर्जरी. आपने शोल्डर रिप्लेसमेंट सर्जरी के बारे में सुना होगा. कई सालों से हमारे देश में यही सर्जरी की जा रही थी. इसमें कंधे की हड्डी जो ख़राब या चोटिल हो गई है, उसे निकालकर मेटल और प्लास्टिक इम्प्लांट लगाए जाते हैं. अब इसका एक एडवांस्ड वर्जन भी उपलब्ध है. इसका नाम है रिवर्स शोल्डर रिप्लेसमेंट. ये कैसे की जाती है और किन लोगों को इसकी ज़रुरत पड़ती है, जानते हैं डॉक्टर्स से.
रिवर्स शोल्डर रिप्लेसमेंट क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने.
रिवर्स शोल्डर रिप्लेसमेंट में सर्जरी के दौरान आर्टिफिशियल कप की जगह बॉल लगाई जाती है. बॉल लगाने के लिए कंधे में बेस प्लेट लगाई जाती है. उसके बाद बॉल लगाकर स्क्रू से टाइट कर दिया जाता है ताकि ये फिक्स हो जाए. बॉल और कप के बीच प्लास्टिक लगा दिया जाता है. जिससे कंधे का मूवमेंट स्मूथ हो जाता है.
किन लोगों को इसकी ज़रुरत पड़ती है?कभी-कभी आर्थराइटिस के कारण टियर हो जाता है, ऐसे लोगों को इसकी ज़रुरत पड़ती है. कंधे की सर्जरी जो फ़ेल हो गई हो या एक ऐसी चोट लगी हो, जिसमें कंधे को घुमाने वाली बॉल टूटकर उसके कई सारे टुकड़ हो जाएं. कई सारे स्क्रू, प्लेट लगे होने के बवाजूद दर्द हो. ऐसे में कंधे में एक कप लगाया जाता है. आप कभी-कभी पीठ नहीं खुजला पाते. कपड़े बदलने में समस्या होती है. पीठ नहीं पोंछ पाते. कंधा जाम हो जाता है यानी फ्रोज़ेन शोल्डर है. MRI किया जाता है, जिसमें पता चलता है कि कंधे में टियर है. आप उसपर ध्यान नहीं देते. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, दिक्कत और ज़्यादा होती है. ऐसे में रिवर्स शोल्डर काम आता है. ऑर्थोस्कोपी फेल हो जाए तो भी ये सर्जरी काम आती है. फ्रैक्चर को ठीक करने में काम आता है. कंधे की सारी समस्याओं का इलाज है रिवर्स शोल्डर रिप्लेसमेंट.
रिवर्स शोल्डर रिप्लेसमेंट सर्जरी धीरे-धीरे हिंदुस्तान में पॉपुलर हो रही है. इसकी कीमत वैसे तो अस्पताल और शहर पर निर्भर करती है, पर आम आदमी की जेब इसका ख़र्चा आसानी से नहीं उठा सकती. पर क्योंकि ये सर्जरी काफ़ी फ़ायदेमंद है, इसलिए उम्मीद है कि आगे जाकर इसकी कीमत आम इंसान के बजट में आ जाए.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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