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इस थेरेपी से बालों की समस्या से मिलेगी निजात, डॉक्टर से जानिए

PRP थेरेपी, यानी प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी. एक्सपर्ट्स का मानना है कि PRP थेरेपी बालों के झड़ने और उनको पतला होने से रोक सकती है. डॉक्टर से जानिए PRP थेरेपी क्या होती है.

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PRP Therapy
PRP therapy
11 मार्च 2024 (Updated: 11 मार्च 2024, 17:26 IST)
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बालों का झड़ना. बालों का पतला हो जाना. बालों की क्वालिटी ख़राब हो जाना. ये बहुत ही आम समस्याएं हैं. कई बार तेल और दवाइयों का कोई असर नहीं होता. अगर हेयर लॉस हो रहा है या केवल बाल पतले हो रहे हैं, तब हेयर ट्रांसप्लांट भी नहीं किया जाता है. अब ऐसे में आपके काम आती है एक थेरेपी, जो आजकल बहुत सुर्खियां बटोर रही है. इसका नाम है PRP थेरेपी. यानी प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी. एक्सपर्ट्स का मानना है कि PRP थेरेपी बालों के झड़ने और उनको पतला होने से रोक सकती है. डॉक्टर से जानिए PRP थेरेपी क्या होती है, कैसे की जाती है और इसके क्या फ़ायदे हैं.

PRP थेरेपी के क्या फ़ायदे हैं?
(Dr. Swati Mohan, Senior Consultant, Dermatology, Fortis Hospital, Faridabad)
(डॉ. स्वाति मोहन, सीनियर कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद)

PRP थेरेपी बालों को फिर से बढ़ाने की एक बहुत अच्छी थेरेपी है. ये उन लोगों में की जाती है जिनको प्राकृतिक वजहों से हेयर लॉस हो रहा है. जैसे पुरुषों में जेनेटिक वजहों से हेयर लॉस और बाल पतले होना. महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद या एक उम्र के बाद हेयर लॉस या बाल पतले होना. इन सब में PRP थेरेपी की जाती है. अगर हेयर साइकिल डिले हो रही है यानी बाल निकलने में समय लग रहा है. बालों का टेक्सचर बदल रहा है या पतले हो चुके बालों को ठीक करवाना है. इन सब में भी PRP थेरेपी का इस्तेमाल होता है. 

इसके अलावा कुछ बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. जैसे एलोपेसिया एरीटा यानी जिसमें सिर में जगह-जगह गंजापन हो जाता है. स्किन की कुछ बीमारियों की वजह से स्कारिंग एलोपेसिया या सिकाट्रिकियल एलोपेसिया की समस्या हो जाती है. इन समस्याओं में भी PRP थेरेपी की जाती है.

PRP थेरेपी कैसे की जाती है?

PRP थेरेपी करने के लिए सबसे पहले मरीज़ का खून लिया जाता है. इसमें प्लेटलेट्स से भरपूर प्लाज्मा को खून से निकालते हैं. फिर इसमें एक्टिवेटर डालकर इसे वापस शरीर में डालते हैं. इस प्रोसेस को आधे-पौने घंटे से लेकर 5 दिनों तक भी किया जाता है. अब सवाल ये है कि इसको कितनी बार करना होता है. इसके लिए 3 से 5 बार इस प्रॉसेस को करना पड़ता है. लेकिन मरीजों की कंडीशन के हिसाब से इसको साल में एक या दो बार रिपीट करना पड़ता है. मरीज़ को सिर्फ अपना सिर धो कर आना होता है. इसके बाद लोकल एनेस्थीसिया की क्रीम लगाई जाती है. फिर PRP (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) को इंजेक्ट किया जाता है. 

इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 15 मिनट लगते हैं. अगले दिन मरीज अपने बालों को धो सकता है. 3 महीने में रिजल्ट दिखने की संभावना होती है. इस थेरेपी को अकेले भी किया जाता है या किसी और थेरेपी के साथ भी किया जा सकता है. जैसे स्कैल्प की माइक्रोनीडलिंग के साथ. हेयर ट्रांसप्लांट के पहले कम से कम 3 से 6 बार PRP थेरेपी की जाती है. साइड इफेक्ट्स न होने की वजह ये है कि इसमें मरीज के ही खून का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रोसेस में किसी और का खून नहीं इस्तेमाल किया जा सकता. 

PRP (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) जब इंजेक्ट किया जाता है तब वहां खून की नलियां बढ़ जाती हैं. खून की नलियां बढ़ना हेयर फॉलिकल्स (केश कूप) के लिए अच्छा होता है. बालों की रीग्रोथ के लिए हेयर फॉलिकल्स को ज़्यादा खून की नलियां मिलना बहुत अच्छा है. PRP थेरेपी और भी स्किन से जुड़ी समस्याओं में इस्तेमाल होती है. जैसे क्रोनिक अल्सर जो दवाइयों से नहीं ठीक होते हैं. इसकी वजह है कि PRP खून की नलियां बढ़ाती है, कोलेजन बढ़ाती है और नए टिश्यू बनाती है. इसके अलावा PRP थेरेपी का इस्तेमाल एंटी-एजिंग, झुर्रियों और स्किन ब्राइटनिंग में भी होता है.

PRP थेरेपी क्या होती है, ये आपने समझ लिया. आपको ये थेरेपी करवानी चाहिए या नहीं, ये आप अपने डॉक्टर पर छोड़ सकते हैं. अगर आप हेयर लॉस या पतले बालों से परेशान हैं तो ज़रूरी है कि आप डॉक्टर से मिलें. अगर वो आपको PRP थेरेपी करवाने की सलाह देते हैं, तो आप इसे करवा सकते हैं. पर किसी चलन को देखते हुए बेवजह इसे करवाने से बच सकते हैं.

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