प्यूबर्टी. यानी वो समय जब बच्चों के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होने शुरू होते हैं.वो शारीरिक बदलावों से गुज़रते हैं. लड़कियों के स्तनों में उभार आने लगता है.लड़के-लड़कियां दोनों के ही प्राइवेट पार्ट्स, अंडर आर्म्स, हाथ-पैरों के बाल बढ़नेलगते हैं. लड़कों के चेहरे पर बाल आने लगते हैं. उनकी आवाज़ बदल जाती है. लड़कियोंमें पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. भारत में प्यूबर्टी की औसत उम्र 11 से 12 साल है.लेकिन क्या हो अगर किसी बच्चे के शरीर में ये बदलाव सात या आठ साल में ही आने लगें?लड़कियों के शरीर में आठ साल और लड़कों के शरीर में नौ साल से पहले अगर प्यूबर्टीदस्तक देने लगे तो उसे प्रिकॉशियस प्यूबर्टी कहते हैं.लेकिन इसके बारे में हम अभी बात क्यों कर रहे हैं?टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, कोविड 19 लॉकडाउन की वजह से प्रिकॉशियसप्यूबर्टी के मामले बढ़े हैं. इस रिपोर्ट में दिल्ली में रहने वाली एक बच्ची केबारे में भी बताया गया है. सात साल की उम्र में ही उसके अंडरआर्म्स में बाल आने लगेथे, उसके स्तन बढ़ने लगे थे. उसके पैरेंट्स ने इन बदलावों को नोटिस किया और उसेतुरंत डॉक्टर के पास लेकर गए. डॉक्टरों ने बच्ची के टेस्ट्स किए, MRI किया, जिसमेंसामने आया कि उसे प्रिकॉशियस प्यूबर्टी है.हालांकि, बच्ची के पीरियड्स शुरू होते, उससे पहले ही उसका इलाज शुरू हो गया. अब उसेहॉर्मोन्स सप्रेस करने की दवाइयां दी जा रही हैं. ताकि, उसके पीरियड्स को तब तक केलिए रोका जा सके जब तक वो उसके लिए तैयार नहीं होती है. हालांकि, शरीर में जो बदलावआ चुके हैं वो बने रहेंगे.अखबार ने बच्ची की मां को कोट करते हुए लिखा, "मेरी बेटी इतनी छोटी है. इन बदलावोंसे वो कन्फ्यूस्ड और परेशान थी. वो पूछती थी कि उसके शरीर में बाल क्यों हैं जबकिउसके दोस्तों के शरीर में नहीं हैं." डॉक्टर राहुल नागपाल, फोर्टिस अस्पताल, वसंतकुंज दिल्ली.प्रकॉशियस प्यूबर्टी को समझने के लिए हमने डॉक्टर राहुल नागपाल से बात की. वो वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के पीडियाट्रिक्स और नियोनैटोलॉजी विभाग के हेड हैं.उन्होंने बताया, प्रिकॉशियस प्यूबर्टी वो अवस्था है जब सामान्य से कम उम्र मेंबच्चों के शरीर में बदलाव आने लगते हैं. लड़कियों में ये आठ साल और लड़कों में नौसाल से पहले अगर बदलाव आते हैं तो वो प्रकॉशियस प्यूबर्टी के लक्षण हैं.लेकिन PRECOCIOUS PUBERTY होती क्यों है?इस पर डॉक्टर नागपाल ने बताया कि बहुत सारी वजहें हैं जिनके चलते बच्चों में कमउम्र में ही प्यूबर्टी आ जाती है. शरीर में किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन हो,हॉर्मोन डिसॉर्डर, ट्यूमर, ब्रेन में कोई दिक्कत या चोट की वजह से ये दिक्कत आ जातीहै.लड़कों में Precocious Puberty के मामले लड़कियों की तुलना में 10 गुना कम है.फोटो-Pixabayटाइम्स ऑफ इंडिया की उस रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड लॉकडाउन के बाद प्रिकॉशिसप्यूबर्टी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. लॉकडाउन में बच्चे घरों में बंद हो गए,उनका आउटडोर गेम्स खेलना बंद हो गया, ऐसे में घर में बैठे-बैठे कई बच्चों का वज़नबढ़ गया. वज़न बढ़ने से शरीर में हॉर्मोनल चेंजेस आते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक,लॉकडाउन में हो सकता है इस वजह से प्रिकॉशियस प्यूबर्टी के मामले बढ़े हैं.हालांकि, लड़कियों में प्रिकॉशियस प्यूबर्टी के ज्यादातर मामले इडियोपैथिक होतेहैं, यानी उसके होने की साफ वजह नहीं होती है.कितना कॉमन है प्रिकॉशियस प्यूबर्टी?प्रिकॉशियस प्यूबर्टी एक रेयर कंडीशन है. पूरी दुनिया में देखें तो आमतौर पर हर 500में से एक लड़की को और हर 2000 में से एक लड़के को ये दिक्कत होती है.