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दोस्त सिगरेट पिए तो तुरंत उसके सामने से हट जाइए, जान तक का खतरा है

अगर आपके आसपास कोई सिगरेट पी रहा है तो सावधान हो जाएं. खतरा आपको भी है. आप सेकंडहैंड स्मोकिंग के शिकार हो सकते हैं जिससे आपके फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

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सिगरेट से स्मोकर जितना ही नुकसान उसके साथ बैठे व्यक्ति को भी होता है
24 अप्रैल 2024
Updated: 24 अप्रैल 2024 17:07 IST
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अगर आप उन लोगों में से हैं जो न सिगरेट पीते, न वेपिंग नहीं करते हैं, पर ऐसे लोगों से घिरे रहते हैं, जो इनका धुआं आपके इर्द-गिर्द उड़ाते हैं, तोे ये आगे की जानकारी आपके लिए ही है. अव्वल तो ये समझ लीजिए कि आपके साथ बहुत बुरा हो रहा है. अगली बार आपके आसपास कोई स्मोकिंग करे या वेपिंग करे तो तुरंत वहां से हट लीजिए.

एक किस्सा सुनाते हैं. हमारे एक व्यूअर हैं आकाश. वो न स्मोक करते हैं, न वेप, न हुक्का. पर उनके सारे दोस्त ये तीनों आदतें पाले हुए हैं. आकाश जब भी अपने दोस्तों के साथ होते हैं, उनके आसपास कोई न कोई स्मोक कर ही रहा होता है. कुछ समय पहले आकाश को तेज़ खांसी शुरू हो गई. सांस लेने में समस्या होने लगी. जब डॉक्टर को दिखाया और जांच हुई तो पता चला उन्हें न सिर्फ़ एलर्जी हुई हैं बल्कि उनके फेफड़ों को भी काफ़ी नुकसान पहुंचा है. आकाश ने डॉक्टर को बताया कि वो स्मोक नहीं करते. डॉक्टर के मुताबिक, ऐसा 'सेकंड हैंड स्मोकिंग' जिसे 'पैसिव स्मोकिंग' भी कहते हैं, उसके कारण हुआ है. अब भले ही आकाश खुद सिगरेट न पीते आए हों, पर उसका धुंआ ज़रूर भर-भरके उनके फेफड़ों में गया है. ये उसी का नतीजा है. अब आकाश की तरह आप भी इसके रिस्क पर हैं.

आज डॉक्टर से जानिए, सेकंड हैंड स्मोकिंग और वेपिंग क्या है? इससे क्या नुकसान होते हैं? जिन्हें अस्थमा या सांस से जुड़ी समस्या है, उनको इससे क्या ख़तरा हो सकता है? और, अपने फेफड़ों का ख्याल कैसे रखें? 

सेकंड हैंड स्मोकिंग और वेपिंग क्या है?

ये हमें बताया डॉ. अवतांश त्रिपाठी ने. 

डॉ. अवतांश त्रिपाठी, कंसल्टेंट चेस्ट फिज़िशियन, कार्डिनल ग्रेसियस मेमोरियल हॉस्पिटल

सेकंड हैंड स्मोकिंग को एनवायरमेंटल टोबैको स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है. इसमें आप खुद स्मोक नहीं करते. लेकिन दूसरे की स्मोकिंग से निकले धुएं को अपने अंदर लेते हैं. सिगरेट स्मोकर के मुंह या नाक से निकले धुएं को मेनस्ट्रीम स्मोक कहा जाता है. यह सेकंड हैंड स्मोकिंग का ही एक प्रकार है. वहीं सिगरेट की बट से निकले धुएं को साइडस्ट्रीम स्मोक कहते हैं. ये दोनों धुएं एक आम सिगरेट जितने ही हानिकारक हैं. अगर ये धुएं आपके शरीर में जा रहे हैं तो यह स्मोकिंग से भी ज़्यादा खतरनाक है. 

वहीं वेपिंग में भाप के ज़रिए स्मोकिंग की जाती है. भाप बनाने वाली इस मशीन को ई-सिगरेट कहा जाता है. ई-सिगरेट में भाप बनाने के लिए एक तरल घोल का इस्तेमाल होता है. इससे फेफड़ों में चोट पहुंचती है, जिसको वेपिंग एसोसिएटेड लंग इंजरी कहते हैं. इसे EVALI भी कहते हैं यानी E-cigarette or Vaping Use-Associated Lung Injury. स्टडी से पता चला है कि ई-सिगरेट के तरल घोल से फेफड़ों को नुकसान होता है. ई-सिगरेट सुरक्षित नहीं है. इससे भी फेफड़े उतने ही खराब हो सकते हैं जितने आम सिगरेट से.

नुकसान

सिगरेट से जितना नुकसान स्मोकर को होता है, उतना ही नुकसान उसके साथ बैठे व्यक्ति को भी होता है. अगर आप एक कार में बैठे हैं, जहां आपके अलावा सभी सिगरेट पी रहे हैं तो आपको भी उतना ही नुकसान होगा, जितना बाकियों को हो रहा है. स्मोकिंग नाक से लेकर फेफड़ों तक, हर अंग को नुकसान पहुंचाती है. इससे कैंसर हो सकता है. जिन्हें अस्थमा है, उनकी दिक्कत बढ़ सकती है. जिसको अस्थमा नहीं है, उन्हें COPD हो सकता है. COPD यानी Chronic Obstructive Pulmonary Disease. आपके फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं. बार-बार वायरल फीवर या निमोनिया हो सकता है.

प्रेग्नेंट महिलाओं में लिम्फोमा हो सकता है. प्री-मेच्योर डिलीवरी भी हो सकती है. वहीं छोटे बच्चों के फेफड़ों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है. उन्हें अस्थमा का अटैक आ सकता है. रिकरिंग वायरल ब्रोंकाइटिस हो सकता है. बच्चे को आगे चलकर COPD जैसी बीमारी भी हो सकती है. 

अस्थमा के मरीज़ों को स्मोक से खासतौर पर दूर रहने की ज़रूरत है
जिन्हें अस्थमा/सांस से जुड़ी समस्या है, उनके लिए किस तरह का खतरा?

जब अस्थमा के मरीज़ स्मोक के संपर्क में आते हैं, तो उनकी दिक्कत बढ़ने लगती है. जिन बच्चों के घर में कोई सिगरेट पीता है, उन्हें अस्थमा के ज़्यादा अटैक आते हैं. स्मोक वाले माहौल में काम करने वाले वर्कर्स का अस्थमा कंट्रोल में नहीं रहता. कुछ ऐसा ही वेपिंग यानी ई-सिगरेट पीने से भी होता है. बार-बार वायरल निमोनिया और ब्रोंकोनिमोनिया हो सकता है. अस्थमा के अटैक जल्दी-जल्दी आने लगते हैं

अपने फेफड़ों का ख्याल कैसे रखें?

आपके आसपास कोई सिगरेट पी रहा है तो उससे दूर हो जाएं. स्मोक से दूर रहना ही आपको सुरक्षित रख सकता है. पेरेंट्स अपने बच्चों के पास बैठकर स्मोक न करें. अगर आप इस तरह की स्मोकिंग का शिकार हैं, तो पल्मोनोलॉजिस्ट या चेस्ट फिज़िशियन से मिलें. आप दवाई ले सकते हैं. कुछ वैक्सीन हैं जिन्हें आप लगवा सकते हैं. सबसे अहम है स्मोक करने वाले से दूरी बनाना. अगर कोई पब्लिक प्लेस में स्मोकिंग कर रहा है तो आप उसे मना कर सकते हैं. उससे दूर खड़े हो सकते हैं.

अब समझे सेकंड हैंड स्मोकिंग आपके लिए कितनी ख़तरनाक है. आप खुद भले ही सिगरेट न पिएं, पर आपके फेफड़ों को उतना ही नुकसान पहुंचता है, जितना किसी स्मोकर के फेफड़ों को. इसलिए अगली बार आपके आसपास कोई स्मोक करे, वहां से एकदम हट जाइए.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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