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आंखों में ऐसे धब्बे होना हो सकता है ख़तरनाक

हिंदुस्तानियों में ये समस्या बहुत आम है.

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अगर इस धब्बे का साइज़ बढ़ रहा है तो उसको मॉनिटर करना ज़रूरी है
अगर इस धब्बे का साइज़ बढ़ रहा है तो उसको मॉनिटर करना ज़रूरी है
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सरवत
8 अगस्त 2022 (Updated: 8 अगस्त 2022, 24:00 IST)
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

21 साल के रजत दिल्ली के रहने वाले हैं और बहुत ज़्यादा डरे हुए हैं. उनकी आंखों के सफ़ेद भाग पर काले रंग के धब्बे अचानक से दिखने शुरू हो गए हैं. उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि डरने की कोई बात नहीं है. उन्हें ऑक्युलर मेलानोसिस नाम की बीमारी है. हालांकि डॉक्टर ने कहा है कि अगर इन धब्बों में किसी भी तरह का बदलाव आता है या ये साइज़ में बढ़ने लगते हैं तो दोबारा जांच के लिए आएं. 

रजत को डर है कि कहीं उनकी आंखों की रोशनी न चली जाए. साथ ही उन्हें आई कैंसर का भी डर है. रजत को समझ में नहीं आ रहा कि एकाएक ये प्रॉब्लम कैसे शुरू हो गई. उन्हें कभी भी आंखों से जुड़ी कोई समस्या नहीं रही. यहां तक कि उन्हें चश्मा भी नहीं लगा है. वो चाहते हैं हम उनकी मदद करें और इस बीमारी के बारे में जानकारी दें. 

अब इस प्रॉब्लम के बारे में आगे जानने से पहले एक ज़रूरी बात बता दूं. हिंदुस्तान में ये दिक्कत पश्चिमी देशों के मुकाबले ज़्यादा देखी जाती है. पर आंखों में धब्बों का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता है. तो सबसे पहले ये जानते हैं कि ये धब्बे क्यों पड़ जाते हैं.

आंखों में काले, भूरे धब्बे क्यों हो जाते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर शिबल भारतीय ने.

Dr. Shibal Bhartiya - Best Opthamologist in Gurgaon | Fortis Gurgaon
डॉक्टर शिबल भारतीय, सीनियर कंसल्टेंट, नेत्र विज्ञान, फ़ोर्टिस, गुरुग्राम

-हिंदुस्तानियों और साउथ ईस्ट एशिया के लोग जिनका कॉम्प्लेक्शन थोड़ा डार्क होता है, उनमें ये समस्या बहुत आम है.

-इसको ऑक्युलर मेलानोसिस कहते हैं.

-आंखों के ऊपर की परत को कंजंक्टिवा कहते हैं.

-अगर आंखों को बंद कर के उंगली से हिलाएंगे, तो ये हिस्सा हिलता हुआ महसूस होगा.

-कंजंक्टिवा के ठीक नीचे मेलानोसाइट्स होते हैं.

-मेलानोसाइट्स में एक डार्क रंग का पिगमेंट होता है जिसका नाम मेलानिन होता है.

-अगर मेलानिन बढ़ जाता है तो आंख की सतह पर वो रंग नज़र आता है.

क्या ये ख़तरनाक है?

-इससे डरने की कोई ज़रुरत नहीं है.

-इससे कोई नुकसान नहीं होता है.

-ख़ासतौर पर अगर ऐसा जन्म से है.

-इस केस में ज़्यादातर स्पॉट्स दोनों आंखों में होते हैं.

-इनके लिए फ़िक्र करने की ज़रुरत नहीं है.

-कुछ लोगों में ख़ासतौर पर बुज़ुर्गों में ये बाद में नज़र आते हैं.

-अगर ऐसा हो रहा है और आपकी स्किन लाइट है तो ध्यान दें.

-ऐसे में कैंसर का रिस्क होता है.

Congenital Ocular Melanosis - Retina Image Bank
हिंदुस्तानियों और साउथ ईस्ट एशिया के लोग जिनका कॉम्प्लेक्शन थोड़ा डार्क होता है, उनमें ये समस्या बहुत आम है

-पर वो भी 400 में से 1 को.

-पर हम हिंदुस्तानियों की आंखों में पाए जाने वाले स्पॉट्स ज़्यादातर कैंसर का संकेत नहीं होते.

-कई बार आंख के आसपास डार्कनेस होती है साथ ही आंखों में स्पॉट्स भी होते हैं.

-इसको नीवस ऑफ़ ओटा कहते हैं.

-जो एक आंख में ही होता है, दोनों आंखों में नहीं होता.

-इससे कोई ख़ास परेशानी नहीं होती.

-लेकिन अगर ये डार्कनेस आंख की सतह के अंदर चली जाती है तो काला मोतिया होने का चांस होता है.

-जब आंखों में मौजूद मेलानोसाइट्स सेल्स बढ़ने लगते हैं तब आंखों के सफ़ेद हिस्से पर काले, भूरे धब्बे दिखते हैं.

-इसको मेलानोसाइटोसिस कहते हैं.

-ये स्किन के कैंसर का संकेत हो सकता है.

कैसे पता चलेगा ये कैंसर है या नहीं?

-डॉक्टर की जांच से साफ़ पता चल जाता है कैंसर है या नहीं.

-पर अगर ये स्पॉट्स बचपन से हैं तो ये आगे जाकर कैंसर नहीं बनते.

-जो स्पॉट्स आंखों के ठीक बीच में हैं यानी पलकों के ठीक नीचे.

-उनको जांच की ज़रुरत होती है.

-अगर इस काले धब्बे का साइज़ 5 mm से ज़्यादा है तो जांच की ज़रुरत है.

Congenital ocular melanocytosis - American Academy of Ophthalmology
डॉक्टर की जांच से साफ़ पता चल जाता है कैंसर है या नहीं

-अगर इस धब्बे का साइज़ बढ़ रहा है तो उसको मॉनिटर करना ज़रूरी है.

-अगर ये धब्बा उठा हुआ होता है जैसे कोई तिल तो इसको नॉड्यूलर कहते हैं.

-इसपर ध्यान देने की ज़रुरत है.

-अगर इन स्पॉट्स के आसपास लाल रंग की धारियां नज़र आती हैं.

-तो इसका मतलब है वहां कुछ ऐसा हो रहा है जिसके लिए वहां ज़्यादा ब्लड सप्लाई की ज़रुरत है.

-इस केस में भी मॉनिटर किया जाता है.

इलाज

-हर साल आंखों की जांच करवानी चाहिए.

-अगर जांच में डॉक्टर को लगेगा कि बायोप्सी की ज़रुरत है तो उसी हिसाब से आगे का इलाज किया जाएगा.

-अगर आपकी फैमिली में मेलानोमा (स्किन कैंसर का एक टाइप) की हिस्ट्री है.

-या पहले भी कोई मेलानोमा हो चुका है तो ख़ास ध्यान दें.

-लेकिन अगर ये 6 महीनों में एक ही बार दिखते हैं.

A pigmented lesion on the eye | The BMJ
अगर जांच में डॉक्टर को लगेगा कि बायोप्सी की ज़रुरत है तो उसी हिसाब से आगे का इलाज किया जाएगा

-या कोई छोटे-मोटे बदलाव दिखते हैं.

-तो एक छोटी सी सर्जरी की जाती है.

-छोटा सा हिस्सा निकालकर बायोप्सी की जाती है.

-साथ ही बर्फ़ की सिकाई की जाती है.

-इससे उस टिश्यू के अबनॉर्मल हिस्से को सील कर दिया जाता है.

-ताकि वो वहां से आगे न बढ़े.

तो भई अगर आपको भी ये सेम प्रॉब्लम है तो सबसे पहले तो घबराएं नहीं. ख़ासतौर पर अगर ये समस्या बचपन से है तो. इससे कोई नुकसान नहीं होता. पर हां, अगर ये अचानक हो जाए और धब्बे साइज़ में बढ़ने लगें तो डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें क्योंकि इसकी जांच होना ज़रूरी है.

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