67 साल का एक बुज़ुर्ग. पत्नी है, बच्चे हैं. एक आम नौकरी करता है. आम जीवन जीता है.फिर एक दिन पता चलता है कि वो एक मर्डर केस में आरोपी है. फिर पता चलता है कि वो एकनहीं, दो लड़कियों के मर्डर का आरोपी है. ये मर्डर कुछ महीनों के अंतराल पर 1987 मेंहुए थे. ये वो दौर था जब डीएनए की जांच न इतनी आसान थी, न ही फोरेंसिक्स के मामलेमें पुलिस इतनी एडवांस थी. दो महिलाओं के मर्डर का आरोपी साल 2019 में मिलता है औरफिर शुरू होती है जांच. और फिर मालूम पड़ता है कि दो क़त्ल तो केवल ट्रेलर हैं. इसआदमी का जीवन भरा हुआ है पर्वर्स यानी एक विकृत सेक्स लाइफ से. आज जिस मसले पर हमआपसे बात कर रहे हैं, वो बेहद सीरियस है, ट्रिगरिंग है और आपको डिस्टर्ब कर सकताहै. मगर साथ ही साथ आपको ये भी बताता है कि रेप की जघन्यता से भी डिस्टर्बिंग कुछहो सकता है. और वो है मृत लड़की का रेप. शुरुआत में हमने आपको एक ऐसे पुरुष के बारेमें बताया था जो दो महिलाओं को गला घोंटकर मारने का आरोपी था. जब उस आदमी यानीडेविड की जांच होने लगी तो पता चला कि वो नेक्रोफ़ाइल है. यानी वो डेड बॉडीज का रेपकरने का आदी है. वो इंग्लैंड के केंट एंड ससेक्स अस्पताल में इलेक्ट्रीशियन का कामकरता था. या यूं कहें कि इलेक्ट्रीशियन के काम की आड़ में मुर्दाघर तक अपना रास्ताबनाता था. और मुर्दाघर में मौजूद महिलाओं के शवों का रेप करता था. जांच में अस्पतालके स्टाफ ने बताया कि वो इतना अच्छा आदमी था कि किसी को कोई शक ही नहीं हो सकता था.बल्कि अस्पताल के किसी स्टाफ मेंबर को कोई मदद चाहिए होती तो वो डेविड के पास आता.असल में डेविड का तरीका था मुर्दाघर के स्टाफ से दोस्ती बढ़ाना ताकि वो अपनी मर्ज़ीसे वहां आ-जा सके. कुछ दिन पहले डेविड ने कोर्ट में कबूल किया कि उसने कई साल पहलेन सिर्फ दो महिलाओं को अब्यूज़ कर उनकी हत्या की थी, बल्कि 99 मृत महिलाओं के शवोंका भी उसने रेप किया था. इसके साथ ही उसके घर से सेक्शुअल अब्यूज़ की 40 लाखतस्वीरें बरामद हुई थीं. आपको सोचने में लग सकता है कि ऐसा आदमी रेगुलर नौकरी करतारहा और इसके बारे में किसी को भनक भी न लगी, ऐसा कैसे हो सकता है. मगर क्रिमिनलसाइकोलॉजी के जानकार कहते हैं कि कई ऐसे क्रिमिनल्स होते हैं जो इतने नॉर्मल तरीकेसे रहते हैं कि उनके डार्क साइड के बारे में आपको पता ही नहीं चल पाता. ये समाझनेके लिए हमने बात की क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर से. "ऐसे लोग किसी भी काम कीपुख़्ता योजना बनाते हैं कि किस काम को कहां, कैसे, कब अंजाम देना है. ऐसे लोग कभीपकड़े नहीं जाते. जब तक उनके 100-200 केसेज़ नहीं हो जाते, वो लोग आसानी से पकड़ेनहीं जाते, क्योंकि वो समाज के साथ बहुत घुले मिले होते हैं. उनके अपने परिवार होतेहैं. बच्चे होते है. और उनका परिवार बनाने के पीछे सबसे बड़ा मक़सद ही यही होता हैकि कोई उन्हें आसानी से स्पॉट ना कर सके. इस केस में नेक्रोफ़िलिक सेडिस्टसाइकोपैथ्स, जो लाशों के साथ सेक्स करते हैं, वो भी बहुत सोच समझ के प्लैन करतेहैं. ख़ासकर के लाशें जहां आसानी से मिल जाएं, उन जगहों पर काम करना चाहतेहैं. जैसे मुर्दाघर, अस्पताल या सिमेट्री."हमने अनुजा से ये भी पूछा कि अक्सर ऐसा कहा जाता है कि एक रेपिस्ट अपनीमैस्कुलिनिटी एस्टेब्लिश करने के लिए या महिला को उसकी 'औकात' याद दिलाने के लिएउसका रेप करता है. एक मृत महिला के रेप से किस तरह की संतुष्टि मिलती है? "इसकाजवाब ऐसे व्यक्ति के बचपन में मिलेगा, जैसी घटनाओं से वो गुज़रा. सामान्य तौर सेऐसे लोगों की सेक्सुअल फैंटेसी होती है अपनी मां की तरफ़, लेकिन चूंकि उसकी मांस्ट्रॉन्ग होती है और वो उन्हें एल्फा की तरह देखता है, वो अपनी ज़िंदगी में भीवैसी ही एक एल्फा फीमेल को ही चाहता है. मां के साथ संभोग नहीं कर सकते क्योंकि वोग़लत है. इसका सीधा असर लोगों के दिमाग़ पर पड़ता है. कोई नेक्रोफाइल जब भी किसीलाश के साथ सेक्स करता है, वो उस लाश में अपनी मां को देखता है. जिसने ज़िंदा रहतेहुए उस बच्चे के साथ उत्पीड़न किया हो. ये एक तरीक़े का बदला है, सज़ा देने का एकतरीक़ा है. किसी भी लाश के साथ रेप करने में किसी तरह की एक्टिविटी नहीं होती.डॉमिनेशन नहीं होता, कोई फाइट बैक नहीं होता. एक नेक्रोफिलिक अपने दिमाग़ में येएहसास ले कर चलता है कि जब मैं उसके साथ संभोग कर लूंगा, तो वो मेरा हो जाएगा."इंडिया में नेक्रोफ़ीलिया की ख़बरें आती रही हैं. हर साल लगभग एक से दो ऐसे केसेज़आते हैं जो नेशनल लेवल पर रिपोर्ट होते हैं. तमाम केसेज़ के बीच जिस केस की देश मेंसबसे ज्यादा चर्चा हुई वो था निठारी कांड. 2006 में पुलिस ने नोएडा के निठारी इलाकेमें रहने वाले मोहिंदर सिंह पंढेर और सुरेंदर कोली को गिरफ्तार किया था. उनके ऊपर19 लड़कियों की हत्या कर उनका रेप करने का केस चला था. पुलिस को उनके घर से तस्वीरोंऔर CDs के रूप में कुछ ठोस सबूत मिले थे. इन दोनों क्रिमिनल्स पर कई धाराएं लगीं-किडनैपिंग, रेप, मर्डर से जुड़ीं. लेकिन नेक्रोफीलिया यानी लाश का रेप करने से जुड़ीकोई धारा नहीं लगी क्योंकि इंडियन कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है. नैशनल सोशलएण्ड लीगल रिसर्च जर्नल की मार्च, 2021 के रिपोर्ट के अनुसार नेक्रोफिलिया के लिएइंडियन पीनल कोड में दो कानूनी प्रावधान है. इनमें धारा 297 और धारा 377 शामिल हैं.धारा 297(2) में किसी कब्रिस्तान या पूजा स्थल में Trespassing करना, या शव यात्रामें विघ्न डालना, या शवों का अपमान करना है. इसकी सज़ा एक साल की या जुर्माना यादोनों भी हो सकते हैं. इसके अलावा, धारा 377(3) है. जिसमें किसी भी पुरुष महिला याजानवर के साथ अननैचुरली सेक्स करने पर सज़ा दी जाती है. रिपोर्ट के अनुसार ये दोनोंधाराएं नेक्रोफिलिया के ऐक्टिविटीज़ को ठीक से डिफ़ाईन नहीं करती. यानी भारत में सीधेतौर पर नेक्रोफिलिया जैसे अपराध की कोई सज़ा नहीं है. क्या आपको लगता है कि इंडियामें नेक्रोफीलिया को लेकर कानून बनना चाहिए? अपनी राय लिखें कमेंट सेक्शन में.शुक्रिया.