चेहरे पर होने वाली झाइयों से परेशान हो? डॉक्टरों की ये बातें पहली फुरसत में पढ़ लो
झाइयों के कारण, बचाव और इलाज की पूरी जानकारी यहीं पर है.
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
अदिति सोनी लखनऊ की रहने वाली हैं. बहुत परेशान हैं. उन्होंने ईमेल के ज़रिए हमें बताया कि तीन महीने बाद उनकी शादी है. एक महीने पहले उन्हें मेलास्मा की परेशानी शुरू हुई. अब ये मेलास्मा क्या है? इसे बोलचाल की भाषा में हम झाइयां कहते हैं. इसमें स्किन पर भूरे रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं.
मेलास्मा कुछ यूं दिखता है
हिंदुस्तान में ये परेशानी काफ़ी आम है. बहुत लोग इस स्किन प्रॉब्लम से जूझते हैं. तो अदिति चाहती थी कि हम उनकी मदद करें. इसका इलाज पता करें. उन्होंने सारे घरेलू नुस्खे ट्राई कर लिए, पर कोई असर नहीं हुआ है. उल्टा रोज़ नई चीज़ ट्राई करने की वजह से स्किन और ज़्यादा खराब हो गई है. तो अदिति सबसे पहले तो आप खुद का इलाज करना प्लीज बंद कर दीजिए.
सबसे पहले तो ये जानते हैं कि मेलास्मा आख़िर होता क्या है? और बैठे-बिठाए क्यों हो जाता है?
इस बारे में हमें बताया डॉक्टर ज़ेबा छपरा ने. वो डर्मटॉलजिस्ट हैं, क्यूटिस स्किन स्टूडियो, मुंबई में.
डॉक्टर ज़ेबा छपरा, डर्मटॉलजिस्ट, क्यूटिस स्किन स्टूडियो, मुंबई
झाइयां एक प्रकार का हाइपर पिगमेंटेशन है. अक्सर हमारे चेहरे पर अलग-अलग रंग के दाग या धब्बे होते हैं. झाइयां भी इसी का एक प्रकार है. ये ज़्यादातर औरतों में होता है. पर पुरुषों को भी ये समस्या हो सकती है. इसमें चेहरे पर ब्राउन, ग्रे या ब्लैक कलर के पैचेज़ होते हैं. ये गाल, नाक या माथे पर सबसे ज्यादा नज़र आते हैं.
कारण:
-झाइयों के होने का सबसे बड़ा कारण होता है धूप में रहना
-धूप की वजह से हमारे स्किन में मेलानोसाइट्स सेल्स बढ़ जाते हैं, ये सेल स्किन को कलर देते हैं.
-दूसरा कारण है हॉर्मोनल. अक्सर महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद झाइयां पड़ने लगती हैं, ये इसलिए होता है क्योंकि हमारे हॉर्मोन में कुछ बदलाव आते हैं.
- बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से भी हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, उससे भी झाइयां होने का चांस होता है.
-तीसरा कारण है स्ट्रेस. स्ट्रेस की वजह से जिन लोगों में पहले से मेलास्मा होता है, वो बढ़ने का चांस होता है
-चौथा कारण. अगर आपकी फैमिली में किसी को मेलास्मा है तो चांस है आपको भी हो सकता है
मेलास्मा क्या होता है? क्यों होता है? ये तो पता चल गया. पर क्या इससे बचा जा सकता है? और इसका इलाज क्या है?
इस बारे में हमें बताया डॉक्टर अप्रितम गोयल ने. वो डर्मटॉलजिस्ट हैं, क्यूटिस स्किन स्टूडियो, मुंबई में.
डॉक्टर अप्रितम गोयल, डर्मटॉलजिस्ट, क्यूटिस स्किन स्टूडियो, मुंबई
डॉक्टर गोयल ने हमें बताया कि ये सिर्फ एक स्किन प्रॉब्लम है. इसका शरीर के अंदरूनी हिस्सों में कोई असर नहीं होता है. हालांकि, उन्होंने बताया कि इस समस्या से जूझने वाली कई महिलाएं और लड़कियां अपना कॉन्फिडेंस खो देती हैं.
बचाव:
-काफ़ी हद तक आप मेलास्मा या झाइयों से नहीं बच सकते हैं क्योंकि इसका रिलेशन हॉर्मोन से है
-झाइयों का बचाव 100 प्रतिशत पॉसिबल नहीं है
-लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. जो झाइयां यूवी (UV) रेज़ के कारण बढ़ती हैं, उससे हम काफ़ी हद तक बच सकते हैं
धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज़रूर करें
-घर से निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना बहुत ज़रूरी है
-आजकल ओरल सनस्क्रीन भी आती है जिसे आप खा सकते हैं
-स्कार्फ़, चश्मे, कैप वगैरह से अपनी स्किन को कवर कीजिए.
-स्ट्रेस कम लीजिए. रिलैक्स करने के लिए योग और एक्सरसाइज़ करिए
-अगर मेलास्मा कुछ दवाइयों से हो रहा है तो डॉक्टर से बात करके उन दवाइयों को रोक दीजिए
इलाज:
-झाइयों का इलाज कभी-कभी दो हफ़्तों में असर दिखा देता है. कभी-कभी दो साल लग जाते हैं
-इसमें मरहम का इस्तेमाल होता है. जैसे हाइड्रोक्विनोन (Hydroquinone), कोजिक एसिड, ट्रेटिनॉइन (Tretinoin) या कुछ स्टेरॉयड भी
-इन्हें सिर्फ़ डॉक्टर से सलाह लेकर ही इस्तेमाल करना चाहिए, लंबे समय तक इन्हें इस्तेमाल करने से काफ़ी साइड इफ़ेक्ट होते हैं
-मेलास्मा के लिए काफ़ी नई दवाइयां भी आ गई हैं
-अगर इलाज के दो से तीन महीने बाद भी मेलास्मा ठीक नहीं हो रहा है तब इसमें केमिकल पील्स का इस्तेमाल किया जाता है
-केमिकल पील्स में ग्लायकॉलिक एसिड (Glycolic Acid), रेटिनॉल (Retinol), मैंडेलिक एसिड (Mandelic acid) पील्स काफ़ी असरदार हैं
-लेज़र ट्रीटमेंट जैसे पीको लेज़र ट्रीटमेंट भी किया जाता है
सुना आपने. तो अगर आपको मेलास्मा की दिक्कत है तो डॉक्टर से ज़रूर मिलिए. घरेलू नुस्खों के चक्कर में स्किन का और बुरा हाल मत करिए.
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