देश में बढ़ने लगे हैं मलेरिया के केसेस, डॉक्टर्स से जानिए कैसे बचें?
भारत में हर साल मलेरिया के 20 लाख मलेरिया केसे रिपोर्ट होते हैं.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
रोशन नोएडा के रहने वाले हैं. 28 साल के हैं. जुलाई के महीने में उनकी तबीयत ख़राब हो गई. कंपकंपी, सिर में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, और उल्टी जैसे लक्षण महसूस होने लगे. रोशन डर गए. ये सारे लक्षण कोविड के भी हैं. कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई, पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. बाद में और टेस्ट्स कराए, जिनमें पता चला कि रोशन को मलेरिया हुआ है. NCBI यानी नेशनल सेंटर ओर बायोटेक्नॉलोजी इनफार्मेशन के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल 20 लाख मलेरिया के केसेस रिपोर्ट होते हैं.
द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक, साल 2000 और 2019 के बीच मौतों की दर कम हुई है. साल 2000 में 29,500 मौतें रिपोर्ट की गई थीं. 2019 में 7700. ये आकड़ें अभी भी ज़्यादा ही हैं. इसलिए ज़रूरी है कि लोगों को मलेरिया के बारे में सही जानकारी हो. इसके कारण, लक्षण, बचाव और इलाज के बारी में मालूमात हो ताकि किसी की जान पर न बन आए. तो चलिए आज इसी पर बात करते हैं. मलेरिया क्या है और क्यों होता है? ये हमें बताया डॉक्टर विनीता गुप्ता ने.
डॉक्टर विनीता गुप्ता, सीनियर मेडिकल ऑफिसर, कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेंट, सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल, दिल्ली
मलेरिया एक बुखार है जो कि मच्छर के काटने से फैलता है. इसका असली कारण प्लाज्मोडियम वाइवैक्स है जो कि एक पैरासाइट है. यह बीमारी सदियों से लेकर आज तक भी हमारे लिए खतरा बनी हुई है.
प्लाज़्मोडियम चार प्रकार का होता है. प्लाज्मोडियम वाइवैक्स, फैल्सी पैरम, ओवेल और मलेरी. हमारे देश में प्लाज्मोडियम और फैल्सी पैरम ज्यादा फैलता है. आज की तारीख में 50% केसेज प्लाज्मोडियम फैल्सी पैरम के कारण होते हैं. 4 से 8 परसेंट मिक्स इंफेक्शन के कारण तो वहीं 40 परसेंट प्लाज्मोडियम वाइवैक्स की वजह से होते हैं.
जब फीमेल एनाफिलीज मच्छर बीमार या मलेरिया ग्रसित व्यक्ति को काटती है तो यह प्लाज्मोडियम मच्छर में आ जाते हैं. अब जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह परजीवी उस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी मलेरिया बुखार हो जाता है. मलेरिया का मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पाया जाता है जैसे तालाब, टंकी का पानी. यह मच्छर ज्यादातर रात में काटता है. इसका इनक्यूबेशन पीरियड 10 से 12 दिनों का होता है. यानी मच्छर काटने के 10 से 12 दिनों के बाद लक्षण दिखने लगते हैं. आमतौर पर मलेरिया जुलाई से लेकर नवंबर के बीच ज्यादा फैलता है.
मलेरिया का कारक परजीवी प्लाज्मोडियम होता है, जो 4 प्रकार का होता है
लक्षण - मलेरिया में कंपकंपी लगकर बुखार चढ़ता है
- आमतौर पर इसके लक्षण हैं बदन दर्द, सिर दर्द, जी मिचलाना, लूज मोशन
- गंभीर केसेज में किसी-किसी को दौरे भी पड़ने लगते हैं, यहां तक कि बेहोशी भी हो सकती है
- मलेरिया का बुखार कुछ खास होता है, कई बार यह एक दिन छोड़कर अगले दिन आता है. इसके अल्टरनेट फीवर भी कहते हैं
- मलेरिया का बुखार 3 स्टेज में आता है
मच्छर काटने के 10 से 12 दिनों के बाद लक्षण दिखाई पड़ने लग जाते हैं
- पहली स्टेज है कोल्ड स्टेज, जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें ठंड लगकर कंपकंपी के साथ बुखार आता है, थकान और सिर दर्द भी होता है और ठंड के साथ ही बुखार चढ़ने लगता है
- शुरुआती दौर में हाथ- पैर एकदम ठंडे पड़ जाते हैं. यह स्टेज पौने घंटे से लेकर 1 घंटे तक होती है
- दूसरी स्टेज हॉट स्टेज होती है, इसमें बुखार बहुत तेज होता है
- 102 डिग्री तक बुखार आता है और मरीज को बहुत गर्मी लगती है
- इस स्टेज में मरीज कपड़े भी नहीं पहनना चाहता, सिर दर्द बहुत तेज होता है. यह स्टेज 2 से लेकर 6 घंटे तक हो सकती है
- इसके बाद स्वेटिंग स्टेज आती है, इसमें पसीना छूटने के साथ बुखार उतरने लगता है
- थकान और कमजोरी बहुत ज्यादा महसूस होती है, यह स्टेज 2 से 4 घंटे तक रहती है हेल्थ रिस्क - मलेरिया का अगर उचित इलाज न हो तो कई सारे कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं
- खून की कमी होना, स्प्लेनोमेगाली, हेपेटोमेगाली, हरपीज इंफेक्शन, किडनी इन्फेक्शन, मलेरिया रिलैप्स यानी कि मलेरिया का बार बार होना
शुरुआती दौर में हाथ- पैर एकदम ठंडे पड़ जाते हैं. यह स्टेज पौने घंटे से लेकर 1 घंटे तक होती है
- प्लाज्मोडियम फैंसी फेरम के केसेज में ज्यादा गंभीर कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं
-जैसे कि सेरेब्रल मलेरिया, किडनी फेल, लिवर फेलियर, डिहाइड्रेशन कोलैप्स, एनीमिया, ब्लैक वॉटर फीवर हो सकता है बचाव मलेरिया से बचाव के लिए मच्छर से बीमार व्यक्तियों और बीमार व्यक्ति से मच्छर की चेन तोड़नी होती है. इसके लिए इंटीग्रेटेड वेक्टर मैनेजमेंट करना पड़ता है.
- सबसे पहले एडल्ट मच्छर से बचाव के तरीके, इसमें इंडोर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. ये कीटनाशक मॅलेथिऑन या फिर पाइरिथ्रम से बनी होती है
- इसके बाद मच्छर के लार्वा से बचाव के लिए हमें ठहरे पानी में इंसेक्टिसाइड या लार्वीसाइट डालना होता है,
- फिर आते है पर्सनल प्रोटेक्शन पर, इसमें फुल स्लीव्स वाले कड़े पहनें, मस्कीटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें
- अपने घर में हर जगह, कोनो में , फोटो फ्रेम्स पर मच्छर नाशक का छिड़काव करें
प्लाज्मोडियम फैंसी फेरम के केसेज में ज्यादा गंभीर कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं
- शाम के समय खिड़की –दरवाजे बंद रखें इलाज - बुखार होने पर अपने आप से या केमिस्ट से पूछकर बहुत दिनों तक दवाई न लें
- पेरासिटामॉल ले सकते हैं लेकिन लेकिन तुरंत खून की जांच कराना भी बेहद आवश्यक होता है
- मलेरिया की दवाइयां डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें, क्योंकि मलेरिया के प्रकार के हिसाब से दवाई दी जाती है उसकी डोज सेट की जाती है
बारिश के बाद अक्सर मलेरिया के केसेस में बढ़ोतरी देखी जाती है. ऐसे में ज़रूरी है आप पूरा बचाव करें. डॉक्टर ने बचाव की जो टिप्स बताई हैं उनको फॉलो करिए. लक्षणों पर ख़ास नज़र रखिए, लक्षण दिखने पर टेस्ट ज़रूर करवाएं ताकि सही समय पर इलाज शुरू हो सके.