टेस्ट ट्यूब में कैसे बनता है बच्चा और इसमें खर्च कितना आता है?
IVF से मां-बाप बनना चाह रहे हैं? ये 5 बातें ज़रूर जान लें.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
शमा बयालीस साल की हैं. दिल्ली की रहने वाली हैं. Lallantop की पुरानी व्यूअर हैं. शमा बताती हैं कि वो और उनके पति पिछले छह साल से बच्चे के लिए ट्राय कर रहे हैं, पर अभी तक कामयाब नहीं हुए. इन छह सालों में एक बार शमा प्रेगनेंट भी हुई थीं पर उनका मिसकैरिज हो गया. शमा की एक फ्रेंड पिछले साल मां बनीं. उन्होंने IVF का सहारा लिया था. IVF यानी In-vitro fertilization. अब आपने कई बार IVF का नाम सुना होगा. 2019 में करीना कपूर, अक्षय कुमार, किआरा अडवाणी और दिलजीत दोसांझ की एक फ़िल्म आई थी. 'गुड न्यूज़'. इसमें दो कपल्स थे. पहला करीना और अक्षय. और दूसरा किअरा और दिलजीत. दोनों कपल्स बच्चा पैदा करने के लिए IVF का सहारा लेते हैं. अब जिन लोगों ने ये फ़िल्म देखी है, उन्हें इसकी स्टोरी पता होगी. शायद उन्हें थोड़ा बहुत अंदाज़ा हो IVF क्या होता है.
फ़िल्म 'गुड न्यूज़' का प्लाट IVF के इर्दगिर्द घूमता है
शमा और उनके पति अब IVF का सहारा लेना चाहते हैं पर उनके मन में कई सवाल हैं. इसमें कितना ख़र्चा आ सकता है, ये कैसे होगा वगैरह. डॉक्टर के पास जाने से पहले वो ज़्यादा से ज़्यादा रिसर्च करने की कोशिश कर रहे हैं. शमा चाहती हैं हम IVF पर अपने रीडर्स को जानकारी दें. ये क्या होता है, कौन इसका इस्तेमाल कर सकता है, कैसे होता है-ये सब डॉक्टर से बात करके लोगों को बताएं ताकी जो लोग IVF के बारे में सोच रहे हैं, उन तक सही और सटीक जानकारी पहुंच सके. तो सबसे पहले ये समझ लेते हैं IVF क्या होता है? क्या होता है IVF? ये हमें बताया डॉक्टर शिप्रा बागची ने.
डॉक्टर शिप्रा बागची, इनफर्टिलिटी एंड IVF स्पेशलिस्ट, डॉक्टर बागचीज़ IVF सेंटर, लखनऊ
IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन, जिसे आम भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है. दरअसल IVF एक आधुनिक तकनीक है. इसमें महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म का फर्टिलाइज़ेशन लैब में कराया जाता है. फिर इससे बनने वाले भ्रूण यानी एम्ब्रयो को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है.
कुदरती तौर पर अंडों के फर्टिलाइज़ेशन वाली यह प्रक्रिया महिला के गर्भाशय की फैलोपियन नलिका (फैलोपियन ट्यूब) में होती है. लेकिन कई बार कुदरती तौर पर फर्टिलाइज़ेशन नहीं हो पाता है. इसलिए IVF की प्रक्रिया अपनाई जाती है. IVF कैसे किया जाता है? IVF के 3 चरण होते हैं
-सबसे पहला चरण होता है महिला की ओवरी में अंडों की ग्रोथ को बढ़ाना. नैचुरली महिला की ओवरी में कई सारे अनडेवलप्ड अंडे होते हैं, उन्हें ऊसाइट्स कहते हैं. हर महीने एक अंडा डेवलप होकर ओवरी से बाहर निकलता है. IVF के लिए इंजेक्शन और दवाएं देकर एक बार में ज्यादा अंडे डेवलप करके उन्हें मैच्योर किया जाता है. इसके बाद इन अंडों को शरीर से बाहर निकाला जाता है.
-दूसरा चरण होता है फर्टिलाइज़ेशन. इसमें पुरुष के स्पर्म और महिला के एग को टेस्ट ट्यूब के अंदर फर्टिलाइज़ कराया जाता है.
दरअसल IVF एक आधुनिक तकनीक है. इसमें महिला के अंडों का फर्टिलाइज़ेशन (निषेचन) पुरुष के शुक्राणु के साथ लैब में कराया जाता है
-तीसरा चरण होता है एंब्रियो (भ्रूण) ट्रांसफर. फर्टिलाइज़ेशन के बाद जो एंब्रयो (भ्रूण) तैयार होता है, उसे तीसरे या पांचवें दिन महिला के गर्भाशय में प्लांट कर दिया जाता है. कौन लोग IVF का सहारा ले सकते हैं? - फेलोपियन ट्यूब का बंद होने पर
-अंडाशय में अंडों की कमी या उनकी गुणवत्ता में कमी होने पर
-पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या में कमी होने पर
-एक और कंडीशन होती है अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी मतलब कि ऐसे दंपत्ति जो बहुत सालों से इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, पर सारे टेस्ट नॉर्मल होने के बावजूद वो कंसीव नहीं कर पा रहे या ऐसे कपल जिनमें सारे इलाज, सारे ट्रीटमेंट फेल हो चुके हैं
IVF में ख़र्चा होता है पर इतना भी नहीं कि इसे कोई आम इंसान करवा न सके
क्या IVF में कोई रिस्क है? IVF एक सिंपल सी प्रक्रिया है. इसमें ऐसा कोई रिस्की प्रोसीजर नहीं शामिल होता है. इसमें हॉर्मोन्स दिए जाते हैं, अंडों को बनाने के लिए. ये हॉर्मोन्स ज्यादा दिनों तक बॉडी में नहीं रहते हैं. बॉडी से वॉशआउट हो जाते हैं तो इनका कोई लॉन्ग टर्म इफेक्ट नहीं पड़ता है.
दूसरा होता है अंडाशय से अंडों को निकालने की प्रक्रिया, इसके लिए महिला को हल्का बेहोश किया जाता है. यह बिल्कुल पेनलेस प्रक्रिया होती है और इसमें भी कोई एक्स्ट्रा रिस्क नहीं होता है, दर्द नहीं होता.
लोगों के मन में शंका होती है कि जो बच्चे IVF से पैदा होते हैं, उनमें जेनेटिक बीमारी होने का खतरा होता है. ऐसा नहीं है. IVF से पैदा होने वाले बच्चों में अनुवांशिक बीमारी होने का खतरा उतना ही होता है जितना नॉर्मल बच्चों में होता है. IVF में मोटा-माटी कितना ख़र्चा आता है? IVF में ख़र्चा होता है पर इतना भी नहीं कि इसे कोई आम इंसान करवा न सके. IVF में खर्च कितना आएगा यह पेशेंट टू पेशेंट डिपेंड करता है.
यह बिल्कुल पेनलेस प्रक्रिया होती है और इसमें भी कोई एक्स्ट्रा रिस्क नहीं होता है, दर्द नहीं होता
हो सकता है किसी पेशेंट का एक ही साइकिल में काम हो जाए और किसी को ज्यादा साइकिल्स की जरूरत पड़े. अगर किसी को ज्यादा कॉम्प्लिकेशंस हैं तो हो सकता है उनको कुछ एक्स्ट्रा ट्रीटमेंट लेने पड़ें जो IVF में जोड़ने पड़ेंगे. नॉर्मल सिचुएशन में IVF में एक लाख से लेकर डेढ़ लाख, दो लाख तक खर्च आता है और फिर यह पेशंट के ऊपर निर्भर करता है. यह खर्च ऊपर भी जा सकता है. IVF कहां करवा सकते हैं? IVF सेंटर के चयन से पहले 2- 3 बातों का ध्यान रखना चाहिए,
- आप जिस सेंटर से IVF करवा रहे हैं वहां के डॉक्टर्स का एक्सपीरिएंस और क्वॉलिफिकेशन क्या है?
- वहां जो लैब है, क्या वो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को फॉलो करती है?
-वहां का क्वालिटी कंट्रोल कैसा है और वहां का सक्सेस रेशियो कैसा है?
-इन बातों के आधार पर आप अपने IVF सेंटर का चयन कर सकते हैं
उम्मीद है जो भी लोग IVF के बारे में जानकारी चाह रहे हैं, उन्हें डॉक्टर शिप्रा की बताई गई बातों से बहुत मदद मिलेगी. क्योंकि IVF थोड़ा खर्चीला प्रोसीजर है, इसलिए अपना पैसा कहीं लगाने से पहले ये ज़रूरी सुनिश्चित कर लें कि जिस सेंटर या क्लिनिक से आप IVF करवा रहे हैं, उसका सक्सेस रेट क्या है. पुख्ता जानकारी हासिल करने के बाद ही IVF सेंटर का चयन करें.