कुछ खा लेने से पेट में होने वाली गड़बड़ और फूड एलर्जी में ये अंतर जानना बहुत ज़रूरी है
डॉक्टर ने बताया कि कब डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी हो जाता है.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो भी सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें. लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
कई लोग आजकल दूध से एलर्जी से शिकायत करते हैं. बताते हैं कि उससे उनको गैस हो जाती है या पेट में दर्द हो जाता है. वहीं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें कोई खास चीज़ खा लेने से पूरे शरीर में रैशेज़ आ जाते हैं, खुजली होने लगती है, या कोई और दिक्कत होने लगती है. क्या ये दोनों एक की चीज़ हैं? और कई लोग जो दूध या गेहूं से एलर्जी की शिकायत करते है, बीते कुछ समय में इस तरह की शिकायतें बढ़ी हैं, इसके पीछे की वजह क्या है? वजह समझने के लिए हमने न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर मेधा कपूर से बात की.
Dr medha kapoor
डॉक्टर मेधा ने बताया,
"आपके घर में भी बड़े-बूढ़े होंगे वो कहते होंगे कि आपकी जनरेशन में किसी को दूध नहीं पच रहा है. तो किसी को गेहूं नहीं पच रहा है. इस तरह की चीजें हमारी जनरेशन में नहीं होती थी. बहुत सारी वजहों के चलते लोगों में फूड इनटॉलरेंस बढ़ गई है, लेकिन इसमें साइकोलॉजिकल फैक्टर भी महत्वपूर्ण रोल प्ले कर रहा है. जैसे आप किसी भी सुपर मार्केट में जाकर देख लें. वहां आपको आपके फेवरेट सेलेब्रिटी द्वारा एंडोर्स ग्लूटेन फ्री प्रोडक्ट, लैक्टोस फ्री प्रोडक्ट दिखता है. ऐसे में अगर आप इन चीजों को बार-बार देखते हैं और उससे खुद को एसोसिएट कर लेते हैं, कि ये सुपीरियर है, क्योंकि ये कीमती है, सेलेब्रिटी इसे खा रहे हैं और मार्केट में स्पेशल जगह पर है. तो हमें लगता है कि हम भी ये खाना डिज़र्व करते हैं. इसके बाद हम सेल्फ डॉयग्नोज करने लग जाते हैं कि हमें लैक्टोज से दिक्कत हो रही है, या ग्लूटेन से दिक्कत हो रही है."डॉक्टर मेधा आगे कहती है कि अगर ऐसी कोई भी दिक्कत महसूस होती है तो सेल्फ डॉयग्नोज़ करने की बजाय डॉक्टर से मिलकर लक्षण डिस्कस करें. डॉक्टर मेधा ने बताया कि साइकोलॉजिकल कारणों से ऐसे केस बढ़ रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि कैसे पहचानें कि किसको सच में फूड एलर्जी है, क्योंकि फूड एलर्जी से कई बार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. क्या होती है Food Allergy और फूड इनटॉलरेंस? डॉक्टर मेधा का कहना है कि Food intolerance और फूड एलर्जी दोनों लगभग एक ही माने जाते हैं. लेकिन दोनों में बहुत अंतर है. फूड इंटॉलरेंस एक माइल्ड इंफेक्शन होता है. इसके लक्षण लोकलाइज़्ड और पेट से संबंधित होते हैं. जैसे पेट में गैस होना, दर्द होना, दस्त लग जाना, उल्टी आना. जबकि फूड एलर्जी पूरे शरीर को अफेक्ट करती है.
lactose free milk
डॉक्टर मेधा ने बताया,
"ज्यादातर लोगों को लैक्टोज इनटॉलरेंस के बारे में पता है. लैक्टोज एक प्रोटीन होता है जो दूध में पाया जाता है. कई लोग दूध को पचा नहीं पाते क्योंकि उनकी आंतो में वो एंजाइम नहीं होता है, जो दूध को पचा सके. जिसकी वजह से दूध का सेवन करने पर उन्हें बहुत कष्ट होता है, लेकिन इस तरह की इनटॉलरेंस का असर पूरी बॉडी पर नहीं पड़ता. लक्षण लोकलाइज्ड होते है. मतलब इस तरह के केस में पेट और पेट से जुड़े सिस्टम में ज्यादा डिस्ट्रेस होता है."वहीं फूड एलर्जी के बारे में वो बताती हैं,
"फूड एलर्जी ज्यादा गंभीर होती है. इसमें हमारी बॉडी का पूरा इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है जैसे अगर हमारी बॉडी में कोई भी वायरस, बैक्टीरिया या किसी पाइथोजन का अटैक होता है. तो उसे हटाने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम लग जाता है. उसी तरह. इसके लक्षण पूरी बॉडी में होते हैं जैसे शरीर में सूजन हो सकती है, शरीर लाल पड़ सकता है, रैशेज आ सकते हैं, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, घबराहट होती है, चक्कर आ सकते हैं और गंभीर केसेज में ये शॉक की स्टेज में भी आ सकते हैं. जिसकी वजह से कई बार मौत भी हो सकती है."डॉक्टर मेधा कहती है कि एलर्जी है या इनटॉलरेंस या कुछ भी नहीं, इसका फैसला आप खुद न करें. बल्कि डॉक्टर से बात करें. टेस्ट्स के बाद ही वो आपको बता पाएंगे कि दिक्कत क्या है. ट्रीटमेंट भी मेडिकल प्रोटोक़ॉल्स के तहत लें.