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किसी को मिर्गी का दौरा पड़ रहा हो तो ये काम हरगिज़ न करें

जूते सूंघाना, मारना- ये एकदम न करें.

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मिर्गी के दौरे में ज़बरदस्ती मुंह में दवाई, कुछ खाने की चीज़, पानी हरगिज़ ज़बरदस्ती न डालें.
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सरवत
11 नवंबर 2020 (Updated: 11 नवंबर 2020, 13:59 IST)
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

रमित बिलासपुर के रहने वाले हैं. 28 साल के हैं. उन्हें कई समय से एपिलेप्सी यानी मिर्गी के दौरे पड़ रहे हैं. इलाज भी चल रहा है. उनका हमें मेल आया. रमित ने बताया कि जब भी उन्हें मिर्गी का दौरा पड़ता, उनके घरवाले उन्हें कंट्रोल करने के लिए अलग-अलग चीज़ें करते. उनमें से कई ट्रिक्स ऐसी थी जो काफ़ी नुकसानदेह थीं. डॉक्टर्स ऐसा करने से मना करते हैं. जैसे इस डर से कि मिर्गी के दौरे के बीच रमित अपनी जुबान न निगल जाएं, वो उनके मुंह में चीज़ें ठूसने की कोशिश करते. नतीजा एक बार रमित चोक भी हो गए. रमित चाहते हैं कि हम एपिलेप्सी के बारे में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाएं. ये क्या होता है? क्यों होता है. क्या करना चाहिए, क्या नहीं. ये सब एक्सपर्ट्स से जानते हैं. ताकि अगर आपको, या आपके जानने वाले को मिर्गी का दौरा पड़ता है तो आपको पता हो क्या करना है. पर सबसे पहले एपिलेप्सी क्या होती है?
क्या होती है एपिलेप्सी?
डॉक्टर गोविंद माधव, न्यूरोलॉजिस्ट, AIIMS, ऋषिकेश
डॉक्टर गोविंद माधव, न्यूरोलॉजिस्ट, AIIMS, ऋषिकेश


-हमारे दिमाग में हज़ारों सर्किट होते हैं जिनके अंदर करंट का फ्लो होता है
-इन सर्किट्स का काम कॉम्प्लेक्स होता है, जिसके चलते हमारा दिमाग हमारे शरीर को कंट्रोल करता है
-अगर इनमें से किसी सर्किट में शॉर्ट सर्किट हो जाए तो उसके चलते जो हमारे शरीर में लक्षण पैदा होंगे उसे सीज़र यानी मिर्गी का दौरा कहते हैं
-अगर किसी को सिर्फ़ एक बार दौरा हो तो उसे सीज़र कहते हैं
-अगर दो या दो से ज़्यादा बार दौरे आएं तो उसे एपिलेप्सी कहते हैं
-अगर दो से ज़्यादा दौरे आएं हैं तो भविष्य में बार-बार दौरे आने की संभावना बढ़ जाती है
-ऐसे केस में जांच के बाद मरीज़ को लंबे समय के लिए दवाई देने की ज़रूरत पड़ती है
कारण
- 60 से 70 प्रतिशत केसेज़ में पाया जाता है कि ब्रेन की बनावट में गड़बड़ी होती है, जैसे इंडिया में पेट में होने वाले कीड़े घूमते-घूमते ब्रेन तक पहुंच जाते हैं, ब्रेन में टीबी होता है.
Blood Clot in the Brain: Symptoms, Treatment and Diagnosis | Narayana Health ब्रेन में चोट के दौरान खून के थक्के जम जाते हैं. किसी को लकवा पड़ जाता है


-बचपन से ही ब्रेन में बनावटी ख़राबी होती है
-30 से 40 प्रतिशत केसेज़ में सारी जांचों के बाद भी कारण का पता नहीं चल पता है
मिर्गी का दौरा क्यों पड़ता है, ये आपको पता चल गया. अब जानते हैं कि कैसे पता चलेगा किसी को मिर्गी का दौरा पड़ा है. ख़ासतौर पर जब पहली बार किसी को मिर्गी का दौरा पड़ता है तब फौरन दिमाग की बत्ती जलना और भी मुश्किल हो जाता है. तो समझते हैं इसके लक्षण और इलाज. क्या करना चाहिए. क्या नहीं.
लक्षण
-मिर्गी के दौरे में क्या लक्षण पैदा होंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि दिमाग के किस हिस्से में शॉर्ट सर्किट हुआ है
-अगर ब्रेन के मोटर कोर्टेक्स यानी दिमाग का वो हिस्सा जो बॉडी के मूवमेंट को कंट्रोल करता है, वहां शॉर्ट सर्किट हो तो शरीर में झटके और हाथ में अकड़न हो सकती है
-अगर सेंसरी कोर्टेक्स यानी ब्रेन का वो हिस्सा जो सेंसेशन महसूस करता है, वहां शॉर्ट सर्किट हो तो शरीर के किसी हिस्से में अचानक से दर्द हो सकता है, चींटी चलने जैसा लग सकता है, या अलग तरह की अनुभूति होने लगे
-अगर ब्रेन के ऑक्सीपिटल कोर्टेक्स यानी वो हिस्सा जो हमें देखने में मदद करता है वहां शॉर्ट सर्किट हो तो एकदम से रोशनी दिखने लग सकती है, अजीब सी चीज़ें दिखने लग सकती हैं
बच्चों में मिर्गी रोग के लक्षण, कारण, इलाज व घरेलू उपचार | Bacho Mein Mirgi Ke Jhatke Ka Ilaj मिर्गी के दौरे में क्या लक्षण पैदा होंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि दिमाग के किस हिस्से में शॉर्ट सर्किट हुआ है


-लिंबिक कोर्टेक्स यानी ब्रेन का वो हिस्सा जो हमारी पर्सनालिटी और सोच को कंट्रोल करता है, अगर वहां शॉट सिर्किट हो जाए तो इंसान अलग तरह से बिहेव करने लगता है. रोने लग जाए. चिल्लाने लग जाए
आपके सामने किसी को दौरे पड़ रहे हों तो क्या करें?
-उसके हाथ-पैर को पकड़ने की कोशिश न करें
-दौरे के दौरान को झटके पड़ते हैं वो काफ़ी पावरफुल होते हैं. आपके रोकने से वो रुकेंगे नहीं. उल्टा मरीज़ को चोट लग सकती है
-मरीज़ को सीधी जगह पर करवट के बल लिटा दें. इससे उसे चोट नहीं लगेगी और मुंह में जो झाग बन रहा है वो सीधे बाहर गिरेगा. न कि सांस की नली में जाकर रुकावट पैदा करेंगे
-दौरे में जबड़े हिलते हैं. इसलिए चम्मच जैसी चीज़ को दांतों के बीच रख दें. ताकि मरीज़ अपनी जुबान न काट ले
-जूते, चप्पल न सूघाएं
-मिर्गी के दौरे में ज़बरदस्ती मुंह में दवाई, कुछ खाने की चीज़, पानी हरगिज़ ज़बरदस्ती न डालें. पेशेंट उसे निगलने की स्थिति में नहीं होता है
-अधिकतर दौरे 2 से 4 मिनट में ख़ुद ही रुक जाते हैं
-दौरे रुकते ही मरीज़ को डॉक्टर के पास लेकर जाएं
मिर्गी के मरीज़ क्या करें
-जिन लोगों में दौरों का कारण पता चल जाता है, उनमें कारणों का इलाज करने से दौरों से मुक्ति मिल सकती है
-दो से तीन साल दवाइयां चलती हैं. फिर दौरों की रोकथाम हो जाती है
-जहां कारण नहीं पता चलता, वहां हो सकता है जिंदगीभर दौरों की दवाई खानी पड़े
National Epilepsy Day: मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें और क्या नहीं? - what-to-do-when-someone-has-a-epilepsy-attacks - Nari Punjab Kesari अधिकतर दौरे 2 से 4 मिनट में ख़ुद से रुक जाते हैं


-अगर किसी को दौरे लगातार पड़ रहे हैं तो उसे मुंह से दवाई न दें. नज़दीकी हॉस्पिटल लेकर जाएं जहां नसों के द्वारा यानी आईवी के द्वारा दौरे रोकने की कोशिश की जाती है.
-जो दवाई दी गई है उसे बिना डोज़ मिस किए लेते रहें. बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना बंद न करें
-बार-बार दवाई और डॉक्टर न बदलें
-नींद की मात्रा सही लें
-नशा न करें
-अकेले ख़तरे वाली जगह पर न जाएं
डॉक्टर साहब ने जो बातें बताईं उनको रट लीजिए. अगली बार किसी को आपके सामने मिर्गी का दौरा पड़े तो उसे कंट्रोल करने के लिए मारना मत शुरू कर दीजिएगा.


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