आंखों की बीमारी जिसमें वो सब भी दिखता है, जो है नहीं!
डॉक्टर की ये सलाह 'मतिभ्रम' की तकलीफ दूर कर सकती है!
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
एक इंसान है, उसे कुछ ऐसा दिख रहा है जो असल में नहीं है. जैसे कोई आकार, कोई रोशनी या कोई पैटर्न. कुल मिलाकर उसे Hallucination हो रहा है जिसे मतिभ्रम कहते हैं. ऐसे में उस इंसान के आसपास लोगों को ये या तो कोई भूत-प्रेत का चक्कर लगता है या कोई मानसिक बीमारी. इसमें मरीज़ को या तो बाबा-ओझाओं के हवाले कर दिया जाता है या साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट को दिखाया जाता है. अब अगर मैं आपसे कहूं कि इसमें न तो किसी भूत-प्रेत का हाथ है और न ही उस इंसान को कोई मानसिक बीमारी है. ऐसा होने के पीछे वजह है आंखों की कमज़ोर रोशनी. जी. हो सकता है आपको भी कई बार कुछ ऐसा दिख जाता हो, जो असल में नहीं है. जब आप दोबारा देखते हैं या पलकें झपकाते हैं, तो सब ठीक हो जाता है. दरअसल, ऐसा होता है एक सिंड्रोम के कारण जिसका नाम है चार्ल्स बोनट सिंड्रोम. क्या है ये जानते हैं डॉक्टर्स से.
चार्ल्स बोनट सिंड्रोम क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर ऋषि भारद्वाज ने.
-चार्ल्स बोनट सिंड्रोम आंखों की एक प्रॉब्लम है
-जहां मरीज़ उन चीज़ों को देखता है जो असली नहीं हैं
-ये चीज़ें किसी पैटर्न के रूप में हो सकती हैं
-परछाइयों के रूप में हो सकती हैं
-आकार के रूप में हो सकती हैं
-ये रंगीन और ब्लैक एंड वाइट दोनों हो सकती हैं
-इनका कोई नियम नहीं है
-बड़ी उम्र में ये समस्या ज़्यादा होती है
-क्योंकि इस वक़्त नज़र कम होने का चांस ज़्यादा होता है
-लेकिन ऐसा कम उम्र में भी हो सकता है
-ये मतिभ्रम आपको केवल दिखाई देते हैं
-आप इन्हें सुन नहीं सकते
-महसूस कुछ नहीं होता
-कुछ सूंघ नहीं सकते
कारण-चार्ल्स बोनट सिंड्रोम होने का कारण साफ़ नहीं है
-ये कोई न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर नहीं है
-ये उन लोगों में देखा जाता है जिनकी आंखों की रोशनी कम हो जाती है
-ख़ासकर उनमें जिनमें दोनों आंखों की रोशनी कमज़ोर हो जाती है
-इसका मतलब ये नहीं है कि जिस भी इंसान की आंखों की रोशनी कम होगी, उसको चार्ल्स बोनट सिंड्रोम होगा
-सिर्फ़ कुछ लोगों में ये पाया जा सकता है
-जिस कारण से आंखों की रोशनी कम हुई है, उससे चार्ल्स बोनट सिंड्रोम का कोई वास्ता नहीं है
-देखा जाता है कि जिन लोगों की आंखों की रोशनी अचानक से चली जाए जैसे किसी एक्सीडेंट या बीमारी के करण
-उनमें ये ज़्यादा देखा जाता है
लक्षण-इस सिंड्रोम में आपको मतिभ्रम होता है
-यानी जो चीज़ें नहीं हैं वो देख पाते हैं
-आपको आकार, परछाइयां, रोशनी दिखती है
इलाज-इसके इलाज के लिए कोई ऑपरेशन या दवाई निर्धारित नहीं है
-इलाज के लिए मरीज़ को अपना न्यूरोसेंसरी इनपुट बदलना होता है
-यानी अगर मरीज़ अंधेरे में बैठा है तो रोशनी में जाकर टहले
-अगर मरीज़ बहुत ज़्यादा रोशनी में है तो थोड़ी देर लाइट बंद करे या अंधेरे में आए
-ताकि जो भी मतिभ्रम उसे हो रहा है, वो धीरे-धीरे बंद हो जाए
-ये मतिभ्रम कुछ सेकंड से लेकर कुछ घंटों तक हो सकता है
-इसलिए आसपास की जगह बदलने से इसके कम होने का चांस होता है
अचानक वो चीज़ें दिखना जो असल में नहीं हैं, चार्ल्स बोनट सिंड्रोम की निशानी है. इसलिए अगर आपको डॉक्टर के बताए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं.
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