यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञोंके अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूरपूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.अमित 21 साल के हैं. वाराणसी के रहने वाले हैं. अमित को बचपन से भैंगेपन की शिकायतहै. अंग्रेज़ी में इसे स्क्विन्ट आइज़ कहा जाता है. इसमें दोनों आंखें एक हीडायरेक्शन में नहीं देखती. अपनी इस कंडीशन की वजह से उनका बचपन काफ़ी मुश्किल रहा.सब मज़ाक उड़ाते थे. भैंगा बुलाते थे. भैंगापन एक कंडीशन है. जो कुछ मेडिकल कारणों कीवजह से होती है. पर इस शब्द का इस्तेमाल लोगों का मज़ाक उड़ाने. उन्हें नीचा दिखानेके लिए किया जाता है. अमित को अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही. उनका आत्मविश्वास एकदमखत्म हो गया है. वो लोगों से कटकर रहते हैं. मित ने हमें मेल किया. वो चाहते हैं हमभैंगेपन को लेकर लोगों को बताएं कि ये कंडीशन क्यों होती है. ताकि उनमें जागरूकताआए. वो भैंगेपन से जूझ रहे लोगों की दिक्कत समझ पाएं.भैंगापन या तिरछी आंखें क्या होती हैं?ये हमें बताया डॉक्टर कौशल शाह ने.डॉक्टर कौशल शाह, ऑय स्पेशलिस्ट, ऑय हील कंप्लीट विज़न केयर, मुंबईआमतौर पर जब हम किसी भी चीज़ को देखते हैं तो हमारी दोनों आंखों की पुतली एक साथ उसचीज़ की तरफ़ जाती हैं, इसको नॉर्मल आई पैटर्न कहा जाता है. पर जब भैंगापन या तिरछीआंखें होती हैं तब एक आंख उस चीज़ की तरफ़ देखती है. दूसरी आंख किसी दूसरी तरफ़ फ़ोकसकरती है. इसी को आंखों का भैंगापन या तिरछी आंखें कहा जाता है.SQUINT EYE के कारण क्या हैं?-सबसे ज़्यादा आम कारण है जन्म से भैंगापन होना.-दूसरा कारण है डेवलपमेंटल. यानी जब आप चश्मों का सही नंबर नहीं पहनते या सही टाइमपर चश्मा नहीं लगता तो कभी-कभी एक आंख कमज़ोर हो जाती है. दूसरी आंख ज़्यादातंदुरुस्त रहती है. जिसकी वजह से कमज़ोर आंख अंदर या बाहर की तरफ़ शिफ्ट हो जाती है.-तीसरा कारण है नर्व डिसऑर्डर. कुछ नर्व आंख की मांसपेशियों को मैसेज पहुंचाती है.अगर वो किसी कारण से खराब हो जाए या वो मैसेज मांसपेशियों को नहीं पहुंचता है तो भीभैंगापन आ सकता हैवैसे तो आंखों के भैंगेपन के कई कारण हो सकते हैं. पर सबसे ज़्यादा आम है जन्म सेभैंगापन होनाकितने प्रकार का भैंगापन होता है?-जब आंख अंदर की तरफ़ आती है तो उसे ईसोट्रोपिया (Esotropia) कहा जाता है-जब बाहर की तरफ़ दोनों आंखें जाती हैं तो उसे एक्सोट्रोपिया (Exotropia) कहा जाताहै-जब आंखें ऊपर की तरफ़ देखती हैं तो उसे हाइपरट्रोपिया (Hypertropia) कहा जाता है-जब आंखें नीचे की तरफ़ देखती हैं तो उसे हाइपोट्रोपिया (Hypotropia) कहा जाता है-आंखों की कौन सी मांसपेशियों पर असर पड़ा है, उसके हिसाब से आंखें अंदर, बाहर, ऊपरया नीचे की तरफ़ हो जाती हैंभैंगेपन के पीछे क्या कारण हैं, वो आपने सुन लिए. अब बात करते हैं कि क्या इसकाइलाज मुमकिन है? जानिए डॉक्टर क्या कहते हैं.क्या भैंगेपन का इलाज मुमकिन है?-आंखों के भैंगेपन का इलाज निर्भर करता है उसके कारण पर-ज़्यादातर सबसे पहले आंखों के लिए सही नंबर का चश्मा दिया जाता है-उसके बाद आंखों को पैच किया जाता है. यानी जो कमज़ोर आंख होती है उससे ज़्यादा कामकराके उसे वापस तंदुरुस्त बना सकते हैं-तीसरा तरीका है आंखों की एक्सरसाइज़-आखिरी इलाज है आंखों की सर्जरीकुछ नर्व आंख की मांसपेशियों को मैसेज पहुंचाती है. अगर वो किसी कारण से खराब होजाए या वो मैसेज मांसपेशियों को नहीं पहुंचता है तो भी भैंगापन आ सकता है-ये सर्जरी आंखों की मांसपेशियों के ऊपर की जाती है. इन मांसपेशियों को छोटा करकेमज़बूत किया जाता है या लंबी करके कमज़ोर की जाती हैं.-आंखों की एक्सरसाइज़ से आंखों की मांसपेशियां मज़बूत की जाती हैं-जो कमज़ोर आंख हैं उसे ज़्यादा काम कराके उनकी मांसपेशियों को मज़बूत किया जाता हैनॉर्मल आंख को बंद रखा जाता है.- कमज़ोर आंख का इस्तेमाल वीडियो गेम्स खेलने, कम्प्यूटर-टीवी देखने के लिए करवायाजाता है. ज्यादा काम करने पर कमज़ोर आंख मजबूत हो जाती है.उम्मीद है जो लोग इस दिक्कत से जूझ रहे हैं, ये जानकारी उनके ज़रूर काम आएगी. साथ हीबाकी लोग भी समझेंगे कि किसी का भैंगापन मज़ाक का टॉपिक नहीं है. एक कंडीशन है.--------------------------------------------------------------------------------वीडियो