(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञोंके अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूरपूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)महेश 42 साल के हैं. वाराणसी के रहने वाले हैं. काफ़ी समय से उनको पेट के नीचे, बाईंतरफ़ दर्द उठता था. ये दर्द समय के साथ बढ़ता गया. उठते वक़्त, चलते समय यहां तक किकरवट बदलने में भी भयानक दर्द होता था. शुरुआत में महेश को लगा था कि उनके पैर कीकोई नस चढ़ गई है. पर जब दर्द महीनों बाद भी नहीं गया तो महेश को चिंता होने लगी.उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. उनकी जांच हुई, एक्सरे हुआ. पता चला ये दर्द कूल्हे कादर्द था. महेश चकरा गए. क्योंकि अभी तक ज़्यादातर लोगों की तरह उन्हें भी लगता था किकूल्हे का दर्द पीछे की तरफ़ होता है. पर ऐसा नहीं है. महेश के कूल्हे का जॉइंट घिसगया था, इसलिए उन्हें सर्जरी करवाने की ज़रूरत पड़ी. सर्जरी के बाद कुछ समय उनकीदवाइयां चलीं, फिज़ियोथेरेपी हुई. अब वो बेहतर हैं. महेश चाहते हैं हम अपने शो परकूल्हे के दर्द के ऊपर बात करें. इसके कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में लोगोंको बताएं. तो सबसे पहले कूल्हे के दर्द से जुड़ी कुछ आम ग़लतफ़हमी दूर कर लेते हैं.कूल्हे के दर्द को लेकर फैली ग़लतफ़हमीये हमें बताया डॉक्टर सुभाष जांगिड़ ने.डॉक्टर सुभाष जांगिड़, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड, बोन एंड जॉइंट इंस्टिट्यूट,फ़ोर्टिस, गुरुग्राम-बहुत सारे लोग कूल्हे के दर्द को ग़लत समझ लेते हैं.-उन्हें लगता है कि कूल्हों का दर्द हिप में पीछे की तरफ़ होता है, ऐसा नहीं है.-हिप जॉइंट का दर्द हमेशा आगे की तरफ़ होता है.-जहां पैर शरीर से जुड़ता है, उस जगह पर जो दर्द होता है सामने की तरफ़ उसे हिप पेनकहते हैं.-जो दर्द पीछे की तरफ़ होता है यानी जहां रीढ़ की हड्डी और कूल्हा आपस में जुड़ते हैं,वो रीढ़ की हड्डी के कारण होता है.-उसका हिप जॉइंट से 90 प्रतिशत तक कोई लेना-देना नहीं होता.-सामने की तरफ़ जो दर्द होता है उसे ग्रोइन पेन कहते हैं.-बैठते समय जहां शरीर और पैर जुड़ता है और क्रीज़ आती है, वहां होने वाला दर्द हिपजॉइंट का दर्द है.-बहुत कम केसेस होते हैं जहां हिप जॉइंट का दर्द सीधे घुटने के जोड़ों पर असर करताहै.-कभी-कभी घुटनों का दर्द हिप जॉइंट के कारण होता है.-उसकी वजह है कि जैसे दो लाइट लगी होती हैं और एक ही बटन से दोनों जलती हैं.-सेम वही चीज़ शरीर में होती है, हिप जॉइंट और घुटनों के जोड़ों की सप्लाई एक ही जगहसे होती है.-जब घुटनों में प्रॉब्लम होती है तो हिप में दर्द हो सकता है. अगर हिप में प्रॉब्लमहोती है तो घुटनों में दर्द हो सकता है.-ऐसा बहुत कम होता है , पर डॉक्टर जांच करके बता सकते हैं कि आपका दर्द घुटनों से आरहा है या जोड़ों से.-ये तो हुई बात कि पता कैसे लगाएं दर्द आ कहां से रहा है.कारण-हिप जॉइंट एक बॉल एंड सॉकेट जॉइंट होता है.-बॉल सॉकेट में रहती है और उसके अंदर हिप जॉइंट का मूवमेंट होता है.हिप जॉइंट का दर्द हमेशा आगे की तरफ़ होता है-शरीर के बाकी जॉइंट्स ज़्यादातर हिंज जॉइंट होते हैं. एक तरफ़ चलते हैं और एक तरफ़बंद होते हैं.-वो अलग-अलग दिशाओं में नहीं घूमते हैं.-केवल कंधे का जॉइंट और हिप जॉइंट हर दिशा में घूमते हैं.-जवान पेशेंट्स में सबसे आम प्रॉब्लम है एवैस्कुलर नेक्रोसिस.-यानी हिप जॉइंट की बॉल में खून का दौरान ख़त्म हो जाता है और बॉल डेड हो जाती है.-कोविड के दौरान पेशेंट्स को काफ़ी स्टेरॉयड दिए गए थे, जिसकी वजह से कई लोगों मेंबॉल के अंदर खून का दौरान ख़त्म हो गया.-स्टेरॉयड एक बहुत बड़ा कारण है हिप जॉइंट में दर्द होने का.-स्टेरॉयड कोई भी हो सकता है. जैसे कोई नॉर्मल स्टेरॉयड लेता है अस्थमा के लिए, वोभी हो सकता है, डॉक्टर्स द्वारा दिए जाने वाले स्टेरॉयड हो सकते हैं, या बहुत सारेलोग जिम में बॉडीबिल्डिंग के लिए स्टेरॉयड इस्तेमाल करते हैं, वो हो सकता है.-किसी भी तरह का स्टेरॉयड हिप जॉइंट को नुकसान पहुंचा सकता है.-अगर इस जॉइंट में सर्कुलेशन खत्म हो जाता है तो उससे होने वाली प्रॉब्लम 70प्रतिशत इंडियन पेशेंट्स में देखी जाती है.-10-15 प्रतिशत पेशेंट्स ऐसे होते हैं जिनमें पहले कभी चोट लगी थी, उसका इलाज हुआपर इलाज में किसी भी कारण से कमी रह गई. ऐसे में हिप जॉइंट अपने आप धीरे-धीरे खराबहो जाता है और इलाज की ज़रूरत पड़ती है.-कुछ केसेस में घुटने के आर्थराइटिस की तरह, हिप जॉइंट में भी आर्थराइटिस होता है.-ऐसा 10 प्रतिशत पेशेंट्स में देखा जाता है.हिप जॉइंट की बॉल में खून का दौरान ख़त्म हो जाता है और बॉल डेड हो जाती है-जेनेटिक कारणों से भी हिप जॉइंट में पेन होता है पर ये बहुत कम होता है. 3 साल या2 साल में एक केस सामने आता है.लक्षण-हिप जॉइंट क्योंकि एक बॉल एंड सॉकेट जॉइंट होता है, इसलिए इसके हर मूवमेंट में बॉलकी सर्फेस सॉकेट के कॉन्टैक्ट में रहती है.-पेशेंट को किसी भी तरह का मूवमेंट करने में दर्द होता है.-सोते समय करवट लेने तक में दर्द होता है.-इसलिए हिप जॉइंट के पेशेंट बहुत लंबे समय तक चल नहीं पाते.-जैसे घुटनों के जॉइंट में दर्द होने पर पेशेंट फिर भी चल लेता है. घुटनों मेंबैठे-बैठे, लेटे-लेटे 90 प्रतिशत समय दर्द नहीं होता है क्योंकि उसमें पॉइंटकॉन्टैक्ट होता है.-हिप जॉइंट में क्योंकि सर्फेस पूरा कॉन्टैक्ट में रहती है, इसलिए ज़रा सा भीमूवमेंट होने पर दर्द होता है.इलाज-हिप जॉइंट के दर्द के लिए सर्जरी एक ऑप्शन होता है.-इस सर्जरी में जो सर्फेस डैमेज हो गई है, उसमें बॉल और सॉकेट दोनों को बदलना पड़ताहै.-आजकल ऐसे जॉइंट्स आ गए हैं, जिनकी लाइफ 35 साल होती है.-35 साल की एक्टिव लाइफ का मतलब है कि जैसे-जैसे उम्र होती है एक्टिविटी कम होने लगजाती है, ऐसे में लाइफ ज़्यादा मिल जाती है.-सर्जरी के अगले दिन से ही चलना-फिरना शुरू हो सकता है.-एक हफ़्ते से 10 दिन के अंदर आप ऑफिस वगैरह जा सकते हैं.-भागना और कूदना अवॉयड करना है.हिप जॉइंट के दर्द के लिए सर्जरी एक ऑप्शन होता है-नॉर्मल चलना, साइकिलिंग, सीढ़ी चढ़ना-उतरना आप आराम से कर सकते हैं.बचाव-स्टेरॉयड अवॉयड करना है.-स्मोकिंग, तंबाकू, ज़र्दा खून के दौरान को ब्लॉक करते हैं, इसलिए इन्हें अवॉयड करनाहै.-शराब अवॉयड करें, इसके सेवन से भी हिप पेन की दिक्कत हो सकती है.चलिए, उम्मीद है डॉक्टर साहब ने जो हिप पेन यानी कूल्हों के दर्द के बारे मेंजानकारी दी है, वो आपके बहुत काम आएगी. सबसे ज़रूरी बात तो यही है समझने वाली किजिसे आप आज तक कूल्हों का दर्द समझ रहे थे, वो दरअसल कूल्हों का दर्द है ही नहीं.अगर आपको पेल्विक एरिया में दर्द हो रहा है, असल में वो कूल्हों का दर्द है. तो अगरआपको यहां दर्द हो रहा है तो सतर्क हो जाइए, डॉक्टर से मिलिए और सही इलाज लीजिए.