क्या होता है पेपर स्प्रे जो आंखों में चला जाए तो आधे घंटे तक रुलाई नहीं रुकती ?
पानी से धोने पर भी नहीं छूटता ये स्प्रे.
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बायीं तरफ सांकेतिक तस्वीर साभार: Newyorker/ दायीं तरफ पेपर स्प्रे की सांकेतिक तस्वीर : Pixabay
फरीदाबाद का बल्लभगढ़. यहां का एक प्राइवेट स्कूल. प्रमित (बदला हुआ नाम) स्कूल के लिए निकल चुका था और रास्ते में था. तभी उसे किनारे एक कैन पड़ा दिखाई दिया. उसने उसे उठा लिया. सोचा डिऑडरेंट का कैन है. क्लास में खुशबू के लिए छिड़क दिया जाए तो सही रहेगा.सभी बच्चे प्रेयर के लिए निकले हुए थे. जब वापस आए, तब प्रमित ने क्लास में उस कैन से स्प्रे कर दिया. उसे लगा था खुशबू फैलेगी. लेकिन हुआ उल्टा. उसके आस पास के सभी बच्चे परेशान दिखने लगे. नौ लड़कियां और एक लड़का कुछ ही मिनटों में बेहोश हो गए. ये देखकर क्लास टीचर के होश फ़ाख्ता हुए. उन्होंने फ़ौरन प्रिंसिपल को सूचना दी. बच्चों को पास के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया. उस क्लास में मौजूद बाकी बच्चों ने भी आंखों में जलन और सिर घूमने की शिकायत की. उन्हें भी क्लास से बाहर ले जाया गया.
क्लास में बैठने वाले सभी बच्चों की कुछ समय के लिए हालत खराब हो गई थी. उन्हें खुली हवा में ले जाया गया तब जाकर कुछ आराम मिला.(सांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे)प्रमित ने माफ़ी मांगी. कहा कि अनजाने में ये गलती हुई. बेहोश हुए स्टूडेंट्स के पेरेंट्स ने भी मामले को आगे बढ़ाने से मना कर दिया.
लेकिन आखिर ये पेपर स्प्रे होता क्या है?
पेपर स्प्रे (Pepper Spray) यानी मिर्ची वाला स्प्रे. वैसे कई इस्तेमाल होते इसके. लेकिन पब्लिक के इस्तेमाल के लिए छोटे से प्रेशर वाले कैन में आता है. इसे हवा में स्प्रे कर दिया जाए तो आंखें जलने लगती हैं, आंखें खोले रखना मुश्किल हो जाता है. सांस लेने में मुश्किल होती है. खांसी आती है. अगर किसी के चेहरे या आंखों के सामने इसे स्प्रे कर दिया जाए तो वो इंसान जलन और दर्द के मारे कुछ करने के लायक नहीं रह जाएगा.
आम तौर पर बाज़ार में उपलब्ध पेपर स्प्रे छोटे कैन में मिलता है. इसे कहीं भी कैरी कर सकने में आसानी होती है. (सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर)कैसे काम करता है पेपर स्प्रे?
इस स्प्रे में सबसे महत्वपूर्ण जो तत्त्व होता है, वो है कैप्सेसिन. ये निकला है कैप्सिकम से. कैप्सिकम मिर्चियों की एक प्रजाति है. इसे हम शिमला मिर्च कहते हैं आम भाषा में. अंग्रेज़ी में इसे कहते हैं बेल पेपर (Bell Pepper) या सिर्फ पेपर. जो हरी मिर्च होती है, उसे चिली पेपर कहते हैं. इसी को कूट-पीसकर केमिकल्स मिला कर ये स्प्रे तैयार होता है. इसीलिए इसे पेपर स्प्रे कहते हैं. पेपर्स को कूटकर जो तेल निकलता है उसे ओलेयोरेसिन कैप्सिकम कहते हैं. इसी में कैप्सेसिन होता है जिसके बारे में हमने आपको ऊपर बताया.
आप सोचिए, मिर्ची छूकर आंख छू लेने पर कितनी बुरी हालत होती है. ये इसी कैप्सेसिन की वजह से होता है. अब सोचिए जो चीज़ आपकी आंखों की ऐसी बुरी हालत कर दे, वो हवा में फ़ैल जाए तो क्या हालत होगी. बस, वही इस्तेमाल होता है पेपर स्प्रे में.
जितनी तीखी मिर्च का इस्तेमाल होगा, पेपर स्प्रे उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. (तस्वीर साभार: फेसबुक)कहां इस्तेमाल होता है पेपर स्प्रे?
पुलिस इसका इस्तेमाल भीड़ को काबू करने में करती है. कई बार प्रदर्शनों के दौरान प्रोटेस्ट करने वालों पर भी इसका इस्तेमाल होता है. इसके छोटे कैन्स सेल्फ डिफेन्स के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं. राह चलते अगर कोई अटैक कर दे, तो उसपर स्प्रे करके उसे मजबूर किया जा सकता है पीछे हटने के लिए.
गलती से स्प्रे हो जाए तो क्या करें?
इस स्प्रे में जलन पैदा करने वाला तत्त्व तेल आधारित होता है. यानी अगर आप सिर्फ पानी से चेहरा या प्रभावित एरिया धोएंगे, तो असर नहीं होगा.
जहां कहीं भी पेपर स्प्रे आपकी त्वचा पर लगा है, वहां हाथ न लगाएं, नहीं तो ये फैलेगा, और दूसरी जगहों पर भी जलन होगी जहां स्प्रे नहीं भी लगा होगा.
साबुन, बेबी शैम्पू, हैंडवॉश वगैरह लगाकर प्रभावित जगह को धो लें. अगर आंख में स्प्रे चला गया हो तो बार बार आंखें झपकाएं, इससे आंसू के साथ स्प्रे के निकलने की संभावना ज्यादा है.
पेपर स्प्रे का इस्तेमाल पुलिस वाले भीड़ को कंट्रोल करने में करते हैं. आर्मी वालों को ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि अगर उन पर इसका इस्तेमाल होने के बाद भी कैसे फाइट किया जाए. (सांकेतिक तस्वीर: विकिमीडिया)क्या पेपर स्प्रे अपने पास रख सकते हैं?
कमर्शियल पेपर स्प्रे आप खरीद सकते हैं. ऑनलाइन या दुकानों से. इन्हें रखना गैर-कानूनी नहीं है. लेकिन मेट्रो या प्लेन में इन्हें आप अपने कैरी-ऑन बैग में साथ नहीं ले जा सकते. बेंगलुरु और हैदराबाद मेट्रो में पेपर स्प्रे ले जाने की अनुमति है. बीच में कुछ अधिकारियों ने पेपर स्प्रे को ले जाने से रोका था, लेकिन इस पर बवाल हो गया. दिल्ली मेट्रो में इसे ले जाने की मनाही नहीं है. लेकिन कई बार बैग की जांच करने वाले CISF के ऑफिशियल वहां स्प्रे निकलवा देते हैं. उनका कहना ये है कि कैन के भीतर क्या है, हम ये चेक नहीं कर सकते. हो सकता है उसमें कोई ज्यादा खतरनाक गैस या तत्त्व हो. इसलिए हम निकलवा देते हैं. जबकि दिल्ली पुलिस लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स के लिए पेपर स्प्रे बांटती है.
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