मशहूर थिएटर आर्टिस्ट और फेमिनिस्ट आइकॉन उषा गांगुली का हाल में निधन हुआ. 23अप्रैल की सुबह वो अपने घर में मृत पाई गईं. वजह बताई गई, दिल का दौरा.उनकी मौत की ख़बर आने पर एक्ट्रेस शबाना आज़मी, डायरेक्टर अरिंदम सिल ने शोक जताया.Deeply saddened to learn that the theatre doyen #UshaGanguli passed away in her sleep this morning. I had worked with her in PAAR andseen many of her productions in which she was unparalled. My deepest condolencesto the family RIP— Azmi Shabana (@AzmiShabana) April 23, 2020Rest in Peace #UshaGanguly. Not just theatre you had won the world with your warmth and affection. Willmiss you always. Sad moment.— Arindam Sil (@silarindam) April 23, 2020कौन थीं उषा गांगुली?उषा का जन्म जोधपुर, राजस्थान में हुआ. परिवार वाले मूल रूप से उत्तर प्रदेश केरहने वाले थे. बचपन में भरतनाट्यम सीखती थीं. बाद में पढ़ाई के लिए कोलकाता शिफ्ट होगईं. श्री शिक्षायतन कॉलेज से पढ़ाई की, हिंदी साहित्य में. उसके बाद पढ़ाना शुरू करदिया. ये बात है साल 1970 की. पढ़ाने के साथ-साथ उषा ने एक्टिंग भी शुरू की. संगीतकला मंदिर नाम की संस्था के साथ. गुड़िया घर नाम के प्ले में उनकी एक्टिंग की बहुततारीफ हुई थी. पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया. इसके छहसाल बाद उन्होंने रंगकर्मी नाम की संस्था शुरू की.रंगकर्मी थिएटर को हिंदी के चुनिन्दा पॉपुलर थिएटर ग्रुप्स में से एक माना जाता है.(तस्वीर: इंडिया टुडे आर्काइव्स)पश्चिम बंगाल और हिंदी थिएटरपश्चिम बंगाल को संगीत और कला के क्षेत्र में काफी रिच माना जाता है. यहां हिंदीथिएटर बीसवीं सदी की शुरुआत से ही मौजूद रहा. इतना, कि हिंदी भाषी क्षेत्रों कीतुलना में यहां हिंदी नाटक ज़्यादा समय तक चलते हैं. ज्यादा शोज़ करते हैं. रंगकर्मीसे पहले यहां अनामिका, अदाकार और पदातिक जैसे थिएटर ग्रुप एक्टिव थे, जो हिंदी मेंनाटक तैयार करते और दिखाते थे. इस लोकप्रियता को बनाए रखने और इसे और भी थोड़ा आगेले जाने में उषा गांगुली की बहुत बड़ी भूमिका रही. 1980 से उन्होंने निर्देशन शुरूकिया. उससे पहले बाहर के डायरेक्टर रंगकर्मी थिएटर के नाटक डायरेक्ट किया करते थे.लेकिन उषा गांगुली के स्टाइल और उनकी बड़ी कास्ट ने उनके थिएटर की धूम मचा दी.तृप्ति मित्रा और मृणाल सेन जैसे बड़े नामों से डायरेक्शन सीखने वाली उषा गांगुली अबखुद अपने नाटकों के साथ जगह बना रही थीं.उषा पहले सिर्फ नृत्य और एक्टिंग करती थीं.लेकिन उन्हें बाद में एहसास हुआ किउन्हें असली लगाव तो डायरेक्शन से है. (तस्वीर: zoom TV)उनके कुछ बेहद पॉपुलर नाटक रहे महाभोज, लोक कथा, रुदाली. रुदाली नाटक महाश्वेतादेवी की इसी नाम की एक कहानी पर आधारित था. 1992 में इसके लिए उषा को बेस्टडायरेक्टर का सम्मान भी दिया गया था. बर्तोल्त ब्रेख्त की लम्बी कहानी मदर करेज एंडहर चिल्ड्रेन पर आधारित हिम्मत माई, और स्वदेश दीपक के लिखे नाटक कोर्ट मार्शल कोभी उन्होंने डायरेक्ट किया. उनके ओरिजिनल नाटकों में अंतर्यात्रा और खोज बहुतपॉपुलर हुए. 2004 में फिल्म आई थी रेनकोट, उसकी स्क्रिप्ट पर भी उन्होंने काम कियाथा.अपने नाटकों के किरदारों को समझने और उन्हें बेहतर तरीके से स्टेज पर उतारने के लिएउषा तगड़ी रिसर्च करती थीं. महाश्वेता देवी की कहानी रुदाली को नाटक के रूप मेंढालने के लिए उन्होंने पंजाब में ‘स्यापे’ और बिहार में ‘रुदाली’ की परम्पराओं केबारे में जानकारी इकठ्ठा की. रुदालियां वो होती थीं, जो किसी के मरने पर शोक जतानेजाया करती थीं और बुक्का फाड़-फाड़ कर रोती थीं.एक परफॉरमेंस के दौरान उषा गांगुली अपनी टीम के साथ. (तस्वीर: News 18 Bangla)देश से विदेश तकरंगकर्मी ग्रुप हिंदी में भारत के सबसे पॉपुलर और एक्टिव नाट्य समूहों में से एकरहा. जर्मनी, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अमेरिका तक में शो किए. लेकिन जब उषा गांगुलीका नाटक सफल हुआ था, तब लोगों ने उन्हें सीरियसली नहीं लिया था. 2006 के पृथ्वीथिएटर फेस्टिवल के दौरान एक इंटरव्यू में उन्होंने अतुल तिवारी को बताया, ‘जब आपकैरम खेल रहे होते हैं और रानी वाली गोटी पिल जाती है, तो लोग कहते हैं न कि तुक्केसे पिली है. महाभोज के मामले में भी यही हुआ था. लोगों ने कहा कि स्क्रिप्ट अच्छीथी, इसलिए प्रोडक्शन सफ़ल हुआ.’ उषा गांगुली को 1998 में संगीत नाटक अकादमी सम्मानदिया गया. वो कई अकादमियों की एग्जीक्यूटिव कमिटी की मेंबर भी रहीं. जब तक पढ़ातीरहीं, तब तक साथ-साथ थिएटर करती रहीं. रिटायरमेंट के बाद पूरी तरह से थिएटर में हीरच-बस गई थीं.उनका अंतिम संस्कार कोलकाता के केवड़ातला क्रिमेटोरियम में किया गया. उनके परिवारवाले और रंगकर्मी थिएटर के सदस्य वहां मौजूद थे.--------------------------------------------------------------------------------वीडियो: Satish Gujral की कहानी, जिनका आर्ट की World और India's history of artमें बहुत बड़ा नाम रहा