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नसबंदी करवाने के बाद 4 औरतों की मौत, कुल 34 गई थीं ऑपरेशन कराने

तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले की घटना, चार मौतों के बाद नसबंदी करवाने वाली सभी महिलाओं को निगरानी में रखा गया है.

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सांकेतिक फोटो (Pixabay)
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गरिमा सिंह
1 सितंबर 2022 (Updated: 1 सितंबर 2022, 15:46 IST)
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तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले का इब्राहिमपटनम सिविल अस्पताल. यहां 25 अगस्त को सरकार द्वारा नसबंदी शिविर आयोजित किया गया था. महज़ पांच दिन के भीतर इस शिविर में भाग लेने वाली चार महिलाओं की मौत हो गई. घटना को लेकर मृतक महिलाओं के घरवालों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया. इस मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

कैसे हुई महिलाओं की मौत

दरअसल नसबंदी के लिए डबल पंचर लैप्रोस्कोपी (DPL) कैंप में 22 से 36 साल की करीब 34 महिलाओं ने हिस्सा लिया था. डबल पंचर लैप्रोस्कोपी (DPL) नसबंदी का एक बेहद ही छोटा प्रोसीजर होता है. सर्जरी के कुछ ही घंटों बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है. इस सर्जरी में ज्यादा कॉम्प्लिकेशंस नहीं होते हैं.

सर्जरी के तीन दिन बाद यानी 28 अगस्त को दो महिलाओं ममता और सुषमा की मौत हो गई. अगले दिन दो और महिलाओं मोनिका और लावण्या  की मौत हो गई. इन चारों को सर्जरी के बाद उल्टी, पेट दर्द और दस्त की शिकायत हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन महिलाओं के शरीर के कई अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार,  राज्य के जन स्वास्थ्य निदेशक जी श्रीनिवास राव का कहना है कि DPL प्रक्रिया से हर साल करीब डेढ़ लाख नसबंदी होती है. उन्होंने कहा कि महिलाओं की मौत की जांच की जाएगी. चार औरतों की मौत के बाद तेलंगाना का स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है. रंगा रेड्डी जिले के सिविल अस्पताल में नसबंदी करवाने वाली बाकी 30 महिलाओं को भी निगरानी में रखा गया है. हालांकि, सभी की हालत स्थिर बताई जा रही है. डॉक्टर जी श्रीनिवास राव ने कहा कि नौ महिलाओं को अस्पताल में ही रखा गया है.

नसबंदी से मौत मामले में अब तक क्या ऐक्शन लिया गया?

इस मामले में राज्य सरकार ने अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट को सस्पेंड कर दिया है और नसबंदी में शामिल डॉक्टरों के लाइसेंस को फिलहाल के लिए रद्द कर दिया गया है. सरकार ने चारों मृतक महिलाओं के परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद और 2BHK फ्लैट देने का ऐलान किया है. सरकार ने ये भी ऐलान किया है कि इन महिलाओं के बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार लेगी.

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