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खुशबू वाली कैंडल से महकने वाले लोग इसका सच जान कर चीख उठेंगे

जिन्हें अस्थमा है, या कोई राइनाइटिस का मरीज़ है, कोई एलर्जी है या स्किन डैंड्रफ है तो उन्हें सेंटेड कैंडल्स से एलर्जी हो सकती है.

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scented candles are harmful to our health
सेंटेड कैंडल्स में हानिकारक केमिकल होते हैं.
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सरवत
10 जुलाई 2024 (Published: 17:21 IST)
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सोचिए, आप ऑफिस से थककर घर पहुंचे हैं. घर में घुसते ही एक भीनी-सी महक आपकी नाक तक पहुंचती है. इतनी बढ़िया कि आपकी सारी थकान गायब हो जाती है. मन खुश हो जाता है. आप देखते हैं कि घर में जगह-जगह कुछ मोमबत्तियां जल रही हैं और उनसे खुशबू आ रही है. खुशबू वाली मोमबत्तियां यानी सेंटेड कैंडल्स. पर कुछ ही मिनटों में आपकी नाक में खुजली होने लगती है. गले में खिच-खिच होने लगती है. छींके आने लगती हैं. नाक बहना शुरू हो जाती है. सारा मज़ा किरकिरा हो गया न?

दरअसल कई सेंटेड कैंडल्स (Scented Candles) में खुशबू देने के लिए कुछ केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये केमिकल्स आपकी सेहत के लिए काफ़ी नुकसानदेह होते हैं. खांसकर आपके फेफड़े, सांस की नली और नाक के लिए. यानी आपके Respiratory System के लिए. जिसके चलते लोगों को एलर्जी हो जाती है. अगर आपको पहले से अस्थमा (Asthma) या सांस से जुड़ी कोई बीमारी है, एलर्जी है, तब तो दिक्कत और भी बढ़ सकती है. ऐसे लोगों को सेंटेड कैंडल्स से कोसों दूर रहना चाहिए.

आज डॉक्टर से जानेंगे कि इन मोमबत्तियों में ऐसा क्या डाला जाता है, जिससे एलर्जी हो सकती है? इनको जलाने से शरीर पर क्या असर पड़ता है? और, इनसे होने वाले नुकसान से खुद को कैसे बचा सकते हैं?

सेंटेड कैंडल का सेहत पर क्या असर पड़ता है?
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डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर, हेड, पल्मोनोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

जब खुशबू वाली मोमबत्तियों को जलाया जाता है तो उसके धुएं से एक हानिकारक केमिकल निकलता है. इसे थैलेट्स कहते हैं. अब जितना थैलेट्स सांस के ज़रिए शरीर में जाएगा, हमें उतना ही नुकसान होगा. अगर कोई अस्थमा या राइनाइटिस का मरीज़ है, कोई एलर्जी है या स्किन डैंड्रफ है तो उन्हें सेंटेड कैंडल्स से एलर्जी हो सकती है.

अगर ब्रोंकाइटिस है तो तुरंत खांसी शुरू हो जाएगी. सांस फूलने लगेगी इसलिए डॉक्टर घर पर खुशबू वाली कैंडल जलाने से मना करते हैं. लंबे समय तक सेंटेड कैंडल का इस्तेमाल करने से महिलाओं में हार्मोन्स से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. मेटाबॉलिज़्म बिगड़ने लगता है, जिससे इंसुलिन से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं. शुगर बढ़ सकती है. इनफर्टिलिटी, कैंसर से जुड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं. 

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सांस से जुड़ी कोई परेशानी है तो बिना खुशबू वाली मोमबत्ती जलाएं
डॉक्टर की टिप्स

- खुशबू वाली मोमबत्ती के बजाय आप बिना खुशबू वाली मोमबत्ती जला सकते हैं.

- उनमें एसेंशियल ऑयल या कोई दूसरा तेल डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन खुशबू से परहेज़ करें.

- अगर आपको पहले से कोई एलर्जी है तो बिना खुशबू वाली मोमबत्ती जलाना ज़्यादा बेहतर विकल्प है.

- ऐसी मोमबत्ती का धुंआ अगर सांस के ज़रिए अंदर गया तो भी एलर्जी नहीं होगी.

अगर खुशबू वाली मोमबत्तियां कहीं जल रही हैं और आप उसके आसपास सांस ले रहे हैं तो उससे दूर हो जाएं. अगर आप खुशबू से दूर नहीं जा सकते तो N-99 और N-95 मास्क अपने पास रखें और ज़रूरत पड़ने पर लगाएं. अगर आप अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के मरीज़ हैं या कोई स्किन एलर्जी है तो तुरंत एंटी-एलर्जिक या एंटी-हिस्टामिन दवाएं लें. अगर अस्थमा का अटैक आ रहा है तो इन्हेलर से ज़्यादा नेबुलाइजर का इस्तेमाल करें. इससे आप तुरंत आराम महसूस करेंगे.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः सीने में जलन और एसिडिटी क्यों होती है?

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