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डेंगू के मामले बारिश आते ही क्यों बढ़ने लगते हैं? बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए?

बारिश का सीज़न है. इस मौसम के मज़े लीजिए. लेकिन, खुद को डेंगू से भी बचाकर रखिए. डेंगू होने पर लगातार तेज़ बुखार आता है. शरीर में बहुत दर्द होता है. ठंड लगती है. पेट गैस से फूल जाता है. कई बार शरीर में चकत्ते भी पड़ने लगते हैं.

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rise in dengue cases in the country know causes effect and treatment
डेंगू के मामले बढ़ने लगे हैं
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सरवत
12 जुलाई 2024 (Published: 17:10 IST)
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बारिश का मौसम आते ही डेंगू के मामले बढ़ने लगते हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. लेकिन, डेंगू से जुड़ी एक नई बात भी पता चली है. वो ये कि डेंगू का असर दिमाग और पूरे नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है. इसके बारे में डॉक्टर साहब से पूछेंगे. लेकिन, उससे पहले ये समझ लेते हैं कि आखिर हर साल बारिश के मौसम में ही डेंगू क्यों फैलने लगता है? अगर डेंगू हो जाए तो शरीर में क्या होता है? सबसे ज़रूरी बात, डेंगू से बचें कैसे? 

बारिश के मौसम में डेंगू के मामले क्यों बढ़ जाते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रवीण गुप्ता ने. 

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डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस, गुरुग्राम

बारिश होते ही जगह-जगह पानी इकट्ठा होने लगता है. इसकी वजह से गड्ढे पानी से भर जाते हैं. फिर इनमें मच्छर पनपने लगते हैं. इस मौसम में एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नाम के मच्छर खासतौर से बढ़ जाते हैं. ये लोगों को काटकर डेंगू वायरस फैलाते हैं. इन मच्छरों के बढ़ने से डेंगू वायरस ज़्यादा फैलता है. 

डेंगू होने पर शरीर में क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

- तेज़ बुखार आता है और शरीर में बहुत दर्द होता है.

- ठंड लगती है.

- बुखार लगातार बना रहता है.

- जोड़ों, मांसपेशियों में दर्द होता है.

- पेट में भयंकर दर्द उठता है.

- पेट गैस से फूल जाता है.

- उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं.

- इसके अलावा शरीर में चकत्ते पड़ने लगते हैं.

- सुस्ती आ जाती है.

- कभी-कभी खांसी भी आ सकती है.

- ये लक्षण तीन से पांच दिन तक बढ़ते रहते हैं.

- डेंगू में प्लेटलेट्स शुरू में कम नहीं होते, बल्कि जब वायरस शरीर से जाने लगता है, तब प्लेटलेट्स कम होते हैं. इससे हेमरेज या खून का लीकेज होता है.

- कई बार बुखार खत्म होने के बाद भी प्लेटलेट्स गिरते रहते हैं.

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डेंगू से बचने के लिए खाली कूलर में पानी न जमा होने दें
डेंगू से दिमाग, नर्वस सिस्टम पर क्या असर पड़ता है?

डेंगू का वायरस नर्व्स (तंत्रिकाओं), मांसपेशियों और दिमाग पर असर करता है. इससे मांसपेशियों में दर्द, कमज़ोरी हो सकती है. जोड़ों में दर्द हो सकता है. नर्व्स पैरालाइज़ हो जाती हैं, जिसे GBS कहते हैं. सिर में तेज़ दर्द होता है, बेहोशी छाने लगती है, व्यवहार में बदलाव आता है और दौरे भी पड़ सकते हैं. दिमाग पर हुए असर को डेंगू एन्सेफ्लोपैथी या डेंगू एन्सेफलाइटिस कहा जाता है. प्लेटलेट्स कम होने की वजह से दिमाग में हेमरेज हो सकता है. इससे सिरदर्द, उल्टी, बेहोशी, पैरालिसिस और दौरे भी पड़ सकते हैं.

डेंगू से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?

डेंगू की बीमारी से बचा जा सकता है. इसके लिए हमें पर्सनल, कम्यूनिटी और सरकार के लेवल पर कदम उठाने की ज़रूरत है. आपके घर के आसपास जहां-जहां पानी इकट्ठा हो रहा हो. जैसे खाली कूलर, गमले, छोटे-छोटे टब और गार्डन तो इन सबको साफ करने की ज़रूरत है. बच्चों को मॉस्किटो रेपेलेंट लगाएं. अपने शरीर को ढककर रखें ताकि मच्छर को काटने की जगह न मिले. डेंगू का मच्छर खासकर दिन में काटता है, इसलिए सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. 

इसके अलावा खुद को हाइड्रेटेड रखें. पानी की कमी न होने दें क्योंकि यह वायरस शरीर में पानी की कमी कर देता है. फल-सब्ज़ियां और एंटीऑक्सीडेंट्स खाएं. ये हमारी इम्यूनिटी बेहतर बनाते हैं जिससे हमें वायरस से लड़ने की ताकत मिलती है और इंफेक्शन होने पर कोई गंभीर लक्षण नहीं महसूस होते. साथ ही, कम्यूनिटी लेवल पर भी काम करें क्योंकि घर के अलावा आसपास भी पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए. पानी के गड्ढे नहीं बनने चाहिए. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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