(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञोंके अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूरपूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)पुनीत दिल्ली के रहने वाले हैं. गुरुग्राम में नौकरी करते हैं. रोज़ वो मोटरसाइकिलसे दिल्ली से गुरुग्राम जाते हैं. अब जो भी दिल्ली या उसके आसपास के एरिया में रहताहै और घर से बाहर निकलता है, उसे एक प्रॉब्लम का सामना रोज़ करना पड़ता है. स्मॉग.इतना ज़्यादा प्रदूषण कि सामने वाली बिल्डिंग दिखना मुश्किल. इस मौसम में यानी ठंडमें ये और भी ज़्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में रोज़ इसके संपर्क में आने से पुनीत कोआंखों में परेशानी होने लगी है. पिछले कुछ समय से उनकी आंखों में खुजली रहती है,पानी निकलता है और आंखें लाल रहती हैं.पहले पुनीत को लगा था कि उनकी आंखों में कुछ चला गया है, जिसकी वजह से दिक्कतें होरही हैं. पर जब ये लक्षण ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहे थे तब पुनीत ने डॉक्टर कोदिखाया. उन्हें पता चला कि स्मॉग के कारण उनकी आंखों में एलर्जी हो गई है. वो चाहतेहैं हम सेहत पर इस टॉपिक के ऊपर बात करें. स्मॉग से आंखों को किस तरह का नुकसानपहुंचता है, किन लक्षणों पर नज़र रखनी चाहिए, इसका इलाज क्या है, ये सब लोगों कोबताएं ताकि उनके जैसे और लोगों को मदद मिल सके.ठंड के मौसम में स्मॉग की दिक्कत सिर्फ़ दिल्ली नहीं देशभर की कई जगहों पर देखने कोमिलती है. ऐसे में वहां रहने वाले लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचता है, पर वो इसपरज़्यादा ध्यान नहीं देते. जब तक तकलीफ़ बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ जाती. पर ऐसा न करें.क्योंकि ज़्यादा समय तक लक्षणों को इग्नोर करने से आंखों को परमानेंट नुकसान पहुंचताहै. क्यों पहुंचता है, सबसे पहले ये जान लेते हैं.प्रदूषण और स्मॉग के कारण आंखों को किस तरह का नुकसान पहुंचता है?ये हमें बताया डॉक्टर नेहा जैन ने.डॉक्टर नेहा जैन, नेत्र विशेषज्ञ, भारत विकास हॉस्पिटल, कोटा-प्रदूषण से होने वाली दिक्कतें वैसे तो सालभर रहती हैं, पर ठंड के दिनों में येज़्यादा बढ़ जाती हैं.-क्योंकि ठंड में धुंध और धुआं मिलकर स्मॉग बना देते हैं.-जो एयर पॉल्यूशन को हानिकारक लेवल पर ले जाता है.-प्रदूषण में पाए जाने वाले केमिकल्स जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बनमोनोऑक्साइड, सल्फ़र डाइऑक्साइड, ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर वगैरह आंखों और शरीर कोनुकसान पहुंचाते हैं.-जब भी ये केमिकल्स आंखों की झिल्ली के संपर्क में आते हैं तो वहां के सेल्स कोनुकसान पहुंचाते हैं.-जिसकी वजह से ड्राई आंखें, एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस या केमिकल कंजक्टिवाइटिस कीसमस्या हो सकती है.-कुछ स्टडीज़ के मुताबिक अगर ये पॉल्यूटेंट लंबे समय तक आंखों के संपर्क में रहतेहैं तो आगे चलकर काला मोतिया (ग्लुकोमा) या आंखों के पर्दे की बीमारी को बढ़ा सकतेहैं.-जिनसे आंखों की रोशनी हमेशा के लिए कम हो जाती है.प्रदूषण में पाए जाने वाले केमिकल्स जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बनमोनोऑक्साइड, सल्फ़र डाइऑक्साइड, ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर वगैरह आंखों और शरीर कोनुकसान पहुंचाते हैंलक्षण-आंखों का लाल होना-जलन-पानी निकलना-खुजली-दर्द-धुंधला दिखाई देना-ये लक्षण ड्राय आंखों या कंजक्टिवाइटिस के हो सकते हैं.बचाव और इलाज-जिस भी शहर या एरिया में रहते हैं, वहां एक एयर क्वालिटी इंडेक्स होता है.-ये अगर 150 या 200 से ज़्यादा है तो बाहर निकलना अवॉयड करें.-ख़ासतौर पर अगर पहले से एलर्जी की शिकायत है.कुछ स्टडीज़ के मुताबिक अगर ये पॉल्यूटेंट लंबे समय तक आंखों के संपर्क में रहते हैंतो आगे चलकर काला मोतिया (ग्लुकोमा) या आंखों के पर्दे की बीमारी को बढ़ा सकते हैं-फिर भी अगर बाहर निकलना है तो प्रोटेक्टिव ग्लासेस पहनें, मास्क लगाएं.-शरीर में पानी की कमी न होने दें.-कॉन्टेक्ट लेंसेस का इस्तेमाल इस समय अवॉयड करें.-आंखों में ड्रायनेस या कंजक्टिवाइटिस के लक्षण दिखें तो आंखों को ठंडे, साफ़ पानीसे धोएं.-लुब्रिकेटिंग आंखों के ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.-अगर खुजली रहती है तो एंटी एलर्जिक आंखों के ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.-इन सबके बावजूद लक्षण बने रहते हैं तो डॉक्टर से मिलें.जब तक ठंड रहेगी, ये स्मॉग की दिक्कत बनी रहेगी. जैसा डॉक्टर नेहा ने बताया ठंड मेंधुंध और धुआं मिलकर स्मॉग बना देते हैं. इससे आंखों को काफ़ी नुकसान पहुंचता है.इसलिए अगर आपको आजकल आंखों में खुजली, आंखों से पानी निकलना या आंखें लाल रहना जैसेलक्षण महसूस हो रहे हैं, तो बताई गई टिप्स ज़रूर फॉलो करें. अगर दिक्कत और बढ़ रही हैतो उसे इग्नोर न करें. डॉक्टर से मिलें.