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निमोनिया से अपने बच्चों को कैसे बचाएं? चीन में हालात खराब हैं

निमोनिया में फेफड़ों के अंदर इंफेक्शन हो जाता है. निमोनिया होने पर बच्चों को खांसी, तेज या हल्का बुखार, सांस लेने में दिक्कत होना और खाने-पीने में दिक्कत होती है.

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साफ-सफाई, वैक्सीन, पोषण का ध्यान रखने और संक्रमित वातावरण से दूर रहने से निमोनिया से बचा जा सकता है. (सांकेतिक फोटो)
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आयूष कुमार
14 दिसंबर 2023 (Published: 18:13 IST)
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कोविड महामारी की वजह बने कोरोना वायरस के नए-नए वेरिएंट आते रहते हैं. इस जानलेवा बीमारी की शुरुआत साल 2019 में चीन से हुई थी. अब चार साल बाद एक बार फिर चीन में एक सांस से जुड़ी बीमारी ने कोहराम मचाया हुआ है. इस बार बीमारी की चपेट में है बच्चे.  

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 13 नवंबर, 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी सूचना दी थी. इसके बाद सारी दुनिया के कान खड़े हो गए. लोगों को ये लगा था कि कोरोना की तरह फिर से कोई नई महामारी तो नहीं आने वाली है. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि थोड़ी जांच-पड़ताल के बाद ये पता चला कि दरअसल मौसम बदलने की वजह से बड़ी संख्या में बच्चों को सांस से जुड़ी जो बीमारियां हो रही हैं उनमें सबसे कॉमन है निमोनिया. 

तो चलिए आज डॉक्टर से समझते हैं कि निमोनिया के लक्षण क्या हैं और इससे बचाव कैसे किया जाए. लेकिन उससे पहले ये जानना जरूरी है कि निमोनिया है क्या?

निमोनिया क्या और क्यों होता है?

ये हमें बताया डॉ. मनीष मन्नन ने.

(डॉ. मनीष मन्नन, हेड पीडियाट्रिक्स विभाग, पारस हेल्थ, गुरुग्राम)

आमतौर पर माता-पिता बच्चों को होने वाली खांसी-जुकाम को निमोनिया समझ लेते हैं. कई बार सर्दियों में बच्चों की छाती में जकड़न आ जाती है इसे ब्रोंकोस्पैजम (Bronchospasms) कहते हैं. ये भी निमोनिया नहीं होता, ऐसा छाती जाम होने की वजह से होता है. लेकिन लोग इसे भी आम भाषा में निमोनिया ही कहते हैं. निमोनिया में फेफड़ों के अंदर इंफेक्शन हो जाता है. एक्स-रे में इंफेक्शन वाला हिस्सा साफ तौर पर दिख जाता है. निमोनिया होने पर बच्चों को खांसी, तेज या हल्का बुखार, सांस लेने में दिक्कत होना और खाने-पीने में दिक्कत होती है. निमोनिया भी कई तरह का होता है. कुछ निमोनिया तेजी से फैलते हैं तो कुछ धीमी गति से फैलते हैं.

बच्चों को निमोनिया से कैसे बचाएं?

बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए उनमें पोषक तत्वों की कमी न होने दें. इसके लिए बच्चे के खाने-पीने का ध्यान रखें. खाने में फल और सब्जियां शामिल करें. अच्छी इम्यूनिटी के लिए बच्चों का एक्सरसाइज़ करना जरूरी है. निमोनिया से बचाने वाली काफी वैक्सीन भी मौजूद हैं. जैसे कि न्यूमोकोकल वैक्सीन (Pneumococcal vaccine), HIV और फ्लू की वैक्सीन. ये सभी वैक्सीन बच्चों की निमोनिया से रक्षा करती हैं, इसलिए बचपन में इन्हें जरूर लगवाएं.

निमोनिया का इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों में फैलता है. इसलिए बच्चों को खांसी-जुकाम से ग्रसित किसी भी बच्चे या व्यक्ति से दूर रखें. खांसते वक्त मुंह से निकले छींटे अगर सांस के जरिये किसी के शरीर में गए तो इनसे निमोनिया इंफेक्शन हो सकता है. बच्चों को हाथ धोना जरूर सिखाएं. यानी साफ-सफाई, वैक्सीन, पोषण का ध्यान रखने और संक्रमित वातावरण से दूर रहने से निमोनिया से बचा जा सकता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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