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आसपास फैले ज़हरीले मेटल्स कैसे पहुंच जाते हैं आपके शरीर के भीतर?

मरक्यूरी, आर्सेनिक, लेड जैसे हैवी मेटल धरती पर काफ़ी भारी मात्रा में पाए जाते हैं. अगर इनकी मात्रा ज़्यादा हो जाए तो ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसे ही मेटल टॉक्सिसिटी कहते हैं.

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आप जो खा-पी रहे हैं या जिस वातावरण में रह रहे हैं, उसमें काफ़ी हैवी मेटल्स भी मौजूद होते हैं
आप जो खा-पी रहे हैं या जिस वातावरण में रह रहे हैं, उसमें काफ़ी हैवी मेटल्स भी मौजूद होते हैं
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10 मार्च 2023 (Updated: 10 मार्च 2023, 18:17 IST)
Updated: 10 मार्च 2023 18:17 IST
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हम जो खाते हैं, पीते हैं या जिस हवा में सांस लेते हैं, उसमें मौजूद बहुत सारी चीज़ें हमारे शरीर के अंदर जाती हैं. ये चीज़ें अच्छी भी हो सकती हैं और बुरी भी. आप जो खा रहे हैं या जिस वातावरण में रह रहे हैं, उसमें काफ़ी हैवी मेटल्स भी मौजूद होते हैं. ये मेटल्स काफ़ी ख़तरनाक होते हैं. इनके संपर्क में आने से मेटल टॉक्सिसिटी (What is Metal toxicity?) की शिकायत हो सकती है. इस आर्टिकल में हम आपको बातएंगे इन मेटल्स के बारे में. ये आपके संपर्क में कैसे आते हैं. शरीर के अंदर कैसे जाते हैं. इनके संपर्क में आने से आपको किस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, इनके लक्षण क्या होते हैं और इससे कैसे बचें, जानिए डॉक्टर्स से.

मेटल टॉक्सिसिटी क्या होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर रवि प्रकाश ने.

Dr. Ravi Prakash - Anesthesia and Critical care Doctor & Specialist, Book  Online Appointment | Sanar Hospital
डॉक्टर रवि प्रकाश, एचओडी एंड कंसल्टेंट, क्रिटिकल केयर, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स

मरक्यूरी, आर्सेनिक, लेड जैसे हैवी मेटल धरती पर काफ़ी भारी मात्रा में पाए जाते हैं. ये मिट्टी और वातावरण में होते हैं. अगर इनकी मात्रा ज़्यादा हो जाए तो ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसे ही मेटल टॉक्सिसिटी कहते हैं.

ये मेटेल आपके शरीर में किन चीज़ों के ज़रिए पहुंचते हैं?

खेतों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक, फफूंदनाशी में मरक्यूरी पाया जाता है. हम जो थर्मोमीटर या ब्लड प्रेशर की मशीन इस्तेमाल करते हैं, उसमें भी मरक्यूरी पाया जाता है. कई बार ये मेडिकल इक्विपमेंट्स पुराने हो जाते हैं तो हम उन्हें फेंक देते हैं. अगर इसको ठीक तरह से न फेंका जाए तो दिक्कत होना तय है. बहुत सारे मेकअप प्रोडक्ट्स में भी मरक्यूरी पाया जाता है. लेड पेंट में पाया जाता है. बच्चे कभी-कभी पेंट के चिप्स खा जाते हैं. बहुत सारे घरों में लेड के बर्तन इस्तेमाल होते थे. बर्तनों से लेड शरीर में आ सकता है. सेमी-कंडक्टर चिप गाड़ी और कई इंस्ट्रूमेंट में पाई जाती है. इसमें आर्सेनिक होता है. अगर इनको अच्छे से फेंका न जाए तो ये शरीर के संपर्क में आते हैं. ग्लास इंडस्ट्री में भी आर्सेनिक बहुत ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है.

Metal Toxicity - a toxic effect of certain metals - Assignment Point
मरक्यूरी, आर्सेनिक, लेड जैसे हैवी मेटल धरती पर काफ़ी भारी मात्रा में पाए जाते हैं.
किन तरह के लक्षण सामने आते हैं?

-मरक्यूरी के ज़्यादा संपर्क में आने से मेंटल कन्फ्यूजन होता है

-मसूड़ों में सूजन आती है

-चेस्ट में दर्द हो सकता है

-पेट ख़राब हो सकता है

-लेड सीधा रक्त कोशिकाओं पर असर करता है

-इससे एनीमिया या खून की कमी होती है

-छोटे बच्चों में ग्रोथ रुकने के लक्षण दिखते हैं

-बड़ों में कमज़ोरी महसूस होती है

-आर्सेनिक के ज़्यादा संपर्क में आने से पेट में दर्द होता है

-उल्टियां होती हैं

-दस्त लग जाते हैं

-कमज़ोरी होने लगती है

-कुछ समय बाद शरीर पर काले रंग के निशान पड़ जाते हैं

Heavy metal poisoning causes, signs, symptoms, diagnosis & treatment
 हर 3-6 महीनों में डॉक्टर से मिलकर अपने लक्षण बताने चाहिए
बचाव

जो लोग ग्लास इंडस्ट्री, फफूंदनाशी, कीटनाशक या पेंट बनाने वाली जगहों में काम करते हैं. रोज़ इनके संपर्क में आते हैं. ऐसे लोग हैवी मेटल के ज़्यादा संपर्क में आते हैं. इनको नियमित रूप से अपनी जांच करवानी चाहिए. हर 3-6 महीनों में डॉक्टर से मिलकर अपने लक्षण बताने चाहिए. खून की जांच से पता चल जाता है कि मेटल्स की मात्रा खून में बढ़ तो नहीं रही. कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी काम करने वाले लोगों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. 

इलाज

जब जांच से मामला साफ़ हो जाए तो उसी वक़्त नज़दीकी डॉक्टर की सलाह लें. कई तरह की दवाइयां आजकल उपलब्ध हैं. जो भी लक्षण महसूस हो रहे हैं वो ठीक हो सकते हैं.

हैवी मेटल्स आपके शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं, ये आपने जान लिया. इसलिए थोड़ा बचकर. बताए गए लक्षण आपको अगर महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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