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'भीड़ में मुझसे गलती से kiss हो गया' कहने वाले को कोर्ट ने गजब धोया

2015 का मामला, ट्रेन में शख्स ने भीड़ के बहाने महिला को किस कर दिया था.

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मुंबई के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी की दलील खारिज कर दिया. (सांकेतिक तस्वीर)
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संध्या चौरसिया
4 अप्रैल 2022 (Updated: 4 अप्रैल 2022, 13:36 IST)
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मुंबई की एक अदालत ने यौन शोषण के एक मामले में एक शख्स को एक साल की सज़ा सुनाई है और उस पर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया है. मामला 2015 का है. शख्स पर आरोप है कि उसने 2015 में एक महिला को ट्रेन के जनरल कम्पार्टमेंट में जबरन किस किया था. उसने अपने बचाव में कहा था कि धक्के की वजह से वो महिला के ऊपर जा गिरा था. कोर्ट ने इस मामले में महिला के इंट्यूशन को आधार बनाते हुए सज़ा सुनाई है. ट्रेन में यौन शोषण दोषी का नाम किरण होनावर है. उसके खिलाफ 2015 में एक महिला ने यौन शोषण का केस दर्ज करवाया था. महिला ने आरोप लगाया था कि किरण ने हार्बर लाइन ट्रेन के जनरल कम्पार्टमेंट में उनके गाल पर जबरन किस किया था. केस की सुनवाई के दौरान महिला ने बताया था कि किरण बहुत देर से सामने बैठकर उन्हें घूर रहा था. इसके बाद भीड़ का फायदा उठाते हुए उसने महिला को चूम लिया.
ये घटना महिला के साथ बैठी उनकी दोस्त ने भी देख ली थी. महिला ने घटना के खिलाफ तुरंत आवाज़ उठाई, आसपास के लोगों का ध्यान भी इस घटना पर गया और लोगों ने मौके पर ही किरण होनावर की पिटाई भी कर दी थी. इसके बाद महिला ने पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज करवाई थी.
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मुंबई ट्रेन के जनरल कम्पार्टमेंट में हुई थी घटना. (सांकेतिक तस्वीर)

इस मामले की सुनवाई मुंबई के मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में हुई. किरण ने अपनी सफाई में दलील दी कि उसे साथी पैसेंजर्स से धक्का लगा था. और उसकी वजह से उसके होंठ महिला के दाएं गाल से लग गए. कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वी पी केदार ने कहा,
"महिलाओं के पास सिग्नल्स को समझने की जन्मजात ताकत होती है. उनके पास छोटे- छोटे डिटेल्स को देखने की पारखी नज़र भी होती है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि महिला ने अनजाने में हुए कृत्य को जानबूझकर किया काम बताया है."
कोर्ट IPC की धारा 354 (औरत की गरिमा पर हमला) के तहत सज़ा सुनाई है. कोर्ट ने कहा,
"IPC की धारा 354 का प्रावधान सार्वजनिक नैतिकता और महिलाओं की शालीनता की रक्षा के लिए है. आरोपी की हरकत ने विक्टिम के मन में डर पैदा किया. आरोपी की हरकत ने विक्टिम के दिमाग पर प्रभाव डाला, जिससे उसका आत्मविश्वास टूट गया. आरोपी ने विक्टिम के व्यक्तिगत अधिकार, स्वतंत्रता और उसकी गरिमा पर हमला किया है."
ऐसे अपराधों के लिए अमूमन पांच साल की सज़ा होती है लेकिन कोर्ट ने आरोपी को एक साल की सज़ा और दस हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माने का आधा अमाउंट, यानी 5000 रुपये महिला को दिए जाएंगे. कोर्ट ने इसके पीछे तर्क दिया कि आरोपी की कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं रही है और वो अपने घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य है.

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