The Lallantop
Advertisement

हिजाब ठीक से नहीं पहना था, पुलिस ने पकड़कर इतना सताया कि लड़की कोमा में चली गई

परिवार के साथ घूम रही थी लड़की, पुलिस ने पकड़ लिया.

Advertisement
Iranian Woman Mahsa Ameeni
ईरान में हिजाब अनिवार्य है. (फोटो - ईरान वायर)
font-size
Small
Medium
Large
16 सितंबर 2022 (Updated: 16 सितंबर 2022, 13:49 IST)
Updated: 16 सितंबर 2022 13:49 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

मासा अमीनी. 22 साल की एक ईरानी लड़की. अपने परिवार के साथ ईरान (Iran) की राजधानी तेहरान में घूम रही थी, जब कुछ अधिकारियों ने उसे डिटेन कर लिया. कथित तौर पर अधिकारियों ने उसे टॉर्चर किया. और, अब स्थिति ये है कि वो कोमा में है. उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

ईरानी वेबसाइट ईरान वायर की रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरान पुलिस की स्पेशल यूनिट ने मासा को हिरासत में लिया था. इस यूनिट का काम होता है महिलाओं के लिए 'निर्धारित ड्रेस-कोड' की निगरानी करना और पालन करवाना. इस यूनिट को गश्त-ए-इरशाद भी कहते हैं. यूनिट ने मासा को डिटेन किया क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने हिजाब क़ायदे से नहीं पहना हुआ था.

मासा के भाई कियारेश ने ईरान वायर को बताया कि जब वो पुलिस स्टेशन के बाहर अपनी बहन का इंतज़ार कर रहे थे, तब उनकी बहन की जगह एक ऐम्बुलेंस बाहर निकली. सीधे अस्पताल पहुंची. कियारेश ने पूछा तो पता चला कि मासा को हार्ट अटैक आया है. उनके दिमाग़ ने काम करना बंद दिया और वो कोमा में है. कियारेश ने कहा कि वो पुलिस के ख़िलाफ़ एक क्रिमिनल कम्पलेन करेंगे. बताया,

"मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. मैं इस मामले को ऐसे ही नहीं जाने दूंगा. अरेस्ट और अस्पताल भेजे जाने में केवल दो घंटे का अंतर था. ऐसा कैसे हो सकता है?"

तेहरान पुलिस के एक बयान में बताया है कि मासा को बाक़ी महिलाओं के साथ ड्रेस-कोड के नियमों के बारे में केवल समझाने के लिए हिरासत में लिया गया था.

ईरान में चल क्या रहा है?

ईरान में कई ऐसे सोशल मीडिया चैनल भी हैं, जो ईरानी पुलिस की बर्बरता और नागरिकों के अधिकारों के हनन की रिपोर्ट करते हैं. उन्हीं में से एक ने मासा की हालिया तस्वीर शेयर की है. तस्वीर में वो अस्पताल बेड पर हैं और उनके मुंह में एक ट्यूब लगी हुई है. ये घटना ऐसे समय में हुई है जब ईरान के अंदर और बाहर, दोनों जगह हिजाब मसले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. गश्त-ए-इरशाद के संचालन पर कुछ समय से विवाद चल ही रहा है.

इस साल जुलाई के दूसरे हफ़्ते में ईरान की कुछ महिलाओं ने ईरानी सरकार के ख़िलाफ़ विरोध किया था. दरअसल, 1979 की ईरानी क्रांति के बाद ईरान में शरिया क़ानून लागू हो गया था. और शरिया के तहत, महिलाओं को अपने बाल ढकने और अपना शरीर छिपाने के लिए ढीले-ढाले कपड़े पहनने का आदेश है. निर्देश नहीं, आदेश है. न मानने वालों पर फ़ाइन लगाया जाता है. सज़ा दी जाती है. लेकिन बावजूद इतनी सख़्ती के, 12 जुलाई को ईरानी विमेन ऐक्टिविस्ट्स ने इस आदेश के ख़िलाफ़ मार्च किया था. पब्लिकली अपने हिजाब हटा दिए और अपनी वीडियोज़ सोशल मीडिया पर पोस्ट किए. #NoToHijab नाम से एक सोशल मीडिया कैम्पेन चलाया.

मासा की फोटो सामने आने के बाद फिर से ये विरोध तेज़ हो रहा है.

कर्नाटक के हिजाब विवाद के बीच ईरानी महिलाओं के विरोध की चर्चा क्यों?

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement