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प्रेत-आत्मा का साया समझी जाने वाली ये बीमारी हिंदुस्तान में AIIDS से ज़्यादा आम है!

बीमारी की शुरुआत में इंसान ज़्यादातर अकेले रहना शुरू कर देता है.

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इस बीमारी में लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति आ जाती है
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सरवत
6 जनवरी 2021 (Updated: 6 जनवरी 2021, 19:49 IST)
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

हमें सेहत पर मेल आया है एक शख्स का जो नहीं चाहते कि हम उनकी पहचान बताएं. उनकी उम्र 30 साल है. करीब दो साल पहले उनकी शादी हुई थी. उनकी पत्नी 27 साल की हैं. कुछ महीनों से उनके बर्ताव में काफ़ी बदलाव आ गया है. घर की माली हालत ठीक नहीं चल रही, इसको लेकर दोनों पति-पत्नी काफ़ी स्ट्रेस में थे. पर धीरे-धीरे उनकी पत्नी की मानसिक हालत बिगड़ती रही. उन्हें वहम होने लगा. उन्हें कुछ दिखता था जो असल में नहीं होता था. वो ऐसी बातें बोलने लगीं जो कभी हुई नहीं. कभी-कभी तो वो काफ़ी हिंसक भी हो जातीं. उन्हें संभालना मुश्किल हो गया. ये शख्स और उनकी पत्नी बिहार के एक छोटे से कस्बे से हैं. इनके परिवार को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बहू को क्या हो गया है. रिश्तेदार कहने लगे भूत-प्रेत का साया है. फ़कीर, बाबा वगैरह के चक्कर लगाने शुरू किए. इलाज के नाम पर इनकी पत्नी के साथ जो हो रहा था उससे उनकी हालत और खराब हो रही थी. लड़-झगड़कर ये अपनी पत्नी को इलाज के लिए पटना लाए. यहां डॉक्टर को दिखाया गया. तब पता चला उनकी पत्नी को स्कित्ज़ोफ्रेनिया नाम की बीमारी है. ये एक मानसिक अवस्था है. एक डिसऑर्डर. किसी भूत-प्रेत या आत्मा का साया नहीं.
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इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में डॉक्टर मधुसुदन सिंह सोलंकी ने बताया कि भारत में स्कित्ज़ोफ्रेनिया AIIDS से भी ज़्यादा आम है. किसी भी समय स्किज़ोफ्रेनिया के कम से कम 30 लाख केसेस होते ही हैं. पर इसके बावजूद कई लोगों ने इस बीमारी का नाम तक नहीं सुना है. इसे भूत-प्रेत का साया बताकर मरीज़ को बाबा, ओझा के पास लेकर जाया जाता है. सही इलाज मिलना तो दूर, ठीक करने के लिए जादू-टोना से लेकर टॉर्चर तक की मदद ली जाती है. इसलिए Lallantop के ये व्यूअर चाहते हैं कि स्कित्ज़ोफ्रेनिया के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचे. ताकि मरीजों को सही इलाज मिल सके. उनकी ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ न हो. तो चलिए सबसे पहले बात करते हैं कि स्कित्ज़ोफ्रेनिया क्या होता है और लोगों को क्यों हो जाता है. क्या होता है Schizophrenia ? ये हमें बताया डॉक्टर रकिब ने.
 रकिब अली, कंसलटेंट क्लिनिकल साइकॉलजस्ट, बीएलके हॉस्पिटल, नई दिल्ली
रकिब अली, कंसलटेंट क्लिनिकल साइकॉलजस्ट, बीएलके हॉस्पिटल, नई दिल्ली


स्कित्ज़ोफ्रेनिया यानी मनोविदलता. ये एक मानसिक रोग है जिसमें पेशेंट्स के विचार और अनुभव वास्तविकता से मेल नहीं खाते हैं. ये भ्रम तब भी बरकरार रहता है जब कोई इन्हें सच्चाई का आभास करवाने की कोशिश करता है. इसके मुख्य लक्षण वहम और भ्रम होते हैं. लेकिन इनके अलावा भी कई और लक्षण हो सकते हैं. ये इस पर निर्भर करता है कि स्कित्ज़ोफ्रेनिया किस स्टेज में है. क्यों होता है स्कित्ज़ोफ्रेनिया ? कोई एक कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है क्योंकि ये एक बहुत ही जटिल और कॉम्प्लेक्स समस्या है. लेकिन ये पता चल गया है कि कुछ लोग पहले से ही स्कित्ज़ोफ्रेनिया होने के रिस्क पर होते हैं, उनके वातावरण में कुछ ट्रिगर होने से ये शुरू हो सकता है.
- पहला कारण है. जेनेटिक. यानी परिवार में स्कित्ज़ोफ्रेनिया की हिस्ट्री रही है. ये परिवारों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाया जाता है.
-दूसरा कारण. दिमाग का विकास. स्कित्ज़ोफ्रेनिया में दिमाग के अलग-अलग पार्ट्स में अलग-अलग तरह की कोई ख़राबी होती है. यही ख़राबी मिलकर स्कित्ज़ोफ्रेनिया जैसी कंडीशन बना देती हैं.
Schizophrenia | The Recovery Village Drug and Alcohol Rehab ये एक मानसिक रोग है जिसमें पेशेंट्स के विचार और अनुभव वास्तविकता से मेल नहीं खाते हैं


-तीसरा कारण. न्यूरोट्रांसमीटर. न्यूरोट्रांसमीटर ऐसे मैसेंजर होते हैं जिनका काम होता है दिमाग में एक जगह से दूसरी जगह सिग्नल पहुंचाना. इसमें ख़राबी होने की वजह से स्कित्ज़ोफ्रेनिया के लक्षण बन जाते हैं
-प्राथमिक तौर पर डोपामाइन और सेरोटोनिन नाम के केमिकल की कमी से भी ये ट्रिगर कर सकता है.
-प्रेग्नेंसी के टाइम पर होने वाली समस्याओं के कारण भी हो सकता है
-जिन बच्चों का वज़न कम होता है, या जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, उनमें आगे जाकर स्कित्ज़ोफ्रेनिया ज़्यादा देखने को मिलता है
-अगर ट्रिगर की बात करें तो सबसे मुख्य कारण है तनाव. लाइफ में कोई मेजर स्ट्रेस जैसे तलाक़, किसी की मौत, जॉब चली जाना. यानी हाई लेवल के तनाव वाले स्ट्रेसर हैं उनसे स्कित्ज़ोफ्रेनिया ट्रिगर हो सकता है.
-एक और कारण है ड्रग एब्यूज. यानी ड्रग्स बहुत ज्यादा इस्तेमाल. कई तरह के ड्रग्स स्कित्ज़ोफ्रेनिया को बढ़ा सकते हैं या उसको शुरू कर सकते हैं अगर कोई पहले से रिस्क पर है तो.
स्कित्ज़ोफ्रेनिया के बारे में अहम जानकारी आपने समझ ली. अब बात करते हैं कैसे पता चलेगा किसी को स्कित्ज़ोफ्रेनिया है. यानी इसके लक्षण क्या हैं. साथ ही क्या इसका इलाज मुमकिन है?
लक्षण
इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर अखिल ने.
डॉक्टर अखिल अगरवाल, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, मानश हॉस्पिटल, कोटा
डॉक्टर अखिल अगरवाल, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, मानश हॉस्पिटल, कोटा


-ये बीमारी सबसे पहले सोचने-समझने की शक्ति को प्रभावित करती है
-इमोशन, रिएक्शन, और बिहेवियर पर असर पड़ता है
-बीमारी की शुरुआत में इंसान ज़्यादातर अकेले रहना शुरू कर देता है
-सोसाइटी और परिवारवालों से कटने लगता है
-अपनी दुनिया में खो जाता है
-बैठे-बैठे सोचता रहेगा
-स्पोर्ट्स वगैरह नहीं खेलता
-कई बार OCD के लक्षण दिखने लगते हैं (यानी एक चीज़ बार-बार करना)
-हर चीज़ में शक और वहम होना
-बार-बार हाथ धोना
-जैसे-जैसे टाइम बढ़ता है, पेशेंट की सोच पर असर पड़ता है
-पेशेंट को परिवारवालों पर शक हो सकता है
-कई बार अकेले बैठे-बैठे आवाज़ें सुनाई देती हैं
-खुद से बातें करने लगता है
-बैठे-बैठे हंसने लगता है
-बैठे-बैठे हाथों से इशारे करने लगता है
Schizophrenia - Sana Lake Recovery Center ये बीमारी सबसे पहले सोचने-समझने की शक्ति को प्रभावित करती है


-जो चीज़ नहीं होती उसे वास्तविक समझ लेता है. जैसे रस्सी को सांप
-खाने और कपड़ों में स्मेल आने लग जाएगी
-बॉडी में अलग-अलग सेंसेशन महसूस होंगे
-कीड़ों का आभास होगा
-एकदम से बहुत ज़्यादा भगवान या पूजा-पाठ में विश्वास करने लग जाएगा
-दिमाग के विचार बदल जाते हैं
-कई बार अजीब बर्ताव करेगा. जैसे जहां नहीं हंसना वहां हंसने लग जाएगा, जहां नहीं रोना वहां रोने लग जाएगा
-खुद पर या दूसरों के ऊपर गुस्सा करना
-खुद को या दूसरों को चोट पहुंचाना
-कई लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति आ जाती है, दूसरों को भी वो लोग मार सकते हैं स्कित्ज़ोफ्रेनिया का इलाज क्या है? -इसका एकमात्र उपचार हैं दवाइयां. डॉक्टर को दिखाएं, और समय पर दवाएं लें.
-किसी भी तरह के जादू-टोना, अंधविश्वास में न पड़ें
Medicines and poisoning: keeping kids safe | Raising Children Network
इस कंडीशन में दवाइयां लंबी चलती हैं

-कुछ अवस्था में पेशेंट को भर्ती भी करवाना पड़ता है
-इसमें साइकोथेरैपी का रोल नहीं होता है. साइकोथैरेपी यानी मनोचिकित्सक का रोगी से बात करके उसे सलाह देने वाली थैरेपी. फिर भी वोकेशनल, आर्ट थेरैपी दे सकते हैं ताकि उसका जीवन थोड़ा सुधार सकें
स्कित्ज़ोफ्रेनिया एक कंडीशन है. इसे आप किसी दूसरी बीमारी की तरह ही समझ सकते हैं. जिसमें मेडिकल केयर की ज़रूरत पड़ती है. घरवालों, दोस्तों के सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए अगर आप कसी ऐसे इंसान को जानते हैं जिसमें स्कित्ज़ोफ्रेनिया के लक्षण हैं, तो उनकी परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें. सही डॉक्टर की सलाह लें. इलाज करवाएं.


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