सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में तीन-चार लोग एक महिला कोघेरकर खड़े हैं. इसी वीडियो में महिला चीखकर कहती है, ‘आई विल पुट यू ऑन अ रेप केस’(मैं तुम पर रेप का केस लगा दूंगी).वीडियो में गालियां हैं. इसलिए हम उसे यहां नहीं लगा रहे.वायरल वीडियो का एक स्क्रीनशॉट. (तस्वीर: ट्विटर)क्या है पूरा मामलाहमने बात की प्रिया आर्या से. ये एक्टिविस्ट हैं. इन्होंने इस मामले में बेंगलुरुपुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने बताया कि वीडियो में दिख रही महिला कानाम संगीता है. प्रिया के मुताबिक़, संगीता के पति का बिजनेस है, जिससे जुड़े लोन केसिलसिले में पेमेंट मांगने ये लोग आए थे, जो वीडियो में दिख रहे हैं. उनको धमकातेहुए संगीता कह रही हैं कि वो उस व्यक्ति पर रेप चार्ज लगाएंगी.मामला पुराना है. पिछले साल का. लेकिन ये वीडियो अब वायरल हो रहा है.कानून क्या कहता है?भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 में बलात्कार के अपराध की सजा बताई गई है.इसमें रेप करने वाले अपराधी के लिए कम से कम सात साल की सज़ा का प्रावधान है. कुछमामलों में ये सजा मिनिमम 10 साल की भी हो सकती है.NCRB ( नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार, रेप के दर्ज मामलों में हर चौथीविक्टिम नाबालिग होती है. यही नहीं, लगभग 94 फीसदी मामलों में रेप करने वाले अपराधीविक्टिम के जान-पहचान वाले होते हैं. लब्बोलुआब ये कि बलात्कार की समस्या गंभीर है.और ये डेटा तो तब है, जब रेप के कई मामले रिपोर्ट ही नहीं हो पाते. ऐसे में फॉल्सरेप केस लगाने की बात कहना एक गंभीर मुद्दे की ओर से ध्यान भटकाता है.(सांकेतिक तस्वीर)फॉल्स रेप केस के मामले में क्या होता है?ये समझने के लिए हमने बात की अश्विन पंतुला से. ये लॉयर हैं. इन्होंने बताया कि अगरकिसी व्यक्ति पर रेप केस के झूठे चार्ज लगते हैं, तो उसके पास तीनों स्थिति मेंऑप्शन होते हैं :पहला, अरेस्ट होने के पहले.दूसरा, चार्जशीट फ़ाइल होने के बाद.तीसरा, बरी होने के बाद.अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसके खिलाफ ऐसा चार्ज लगाया जा सकता है, तो वोपहले ही एक्शन लेकर खुद को तैयार कर सकता है इस मामले से डील करने के लिए. ऐसा कईमामलों में नहीं हो पाता. लेकिन फिर भी इन ऑप्शन में क्या होता है, आप यहां समझलीजिए.अरेस्ट होने से पहले आप अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए याचिका दाखिल करसकते हैं, ताकि पुलिस कस्टडी में आपको परेशान न किया जाए.अरेस्ट होने या चार्जशीट फ़ाइल होने के बाद दो ऑप्शन होते हैं-(1)पहला, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीडिंग (CrPC) के सेक्शन 482 के तहत एप्लीकेशन दी जासकती है. FIR में लगी आपराधिक कार्यवाही (criminal proceedings) को खारिज कराने की.अगर आरोपी ये साबित कर दे कि उसके खिलाफ प्रथम दृष्टतया (Prima Facie) कोई केस नहींबनता. या फिर ये सुबूत दे कि आरोप बिल्कुल असम्भाव्य हैं. या ये साबित कर दे कि येपूरी प्रक्रिया उसे परेशान करने की बुरी नीयत के साथ शुरू की गई है. अगर हाई कोर्टको ये लगता है कि एप्लीकेशन देने वाला व्यक्ति इन में से किसी भी शर्त को पूरा करताहै, तो वो अपने अधिकार के तहत FIR की आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर सकता है.(2)दूसरा. हाई कोर्ट के सामने रिट याचिका दायर करना. ये उन मामलों में होता है, जब येआशंका हो कि इस मामले में पुलिस या निचली अदालत के साथ मिलकर आरोपी पर कार्यवाही कीजा रही है. हाई कोर्ट संबंधित अधिकारियों के लिए आदेश जारी कर सकता है कि वो अपनीड्यूटी उचित रूप से निभाएं. या फिर वो रिट ऑफ प्रोहिबिशन (निषेधाज्ञा का अधिकार)जारी कर निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा सकता है. इसके लिएभारतीय संविधान का अनुच्छेद 226 अदालत को इजाज़त देता है.बरी होने के बाद व्यक्ति के पास क्या विकल्प हैं?अगर किसी पर ऐसा झूठा आरोप लगता है, और कोर्ट उसे बरी कर दे, तो उसके बाद किसी भीव्यक्ति के पास कानूनन ये विकल्प होते हैं:1. IPC की धारा 211 के तहत मामला. इस धारा के तहत व्यक्ति FIR दर्ज करवा सकता है.इस आरोप के साथ कि उसके खिलाफ झूठी आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई, उसे नुकसानपहुंचाने के उद्देश्य से. इस मामले में सात साल तक की जेल हो सकती है.2. IPC की ही धारा 182. इस धारा के अनुसार उन लोगों को सजा दी जाती है, जो किसी भीनागरिक अधिकारी को झूठी जानकारी देते हैं, किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए.इसमें अधिकतम छह महीने की जेल हो सकती है.3. IPC की धारा 499- 500 के तहत आपराधिक मानहानि (क्रिमिनल डिफेमेशन) का मुकदमादायर किया जा सकता है. इसमें अधिकतम दो साल की जेल होती है.4. मानहानि का सिविल मुकदमा भी दायर करना एक विकल्प है. इसमें जिस व्यक्ति पर आरोपलगे, वो अपनी इज्जत को हुए नुकसान के लिए आर्थिक मुआवजे की मांग कर सकता है. मुआवजेकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि उस व्यक्ति की समाज में क्या स्थिति थी.बेंगलुरु के संगीता मामले में प्रिया आर्या ने जानकारी दी है. कि इस मामले को लेकरसंगीता ने सोशल मीडिया पर वादा किया था कि वो लाइव आकर पूरी जानकारी देंगी. लेकिनसंगीता ने कथित रूप से अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट डिसएबल कर दिए हैं.--------------------------------------------------------------------------------वीडियो:NCB ने ड्रग केस में रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया