सिर पर चोट लगी लेकिन खून नहीं निकला, आपको लगा सब ठीक, कंकशन को जानने के बाद नहीं लगेगा
हर बार सिर की चोट बाहर से नहीं दिखती. मगर, असर अंदर तक हो सकता है. दिमाग में अंदरूनी सूजन आ जाती है. इसे कंकशन कहते हैं.
आप क्रिकेट खेल रहे हैं. बैटर ने गेंद हवा में उछाली. उसे कैच करने के लिए आप लपके, लेकिन बॉल बजी सीधे आपके सिर पर. चोट तो ज़ोर से लगी पर खून नहीं निकला. आप संतुष्ट कि चलो, कुछ नहीं हुआ!
या आप अपनी धुन में चल रहे हैं, तभी पैर फिसला और सिर दीवार पर जाकर लगा. आपने माथा छुआ. खून नहीं निकला. आपने सोचा, बच गए. कुछ नहीं है!
कहने का मतलब है कि जाने-अनजाने में कई बार हमारे सिर पर चोट लग जाती है. लेकिन, हम उसे तब तक सीरियसली नहीं लेते, जब तक खून न निकल आए. यही अपने आप में एक बड़ी गलती है. हर बार सिर की चोट बाहर से नहीं दिखती. मगर, असर अंदर तक हो सकता है. दिमाग में अंदरूनी सूजन आ जाती है. इसे कंकशन (Concussion) कहते हैं. कंकशन में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जिनका अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो मामला गंभीर हो सकता है.
ऐसे में डॉक्टर से समझिए कि कंकशन क्या होता है? कंकशन होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? और, कंकशन का इलाज कैसे किया जा सकता है?
कंकशन का क्या मतलब है?ये हमें बताया डॉ. प्रवीण गुप्ता ने.
दिमाग में अंदरूनी चोट आने पर जो लक्षण दिखाई देते हैं, उसे कंकशन कहते हैं. कंकशन में सिर पर लगी चोट का असर दिमाग तक पहुंच जाता है. इससे दिमाग के सेल्स के बीच का तालमेल बिगड़ जाता है. नतीजा? दिमाग ठीक से काम नहीं करता, जिससे कुछ लक्षण पैदा होते हैं. इसे ही कंकशन कहते हैं. कंकशन के लक्षण तुरंत चोट लगने पर, थोड़ी देर बाद या काफी वक्त बाद भी आ सकते हैं. ये लक्षण थोड़ी देर या लंबे समय तक रह सकते हैं.
क्या लक्षण महसूस होते हैं?- सिर में दर्द या भारीपन होना
- चक्कर आना
- कान में घंटी की आवाज़ सुनाई देना
- आंखों के आगे धुंधलापन छाना
- लड़खड़ाना
- याददाश्त कमज़ोर हो जाना
- ध्यान और फोकस की कमी
- तुतलाना
- बैलेंस बिगड़ जाना, जिससे चलने-फिरने में परेशानी होती है
अगर कंकशन गंभीर हो तो व्यक्ति को थोड़े या लंबे समय के लिए बेहोशी छा सकती है. ये बेहोशी दिमाग में ट्रॉमा के असर की वजह से होती है. अगर कंकशन बहुत सीरियस है तो कुछ गंभीर लक्षण दिखाई पड़ते हैं. ये लक्षण हमें अलर्ट करते हैं कि दिमाग में गंभीर चोट हो सकती है. जैसे एक तरफ पैरालिसिस हो जाना. तेज़ सिरदर्द. लगातार उल्टी या उबकाई. तुतलाना. व्यवहार में बदलाव और बेहोशी.
कंकशन का इलाजअगर कंकशन के लक्षण खुद से ठीक हो जाते हैं तो ज़्यादा दवाई की ज़रूरत नहीं पड़ती और मरीज़ के लिए आराम और देखभाल काफी होता है. वहीं अगर कंकशन के लक्षण रह जाते हैं या बढ़ जाते हैं तो दिमाग का सीटी स्कैन करना ज़रूरी होता है. इससे ये पता किया जा सकता है कि दिमाग के अंदर किस तरह की चोट लगी है. अच्छी बात ये है कि कंकशन के लक्षणों का इलाज किया जा सकता है. अगर चोट बहुत गंभीर नहीं है तो समय के साथ ठीक हो जाएगी. लक्षण और चोट की गंभीरता के हिसाब से डॉक्टर दवाई देते हैं. कभी-कभी MRI या EEG की ज़रूरत भी पड़ सकती है.
एक ज़रूरी बात, अगर कंकशन के बाद आपके लक्षण बेहतर हो जाएं तो तुरंत शारीरिक मेहनत वाला काम न करें. अगर आप खेल रहे हैं और खेलने के दौरान कंकशन हुआ है तो वापस खेलने न जाएं. आप आराम करें और अपने लक्षणों को देखें. फिर उस आधार पर दवा लें. अगर लक्षण बढ़ने लगें तो डॉक्टर से सलाह लें. डॉक्टर लक्षणों को समझकर सही दवाइयां देंगे, जो दिमाग की अंदरूनी सूजन कम कर सकती हैं. दिमाग के सेल्स का तालमेल बेहतर कर सकती हैं. अगर चोट से दिमाग पर प्रेशर बढ़ गया है तो उसे कम भी कर सकती हैं. ये दवाइयां दिमाग के सेल्स में हो रही दिक्कतों को ठीक कर लक्षणों को कम कर देंगी.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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