(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञोंके अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूरपूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)वंदना दिल्ली की रहने वाली हैं. उनकी एक बेटी है जिसकी उम्र 14 साल है. हमें वंदनाने बताया कि पिछले कुछ समय से उनकी बेटी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उसेखांसी आती और फिर सांस चढ़ने लगती. जब उन्होंने अपनी बेटी को डॉक्टर को दिखाया तोपता चला कि उसे अस्थमा है. डॉक्टर ने वंदना की बेटी को इन्हेलर लेने को कहा है. परवंदना नहीं चाहतीं कि उनकी बेटी को इन्हेलर लेना पड़े. उन्होंने ये बहुत सुना है किइन्हेलर सेफ़ नहीं होते. उनका आगे चलकर साइड इफ़ेक्ट होता है. साथ ही इन्हेलर लेने कीआदत भी पड़ जाती है.वंदना जानना चाहती हैं कि क्या अस्थमा में इन्हेलर के अलावा किसी और तरह से इलाज होसकता है. साथ ही वो ये भी चाहती हैं कि हम उन्हें इन्हेलर के बारे में और जानकारीदें. ये क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं, इनका साइड इफ़ेक्ट क्या होता है.डॉक्टर्स से बात करके इसके बारे में अपने शो पर बताएं.वैसे इन्हेलर को लेकर वंदना के मन में जो सवाल हैं वो बहुत आम हैं. कई लोगों मेंइन्हेलर को लेकर असहजता रहती है. वो इस पर भरोसा नहीं करते. इसे लेकर कई ग़लतफहमियांभी हैं. इसलिए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि इन्हेलर आख़िर होता क्या है.इन्हेलर क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर मनोज गोयल ने.डॉक्टर मनोज गोयल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम-इन्हेलर फेफड़ों की बीमारी में इस्तेमाल होते हैं.-ख़ासतौर पर अगर किसी को अस्थमा या ब्रोंकाइटिस की दिक्कत है.-सांस की नलियों में प्रॉब्लम है.-ऐसी बीमारियों में इन्हेलर इस्तेमाल होते हैं.-इन्हेलर एक तरह की मशीन होती है.-जिसमें दवाई पफ़/गैस के रूप में निकलती है और उसे सांस के ज़रिए अंदर लेना होता है.-जिससे दवाई पाउडर के फॉर्म में लंग्स तक पहुंच जाए और वहां अपना काम करे.-ताकि मरीज़ की सांस की नलियों में जो प्रॉब्लम है जैसे सूजन या सुकड़न, वो ठीक होजाए.अलग-अलग तरह के इन्हेलर-कई प्रकार के इन्हेलर उपलब्ध हैं.-कुछ कैप्सूल के फॉर्म में होते हैं.-इन कैप्सूल को एक छोटी सी मशीन में डाला जाता है और उससे निकलने वाला पाउडर मुंहके ज़रिए अंदर लिया जाता है.-कुछ इन्हेलर में दवाई पहले से भरी होती है.-जब उसका पफ़ सांस के द्वारा खींचते हैं तो दवाई अंदर जाती है.-इस मशीन के अलग-अलग प्रकार उपलब्ध हैं.-डॉक्टर मरीज़ की ज़रूरत और पसंद के अनुसार ये इन्हेलर देते हैं.-इन्हेलर में दवाइयां भी अलग-अलग प्रकार की आती हैं.इन्हेलर फेफड़ों की बीमारी में इस्तेमाल होते हैं-डॉक्टर तय करते हैं कि आपको किस दवाई की ज़्यादा ज़रूरत है.-कई इन्हेलर में दवाइयों का मिश्रण भी होता है.-ऐसे में मरीज़ की ज़रूरत और बीमारी के अनुसार डोज़ दिया जाता है.-इन्हेलर जब भी लें तो डॉक्टर की सलाह अनुसार लें.-अपने आप मार्किट से कोई भी इन्हेलर लेकर इस्तेमाल करना न शुरू करें.-क्योंकि सारे इन्हेलर एक जैसे नहीं होते.इन्हेलर कैसे काम करता है?-कोशिश ये की जाती है कि दवाई अधिक से अधिक मात्रा में पहुंच सके जहां उसकी ज़रूरतहै.-साथ ही कम से कम साइड इफ़ेक्ट भी हों.-जैसे अगर किसी को स्किन की दिक्कत होती है तो डॉक्टर स्किन पर लगाने के लिए दवादेते हैं.-अगर आंख की दिक्कत होती है तो ड्रॉप्स दिए जाते हैं.-इसी तरह अगर लंग्स की कोई प्रॉब्लम है, एयरवेज़ की कोई प्रॉब्लम है.-किसी को अस्थमा है, COPD है, एयरवेज़ में कोई रुकावट है.-लंग्स या सांस की नलियों में इन्फेक्शन है.-तब बेहतर है कि दवाई सीधे लंग्स और सांस की नलियों में पहुंचे.-क्योंकि यही दवा अगर टैबलेट के रूप में दी जाएगी तो वो पहले खून में घुलेगी.-उसके बाद मेटाबॉलाइज़ होगी, फिर लंग्स में पहुंचेगी.-इससे दवाई के असर होने में समय लगता है.कोशिश ये की जाती है कि दवाई अधिक से अधिक मात्रा में पहुंच सके जहां उसकी ज़रुरत है-असर भी कम हो जाता है.-इन्हेलर से फ़ायदा ये है कि इसका तुरंत असर होता है.-कम मात्रा में दवा देनी पड़ती है क्योंकि उसको खून के ज़रिए घुलकर नहीं जाना होता.-इसलिए कम से कम डोज़ की ज़रूरत पड़ती है.-इसका असर तुरंत दिखने लगता है.-साथ ही असर लंबे समय तक रहता है.-अगर खून के ज़रिए कोई दवा दी जाती है या मुंह के द्वारा दी जाती है.-तो उसके कुछ न कुछ साइड इफ़ेक्ट होते हैं.-इन्हेलर में क्योंकि दवा डायरेक्ट लंग्स तक जाती है इसलिए इसके साइड इफ़ेक्ट से बचाजा सकता है.-अस्थमा या लंग्स की बीमारियां लंबे समय तक चलती हैं.-ऐसे में दवाइयों का इस्तेमाल भी लंबे समय तक होता है.-इसलिए दवाई वो देनी चाहिए जिससे कम से कम साइड इफ़ेक्ट हों.-और ज़्यादा से ज़्यादा असरदार भी हो.-इसलिए इन्हेलर को बनाया गया है और यही इसके पीछे का विज्ञान है.क्या इन्हेलर से कोई नुकसान होता है?-इन्हेलर में दवाई की मात्रा बहुत कम होती है.-ये असर भी सीधा बीमार अंग पर करती है.-इसलिए इनसे नुकसान होने की संभावना बहुत कम होती है.-उन दवाइयों के मुकाबले जो मुंह या इंजेक्शन द्वारा दी जाती हैं.-इसलिए इन्हेलर बाकी दवाइयों से काफ़ी ज़्यादा सेफ़ होते हैं.-इसीलिए इन्हेलर बनाए गए हैं.आम मिथक-लोग सोचते हैं कि इन्हेलर से आदत पड़ जाती है.-ज़्यादा नुकसान होता है.इन्हेलर में दवाई की मात्रा बहुत कम होती है-इन्हेलर को आख़िरी रास्ते की तरह देखना चाहिए.-ये बच्चों को नहीं इस्तेमाल करना चाहिए.-बुज़ुर्गों को नहीं देना चाहिए.-इन्हेलर लेने से शर्मिंदगी होती है.-इस तरह का भय लोगों के दिमाग में रहता है.-ये बिल्कुल ग़लत है.-इन्हेलर लंबे समय तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं अगर ज़रूरत है तो.-लोगों को लगता है कि इन्हेलर ख़तरनाक होते हैं.-टैबलेट ज़्यादा अच्छी होती हैं.-ये बातें बिलकुल ग़लत हैं.-इन्हेलर इसलिए बनाए गए हैं ताकि दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट से बचा जा सके.-लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सके.-इन्हेलर ज़्यादा असर भी करते हैं.-इन्हेलर के ऐसे कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते हैं.-बच्चों और बुज़ुर्गों, दोनों को दिए जा सकते हैं.-इन्हेलर डॉक्टर्स की पहली चॉइस होते हैं.-ऐसा नहीं है कि जब टैबलेट, इंजेक्शन फ़ैल हो जाएं तब इन्हेलर दिए जाते हैं.-इन्हेलर इलाज के लिए सबसे पहले चुने जाते हैं.-क्योंकि इन्हेलर न सिर्फ़ बीमारी को ठीक करते हैं बल्कि आगे बीमारी न हो, इसकोरोकने में भी मदद करते हैं.कौन सा इन्हेलर सबसे बेस्ट है?-इन्हेलर दो प्रकार के होते हैं.-पहले. जो बीमारी को कंट्रोल करते हैं और आगे बढ़ने से रोकते हैं.इन्हेलर इसलिए बनाए गए हैं ताकि दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट से बचा जा सके-दूसरे. जो लक्षणों से राहत दिलाते हैं.-जैसे अगर सांस की तकलीफ़ हो रही है.-खांसी आ रही है.-उसको ठीक करते हैं.-ज़्यादातर इन्हेलर में इन दोनों चीज़ों का मिश्रण होता है.-आपके लिए कौन सा इन्हेलर बेस्ट है, ये डॉक्टर जांच करके बताते हैं.-अस्थमा या COPD के इलाज के लिए इन्हेलर ही सही है.उम्मीद है कि इन्हेलर को लेकर आप लोगों के मन में जो भी सवाल हैं, वो दूर हो गएहोंगे. डॉक्टर्स का कहना है कि इन्हेलर सेफ़ होते हैं. अगर आपको सांस से जुड़ी कोईसमस्या है तो आप अपने डॉक्टर से सलाह-मशवरा करके एक अच्छा इन्हेलर ले सकते हैं.इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा.