औरतों के शरीर से जुड़े 6 झूठ जो वो अक्सर मान लेती हैं
हर कही-सुनी बात पर यकीन करना बंद कर दीजिए.
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पुणे में एक जगह है, विश्रांतवाडी. 1 साल पहले, 18 साल की सुनीता की वहां शादी हुई. शादी की रात उसका विर्जिनिटी टेस्ट हुआ. सब ये जानने के लिए इच्छुक थे कि सेक्स के बाद उसकी वजाइना से खून निकला या नहीं. सबकी नज़र में ये उसके कुंवारी होने की निशानी थी. पर जब सेक्स हुआ, तो खून नहीं निकला. सुनीता की सास ने उसे खरी-खोटी सुनाई. बेइज्ज़त किया. फिर उसको उसके माता-पिता के घर छोड़ दिया. पर असल में सुनीता का शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध नहीं था. तो फिर उसे खून क्यों नहीं निकला?
बताते हैं. पर उससे पहले एक बात समझना बहुत ज़रूरी है. हम औरतों को अक्सर अपने शरीर के बारे में कई ऊल-फ़िज़ूल बातें रटाई जाती हैं. इनका कोई तर्क नहीं होता. नाही कोई साइंटिफिक प्रूफ़ होता है. बस कई साल से पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्हें ये बातें सिखा दी जाती हैं.
ये मिथक कई बार औरतों की ज़िन्दगी डोमिनेट करते हैं. यहां तक कि उनकी वजह से औरतों की हेल्थ पर असर पड़ता है. ऐसे ही कुछ झूठों का हम डॉक्टर्स से बात करके पर्दाफ़ाश कर रहे हैं.
तो सबसे पहला झूठ.
1. पहली बार सेक्स के दौरान खून निकलेगा ही
डॉक्टर वंदना शर्मा मैक्स हॉस्पिटल, मुंबई में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. वो कहती हैं:
"ज़रूरी नहीं है कि पहली बार सेक्स करते समय हर औरत ब्लीड करे. हाईमन टिश्यू का बना होता है. ये जन्म के समय काफ़ी मोटा होता है. वक़्त के साथ हाईमन पतला होता जाता है. जो बचा-कुछा हाइमन होता है, उसके फटने से ज़्यादा खून नहीं निकलता. पर वजाइना के अंदर जो टिश्यू होते हैं, उसमें काफ़ी खून भरा होता है. तफ़सील में जाएं तो वहां रेड ब्लड सेल्स होते हैं. रेड ब्लड सेल्स आपके शरीर में ऑक्सीजन एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं. खैर, वजाइना के अंदर टिश्यू में ये काफ़ी मात्रा में होते हैं. पहली बार जब सेक्स होता है तो इन टिश्यू में रगड़ लग जाती है. चोट लगती है. और फिर खून निकलता है."(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)2. पीरियड्स के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए डॉक्टर अलका श्रीवास्तव फ़ोर्टिस हॉस्पिटल दिल्ली में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. वो कहती हैं:
"पीरियड्स के दौरान सेक्स करना असहज हो सकता है, पर ख़तरनाक नहीं. इस चीज़ को लेकर अलग-अलग तरह की धारणायें हैं. पर मेडिकली इसमें कोई ख़राबी नहीं है. एक हेल्दी सेक्स लाइफ न ही आपके शरीर के लिए बहुत अच्छी है, बल्कि इससे आपके पीरियड्स भी जल्दी खत्म होते हैं. यही नहीं. आपको पीरियड्स के दौरान गंदे क्रेम्प्स भी नहीं होंगे. दरअसल, होता क्या है कि सेक्स के दौरान आपके गर्भाशय में कुछ कॉन्ट्रैक्शंस होते हैं. ये तब होता है जब आपको ऑर्गेज्म होता है. इन कॉन्ट्रैक्शंस की वजह से खून झटके से शरीर से बाहर निकल जाता है. और आपके पीरियड्स जल्दी खत्म होते हैं."(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)3. वजाइना से सफ़ेद पानी आना एक बीमारी है वजाइना से सफ़ेद पानी एकदम नॉर्मल है. पर सिर्फ़ तब तक, जब तक ये बहुत ज्यादा मात्रा में भी आने लगे. या इसके साथ खून न आए. डॉक्टर लवलीना नादिर फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. वो कहती हैं:
"ये कोई चिंता की बात नहीं है. ऐसा हर औरत के साथ होता है. ये शरीर के लिए ज़रूरी भी है. इसकी मात्रा भी कम, ज़्यादा हो सकती है. साथ ही स्मेल भी. थोड़ा बहुत डिस्चार्ज हर दिन नॉर्मल है. साथ ही जब आपके पीरियड्स शुरू होने वाले होते हैं, या जब आप ब्रेस्टफ़ीड कर रही होती हैं, या सेक्स करते समय इसकी मात्रा बढ़ जाती है."(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)4. मर्दों के मुकाबले उनकी सेक्स ड्राइव कम होती है आमतौर पर ये माना जाता है कि मर्दों के मुक़ाबले औरतों की सेक्स ड्राइव काफ़ी कम होती है. मतलब एक पुरुष के मुक़ाबले उनका सेक्स करने का मन काफ़ी कम करता है. क्या इसमें कोई सच्चाई है? इस बात का कोई भी मेडिकल प्रूफ़ नहीं है. ऐसा मानना ग़लत है. इसके पीछे सोशल कंडीशनिंग एक बड़ी वजह है. समाज औरतों से उम्मीद करता है कि शर्मीली हो. खुलकर अपनी इच्छा ज़ाहिर न करे. जो औरत ऐसा करती है, वो 'गंदी' औरत समझी जाती है. ये बातें उसे बचपन से सिखाई जाती है. इसलिए बड़े होकर वो खुलकर सेक्स की इच्छा ज़ाहिर नहीं करती. पर इसका ये मतलब हरगिज़ नहीं कि औरतों की सेक्स ड्राइव नहीं होती. डॉक्टर अर्पिता श्रीवास्तव, जो फ़ोर्टिस हॉस्पिटल बेंगलुरु में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. कहती हैं:
"हार्मोनल वजहों से हो सकता है महीनों के कुछ दिनों औरत का सेक्स करने का मन न करे. उसका मूड खराब रहे. साथ ही मेनोपौज़ के दौरान भी शरीर में काफ़ी हार्मोनल बदलाव होते हैं, उस समय भी सेक्स करने की इच्छा काफ़ी कम रहती है. पर ये कहना ग़लत है कि औरतों कि आमतौर पर सेक्स ड्राइव ही कम होती है."(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)5. औरतें केवल बड़े लिंग से ही संतुष्ट होती हैं ये भी पुरुषवादी सोच का ही नतीजा है. अपने लिंग के साइज़ को लेकर आदमियों में अक्सर कॉम्पटिशन रहता है. उसे मर्दानगी की निशानी समझा जाता है. माना जाता है कि एक बड़ा लिंग ही औरत को संतुष्ट कर सकता है. ये इस दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है. डॉक्टर निशा वर्मा एक सेक्सोलॉजिस्ट हैं. मुंबई में अपनी 'सेक्सोलॉजी और साईकीएट्री' नाम की क्लिनिक चलाती हैं. कहती हैं:
"ये एक मिथक है. इसका कोई साइंटिफ़िक बेस नहीं है. ज़्यादातर लोगों को शायद ये नहीं पता कि औरत की वजाइना का अंदरूनी हिस्सा अंत तक सेंसिटिव नहीं होता. ओपनिंग से लेकर सिर्फ़ दो इंच ही कुछ भी फ़ील कर पाता है. उसके आगे नहीं. इसलिए साइज़ से कोई फ़र्क नहीं पड़ता. सेक्स के दौरान साइज़ पर ध्यान देने से बेहतर है आप पोजीशन पर ध्यान दें."6. प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए प्रेग्नेंसी के दौरान औरतें क्या कर सकती हैं, क्या नहीं, इसकी एक लंबी लिस्ट होती है. उसमें से एक है प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स. डॉक्टर अनुराधा कपूर मैक्स अस्पताल, दिल्ली में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. कहती हैं:
"हो सकता है आप सेक्स करते समय बहुत सहज महसूस न करें, पर ये आपके बच्चे के लिए ख़तरनाक नहीं है. आप प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स कर सकती हैं. पर हां. आपकी प्रेग्नेंसी के आखिरी हफ़्तों में सेक्स का असर आपके हॉर्मोन्स पर पड़ता है. आपको कॉन्ट्रैक्शंस हो सकते हैं. यानी यूट्रस सिकुड़-फैल सकता है. इससे लेबर जल्दी हो सकता है. उसके अलावा सेक्स नॉर्मल है."(फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)
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