क्या स्कूल में हिजाब पहनकर कर्नाटक की लड़कियों ने कोई नियम तोड़ा है?
हिजाब पहनने की मांग को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में अपील की है.
लड़कियों का ये भी कहना है कि इंटर कॉलेज में बीते साल हिंदू त्योहार मनाए गए थे, हिंदू लड़कियों को बिंदी लगाने से नहीं रोका जाता है, तो फिर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है? छात्राओं का कहना है कि दो महीने में उनकी परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, उन्हें उसकी भी तैयारियां करनी हैं. लेकिन फिलहाल तो उन्हें पढ़ने से ही रोका जा रहा है.Deplorable scenes unfolding in Karnataka, another govt college not allowing Girls with #hijab
— Deepak Bopanna (@dpkBopanna) February 3, 2022
to enter classrooms. The students are crying and requesting the principal not to ruin their future with just 2 months to go for exams. pic.twitter.com/sYJzTsLuuX
इन छात्राओं का ये भी कहना है कि मामला मीडिया अटेंशन खींच रहा है, इसकी वजह से कॉलेज प्रबंधन उन पर माफी मांगने का दबाव बना रहा है. उनका ये भी कहना है कि उन्हें उर्दू में बाद करने से भी रोका जाता है. इस मामले में कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) और इस्लामिक स्टूडेंट ऑर्गनाइज़ेशन जैसे छात्र संगठन भी छात्राओं का समर्थन कर रहे हैं. जिम्मेदारों का क्या कहना है? इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि लड़कियां परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन कक्षाओं में नहीं. प्रिंसिपल गौड़ा ने कथित तौर पर दावा किया है कि छात्र पहले भी कक्षाओं में प्रवेश करने के बाद हिजाब और बुर्का हटाते रहे हैं. उनका कहना है कि यूनिफॉर्मिटी बनाए रखने के लिए छात्राओं को हिजाब पहनने से रोका जा रहा है.
इस मामले में स्थानीय विधायक और कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष रघुपति भट्ट ने कहा,
"जो लड़कियां कॉलेज के बाहर बैठ कर हिजाब के लिए प्रोटेस्ट कर रही हैं वो कॉलेज छोड़कर जा सकती हैं. उन्हें किसी ऐसे कॉलेज में दाखिल ले लेना चाहिए जहां यूनिफ़ॉर्म के साथ हिजाब पहनने की इजाज़त हो. हमारे नियम स्पष्ट हैं कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने की परमिशन नहीं मिलेगी."कर्नाटक के कुछ कॉलेजो में प्रदर्शन कर रही छात्राओं के विरोध में हिंदू संगठन छात्रों को भगवा स्कार्फ पहनाकर भेज रहे हैं. कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने इस मामले में कहा,
" स्कूलों में न तो हिजाब पहनकर आ सकते हैं और न ही भगवा गमछा पहनकर. "
कर्नाटक के गृहमंत्री अरगा ज्ञानेन्द्र.
कर्नाटक हाईकोर्ट में पहुंची छात्राओं की गुहार इस मामले में छात्राओं की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है. याचिका में हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने को लेकर अंतरिम अनुमति की मांग की गई है. एक याचिका में कहा गया है कि हिजाब पहनना छात्राओं का मौलिक अधिकार है. जिसका संरक्षण संविधान के आर्टिकल 14 और 25 करते हैं. बता दें कि आर्टिकल 14 समानता के अधिकार की बात करता है और आर्टिकल 25 धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है.
याचिका में साल 2016 के केरल हाईकोर्ट के मामले का भी जिक्र किया गया है जिसमें केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम का ज़रूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया है कि छात्राओं को पढ़ाई करने से रोकना संविधान के खिलाफ है और ये पब्लिक इंटरेस्ट में भी नहीं है.
कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले पर 8 फरवरी को फैसला सुनाएगी
लड़कियों का कहना है कि संविधान धर्म निरपेक्ष है और यह उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार अपनी धार्मिक रीतियों को मामने का अधिकार देटा है. स्कूल या कॉलेज के ऐसे नियम उनके फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ़ है. छात्राओं की याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई होगी. लोग क्या कह रहे हैं? ये मामला बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बना हुआ है. सोशल मीडिया इस मुद्दे पर बंटा हुआ है. कई लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बताकर छात्राओं को क्लास में एंट्री देने के बात कह रहे हैं. वहीं कई लोगों का कहना है कि पढ़ाई किसी भी चीज़ से ज्यादा ज़रूरी है, इसलिए छात्राओं को ये सब छोड़कर पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए. वहीं हमेशा की तरह कुछ लोगों ने हिजाब को स्कूल के एन्वायर्नमेंट के लिए खराब बता दिया.
एक यूज़र ने लिखा है,
" सही है. उन्हें अंदर आने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें कोई नहीं पहचान पाएगा न ही कोई ये जान पाएगा कि हिजाब के भीतर क्या छिपा है. ये कॉलेज या स्कूल के एनवायरमेंट के लिए बहुत खतरनाक है."
एक और यूज़र ने लिखा है,Correct, they should not be allowed to enter. Recognition & What is hidden behind hijab nobody can make out. It is very dangerous for college or school environment 👈😆
— CoNtOcO (@KantakKantak) February 3, 2022
" अगर किसी को ऐसे यूनिफ़ॉर्म से दिक्कत है तो वो स्कूल के बजाय मदरसे में जा सकते हैं. "
एक यूज़र ने लिखा है,If somebody has a problem with such uniformity, they are welcome to opt Madrasa instead and then get madrasa placed in Puncture repair shops or directly on-site in $yr
— PareshSpeaks (@KaheParesh) February 3, 2022
!a.
" अगर उन्हें हिजाब ही पहनना है तो वे ऐसे कॉलेज में क्यों नहीं जाती जहां हिजाब पहनने की मनाही नहीं है. वो कोई और कॉलेज जॉइन कर सकती हैं!! ये सब बस ड्रामा है!!"
If they wanted to wear hijab, why did they join a college where uniform is mandatory??? Could have joined some other colleges!!! Everything is a drama!!! — The Witcher (@__the_witcher) February 3, 2022
कई लोग कॉलेज प्रशासन से इस फैसले के पीछे वाजिब तर्क की मांग कर रहे हैं. लोगों इस फैसले को संविधान के फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ़ मान रहे हैं. उनका कहना है कि यह देश में बहुसंख्यक लोगों द्वारा अल्पसंख्यक लोगों के धार्मिक प्रैक्टिस पर किया गया हमला है. इसके ज़रिए लोग सांप्रदायिक भेदभाव बढ़ाना चाहते हैं. कुछ ट्वीटस देखिए :
एक यूज़र ने लिखा है,
"किस आधार पर कॉलेज प्रशासन उन्हें कॉलेज में आने से रोक रही है. अगर एक सिख पगड़ी पहन सकता है तो एक मुस्लिम लड़की हिजाब क्यों नहीं पहन सकती ?"
एक और यूज़र ने प्रधानमंत्री को टैग करते हुए लिखा,On what basis, administration is objecting on entry to college.If a sikh man can wear turban then why not Muslim women can wear hijab
— Ankush Thakur (@Ank2432) February 3, 2022
" नरेंद्र मोदी सर, ये मुद्दा भारतीय संविधान के खिलाफ़ है. स्कूल यूनिफ़ॉर्म ये नहीं कहता कि कोई अपने बाल बनाए या अपने सिर को ढके या नहीं. आप इस मैटर में प्लीज़ हस्तक्षेप कीजिए. ये आर्टिकल 15 और 25 के खिलाफ़ है. "
@narendramodi
Sir, this matter is against constitution of India. School Uniform doesn’t asked for how one should comb his/her hair or to cover head or not. Requesting your intervention. This is against Article 15 and Article 25 #Hijab
— Muhammed Saleem (@MdSaleemDvg) February 3, 2022
एक और यूज़र ने लिखा है,
" मैं मानता हूं कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन को सिर्फ एजुकेशन से संबंध रखना चाहिए, इसे धार्मिक युद्धभूमि में तब्दील नहीं होना चाहिए. एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन का सम्मान कीजिए और इसे धार्मिक अजेंडे से दूर रखिए. विद्यार्थियों को मेहनत करके पढ़ना चाहिए क्योंकि दुनिया में कॉम्पिटिशन बढ़ता जा रहा है. ऐसी हरकत से इंस्टीट्यूशन और विद्यार्थी बस अपना समय बर्बाद कर रहे हैं."
आखिर में सवाल उठता है कि क्या हिजाब पहनकर छात्राओं ने किसी ड्रेस कोड का उल्लंघन किया? जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें दिख रहा है कि छात्राओं यूनिफॉर्म पहनी हुई है. उसके ऊपर उन्होंने हिजाब पहना है. द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक सरकार ने राज्य के सरकारी कॉलेजों के लिए कोई ड्रेस कोड निर्धारित नहीं किया है. ड्रेस कोड लागू किया जाना है या नहीं, इसका फैसला कॉलेज अथॉरिटीज़ ही करती हैं. राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इसे लेकर कहा था कि सरकारी कॉलेजों में ड्रेस कोड मेंडेट करने को लेकर कोई नियम नहीं है. उन्होंने कहा था कि इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.I believe educational institutions should be considered strictly for education not for religious battleground. Respect the education institution and keep it away from religious agenda. Study hard as this world is so competitive with this act students and institutions wasting time
— Lalit Singh Yadav (@LalitSi37718636) February 3, 2022