कई अच्छी बातों में सबसे अच्छी बात ये है कि फिल्म कभी भटकती नहीं है. वो सीधे-सीधेकहती है, जो वो कहना चाहती है. वो शुरू से लेकर आखिरी तक इक्वॉलिटी औरमहिलाओं-पुरुषों के बीच किए जाने वाले सामाजिक भेद-भाव की बात करती है. ये मसलाफिल्म की लिखावट में ही गुंथा हुआ है. हर चीज़ में इक्वॉलिटी चाहिए लेकिन बसों औरमेट्रो में रिज़र्व सीट भी चाहिए, ये किस तरह की बराबरी है. ऐसे सवाल हमने बहुतबारे सुने हैं. बहुत लोगों से सुने हैं. फिल्म इस सवाल का भी आंसर देती है. बाकी औरभी कई अच्छी चीज़ें हैं जिसका ज़िक्र हमने वीडियो में किया है.