केंद्र सरकार ने कहा है कि इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा. इसके पीछे कीवजह कोविड महामारी बताई गई है. 3 दिसंबर को लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजनचौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा था कि एक छोटा शीतकालीन सत्र बुलायाजाए ताकि किसान आंदोलन जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सके. इसके जवाब में अधीर रंजनचौधरी को लिखे एक पत्र में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार संसदका अगला सत्र जल्द से जल्द बुलाना चाहती है. ये भी बताया कि बजट सत्र जनवरी मेंबुलाया जाएगा.प्रह्लाद जोशी ने अपने पत्र में कहा, मैंने अनौपचारिक रूप से अलग-अलग पार्टियों केसदन नेताओं से बात की है और उन्होंने वर्तमान महामारी को लेकर चिंता जताई है औरशीतकालीन सत्र से बचने की बात कही. दूसरी तरफ अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया किउन्होंने कभी नहीं कहा कि सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए. सरकार सत्र से भाग रही हैताकि किसान आंदोलन जैसे सवालों से बचा जा सके. वहीं, कांग्रेस के अलावा वामदलों,NCP, शिव सेना जैसी दूसरी विपक्षी पार्टियों का भी आरोप है कि उनसे सत्र न बुलानेको लेकर सलाह नहीं ली गई. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने संसदीय कार्यमंत्री से कहा कि TMC छोटा शीतकालीन सत्र नहीं चाहती है. विपक्षी दल इस सत्र मेंकिसान आंदोलन के अलावा अर्थव्यवस्था की स्थिति, चीन के साथ सीमा विवाद, कोविडमहामारी जैसे विषयों पर चर्चा चाहते थे.लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (फोटो में) ने शीतकालीन सत्र को लेकरलोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा था. फोटो: LSTVसंसद सत्र कितने होते हैं?सामान्य परिस्थितियों में एक कैलेंडर वर्ष में संसद के तीन सत्र होते हैं-बजट सत्र: ये जनवरी के अंत से अप्रैल तक या फरवरी से मई महीने तक चलता है. 1994 मेंबजट सेशन को दो हिस्सों में बांट दिया गया. पहले हिस्से में बजट पेश किया जाता है,उस पर बहस होती है, दोनों सदनों में बजट पास होता है. उसके बाद एक महीने के लिएसेशन को स्थगित कर दिया जाता है. इस एक महीने में संसद की स्थायी समिति अलग-अलगकामों के लिए मांगे गए खर्च का आंकलन करती है. एक महीने बाद फिर से बजट सत्र कीबैठक होती है. इसमें स्थायी समिति के आंकलन के हिसाब से बजट को फाइनल किया जाताहै. साल 2019 में बजट सत्र 31 जनवरी और 2018 में 28 जनवरी से शुरू हुआ था.मॉनसून सत्र: ये जुलाई से अगस्त के बीच होता है. इस बार का मानसून सत्र थोड़ा देरीसे सितंबर महीने में कोविड प्रोटकॉल के साथ बुलाया गया था. कार्यवाही सीमित रखने केलिए प्रश्नकाल खत्म कर दिया गया था. इस पर विवाद भी हुआ. इसमें सामान्य विधायी कामहोते हैं. ज़्यादातर लोकहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है.शीतकालीन सत्र: ये सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है. ये सबसे छोटा सत्र होता है.दूसरे सत्र में अगर कोई मुद्दा छूट रहा हो या उस पर चर्चा अधूरी रह गई हो तो इससत्र में उसे पूरा किया जा सकता है. संसद के दो सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा काअंतर नहीं हो सकता. अगर ऐसा होता है तो राष्ट्रपति लोकसभा-राज्यसभा केस्पीकर/सभापति को सत्र शुरू करने के लिए कह सकते हैं.विशेष सत्रसंविधान में विशेष सत्र बुलाने की भी व्यवस्था है. जब संसद में कोई सत्र न चल रहाहो. और किसी खास बिल पर ज़रूरी चर्चा करनी हो, डेडलॉक की स्थिति हो, तो मंत्रिमंडलकी सलाह पर राष्ट्रपति संसद का विशेष सत्र बुला सकते हैं.इससे पहले कब-कब नहीं बुलाया गया सत्र?साल 2008 में यूपीए सरकार ने औपचारिक शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया था बल्कि मॉनसूनसत्र को कुछ दिनों के लिए दिसंबर महीने में कर दिया था. साल 1975 में इमरजेंसी केचलते और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के चलते शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था.इसके अलावा 1979 में भी शीतकालीन सत्र नहीं बुलाए गए.